Saturday 28 January 2012

Sai Satcharitra chapter 48

Sai Satcharitra Hindi chap 48

श्री साई सच्चरित्र

अध्याय 48 - भक्तों के संकट निवारण

शेवड़े और
सपटणेकर की कथाएँ ।

अध्याय के प्रारम्भ करने से पूर्व किसी ने हेमाडपंत से प्रश्न किया कि साईबाबा गुरु थे या सदगुरु । इसके उत्तर में हेमाडपंत सदगुरु के लक्षणों का निम्नप्रकार वर्णन करते है ।


सदगुरु के लक्षण

जो वेद और वेदान्त तथा छहों शास्त्रों की शिक्षा प्रदान करके ब्रहृविषयक मधुर व्याख्यान देने में पारंगत हो तता जो अपने श्वासोच्छवास क्रियाओं पर नियंत्रण कर सहज ही मुद्रायें लगाकर अपने शिष्यों को मंत्रोपदेश दे निश्चित अवधि में यथोचित संख्या का जप करने का आदेश दे और केवल अपने वाकचातुर्य से ही उन्हें जीवन के अंतिम ध्येय का दर्शन कराता हो तथा जिसे स्वयं आत्मसाक्षात्कार न हुआ हो, वह सदगुरु नहीं वरन् जो अपने आचरणों से लौकिक व पारलौकिक सुखों से विरक्ति की भावना का निर्माण कर हमें आत्मानुभूति का रसास्वादन करा दे तथा जो अपने शिष्यों को क्रियात्मक और प्रत्यक्ष ज्ञान (आत्मानुभूति) करा दे, उसे ही सदगुरु कहते है । जो स्वयं ही आत्मसाक्षात्कार से वंचित है, वे भला अपने अनुयायियों को किस प्रकार अनुभूति कर सकते है । सदगुरु स्वप्न में भी अपने शिष्य से कोई लाभ या ससेवा-शुश्रूषा की लालसा नहीं करते, वरन् स्वयं उनकी सेवा करने को ही उघत करते है । उन्हें यह कभी भी भान नहीं होता है कि मैं कोई महान हूँ और मेरा शिष्य मुझसे तुच्छ है, अपितु उसे अपने ही सदृश (या ब्रहमस्वरुप) समझा करते है । सदगुरु की मुख्य विशेषता यही है कि उनके हृदय में सदैव परम शांति विघमान रहती है । वे कभी अस्थिर या अशांत नहीं होते और न उन्हं अपने ज्ञान का ही लेशमात्र गर्व होता है । उनके लिये राजा-रंक, स्वर्ग-अपवर्ग सब एक ही समान है ।

हेमाडपंत कहते है कि मुझे गत जन्मों के शुभ संस्कारों के परिणामस्वरुप श्री साईबाब सदृश सदगुरु के चरणों की प्राप्ति तथा उनके कृपापात्र बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ । वे अपने यौवन काल में चिलम के अतिरिक्त कुछ संग्रह न किया करते थे । न उनके बाल-बच्चे तथा मित्र थे, न घरबार था और न उन्हें किसी का आश्रय प्राप्त था । 18 वर्ष की अवस्था से ही उनका मनोनिग्रह बड़ा विलश्रण था । वे निर्भय होकर निर्जन स्थानों में विचरण करते एवं सदा आत्मलीन रहते थे । वे सदैव भक्तों की निःस्वार्थ भक्ति देखकर ही उनकी इच्छानुसार आचरण किया करते थे । उनका कथना था कि मैं सदा भक्त के पराधीन रहता हूँ । जब वे शरीर में थे, उस समय भक्तों ने जो अनुभव किये, उनके समाधिस्थ होने के पश्चात् आज भी जो उनके शरणागत होचुके है, उन्हें उसी प्रकार के अनुभव होते रहते है । भक्तों को तो केवल इतना ही यथेष्ठ है कि यदि वे अपने हृदय को भक्ति और विश्वास का दीपक बनाकर उसमें प्रेम की ज्योति प्रज्वलित करें तो ज्ञानज्योति (आत्मसाक्षात्कार) स्वयं प्रकाशित हो उठेगी । प्रेम के अभाव में शुष्क ज्ञान व्यर्थ है । ऐसा ज्ञान किसी को भी लाभप्रद नहीं हो सकता, प्रेमभाव में संतोष नहीं होता । इसलिये हमारा प्रेम असीम और अटूट होना चाहिये । प्रेम की कीर्ति का गुणगान कौन कर सकता है, जिसकी तुलना में समस्त वस्तुएँ तुच्छ जान पड़ती है । प्रेमरहित पठनपाठन सब निष्फल है । प्रेमांकुर के उदय होते ही भक्ति, वैराग्य, शांति और कल्याणरुपी सम्पत्ति सहज ही प्राप्त हो जाती है । जब तक किसी वस्तु के लिये प्रेम उत्पन्न नहीं होता, तब तक उसे प्राप्त करने की भावना ही उत्पन्न नहीं होती । इसलिये जहाँ व्याकुलता और प्रेम है, वहाँ भगवान् स्वयं प्रगट हो जाते है । भाव में ही प्रेम अंतर्निहित है और वही मोक्ष का कारणीभूत है । यदि कोई व्यक्ति कलुषित भाव से भी किसी सच्चे संत के चरण पकड़ ले तो यह निश्चित है कि वह अवश्य तर जायेगा । ऐसी ही कथा नीचे दर्शाई गई है ।


श्री शेवड़े

अक्कलकोट (सोलापुर जिला) के श्री. स्पटणेकर वकालत का अध्ययन कर रहे थे । एक दिन उनकी अपने सहपाठी श्री. शेवड़े से भेंट हुई । अन्य और भी विधार्थी वहाँ एकत्रित हुए और सब ने अपनी-अपनी अध्ययन संबंधी योग्यता का परस्पर परीक्षण किया । प्रश्नोत्तरों से विदित हो गया कि सब से कम अध्ययन श्री. शेवड़े का है और वे परीक्षा में बैठने के अयोग्य है । जब सब मित्रों ने मिलकर उनका उपहास किया, तब शेवड़े ने कहा कि यघपि मेरा अध्ययन अपूर्ण है तो भी मैं परीक्षा में अवश्य उत्तीर्ण हो जाऊँगा । मेरे साईबाबा ही सबको सफलता देने वाले है । श्री. सपटणेकर को यह सुनकर आश्चर्य हुआ और उन्होंने श्री. शेवड़े से पूछा कि ये साईबाबा कौन है, जिनका तुम इतना गुणगान कर रहे हो । उन्होंने उत्तर दिया कि वे एक फकीर है, जो शिरडी (अहमदनगर) की एक मसजिद में निवास करते है । वे महान सत्पुरुष है । ऐसे अन्य संत भी हो सकते है, परन्तु वे उनसे अद्गितीय है । जब तक पूर्व जन्म के शुभ संस्कार संचित न हो, तब तक उनसे भेंट होना दुर्लभ है । मेरी तो उन पर पूर्ण श्रद्घा है । उनके श्रीमुख से निकले वचन कभी असत्य नहीं होते । उन्होंने ही मुझे विश्वास दिलाया है कि मैं अगले वर्ष परीक्षा में अवश्य उत्तीर्ण हो जाऊँगा । मेरा भी अटल विश्वास है कि मैं उनकी कृपा से परीक्षा में अवश्य ही सफलता पाऊँगा । श्री. सपटणेकर को अपने मिक्ष के ऐसे विश्वास पर हँसी आ गई और साथ ही साथ श्री साईबाबा का भी उन्होंन उपहास किया । भविष्य में जब शेवड़े दोनों परीक्षाओं में उत्तीर्ण हो गये, तब सपटणेकर को यह जानकर बड़ा आश्चर्य हुआ ।


श्री. सपटणेकर

श्री. सपटणेकर परीक्षा में उत्तीर्ण होने के पश्चात् अक्कलकोट में रहले लगे और वहीं उन्हो्ने अपनी वकालत प्रारम्भ कर दी । दस वर्षों के पश्चात् सन् 1913 में उनके इकलौते पुक्ष की गले की बीमारी से मृत्यु हो गई, जिससे उनका हृदय विचलित हो उठा । मानसिक शांति प्राप्त करने हेतु उन्होंने पंढ़रपुर, गाणगापुर और अन्य तीर्थस्थानों की यात्रा की, परन्तु उनकी अशांति पूर्ववत् ही बनी रही । उन्होंने वेदांत का भी श्रवण किया, परन्तु वह भी व्यर्थ ही सिदृ हुआ । अचानक उन्हें शेवड़े के वचनों तथा श्री साईबाबा के प्रति उनके विश्वास की स्मृति हो आई और उन्होंने विचार किया कि मुझे भी शिरडी जाकर बाबा के दर्शन करना चाहिये । वे अपने छोटे भाई पंड़ितराव के साथ शिरडी आये । बाबा के दर्शन कर उन्हें बड़ी प्रसन्नता हुई । जब उन्होंने समीप जाकर नमस्कार करेक शुदृ भाना से श्रीफल भेंट किया तो बाबा तुरन्त क्रोधित हो उठे और बोले कि यहाँ से निकल जाओ । सपटणेकर का सिर झुक गया और वे कुछ हटकर पीछे बैठ गये । वे जानना चाहते थे कि किस प्रकार उनके समक्ष उपस्थित होना चाहिए । किसी ने उन्हें बाला शिम्प का नाम सुझा दिया । सपटणेकर उनके पास गये और उनसे सहायता करने की प्रार्थना करने लगे । तब वे दोनों बाबा का एक चित्र लेकर मसजिद को आये । बाला शिम्पी ने अपने हाथ में चित्र लेकर बाबा के हाथ में दे दिया और पूछा कि यह किसका चित्र है । बाबा ने सपटणेकर की ओर संकेत कर रहा कि यह तो मेरे यार का है । यह कहकर वे हंसने लगे और साथ ही सब भक्त मंडली भी हँसने लगी । बाला शिम्पी के इशारे पर जब सपटणेकर उन्हें प्रणाम करने लगे तो वे पुनः चिल्ला पड़े कि बाहर निकलो । सपटणेकर की समझ में नहीं आता था कि वे क्या करे । तब वे दोनों हाथ जोड़कर प्रार्थना करते हुए बाबा के सामने बैठ गये, परन्तु बाबा ने उन्हें तुरन्त ही बाहर निकलने की आज्ञा दी । वे दोनों बहुत ही निराश हुए । उनकी आज्ञा कौन टाल सकता था । आखिर सपटणेकर खिन्न-हृदय शिरडी से वापस चले आये । उन्होंने मन ही मन प्रार्थना की कि हे साई । मैं आपसे दया की भक्षा माँगता हूँ । कम से कम इतना ही आश्वासन दे दीजिये कि मुझे भविष्य में कभी न कभी आपके श्री दर्शनों की अनुमति मिल जायेगी ।


श्रीमती सपटणेकर

एक वर्ष बीत गया, फिर भी उनके मन में शांति न आई । वे गाणगापुर गये, जहाँ उनके मन में और अधिक अशांति बढ़ गई । अतः वे माढ़ेगाँव विश्राम के लिये पहुँचे और वहाँ से ही काशी जाने का निश्चय किया । प्रस्थान करने के दो दिन पूर्व उनकी पत्नी को स्वप्न हुआ कि वह स्वप्न में एक गागर ले लक्कड़शाह के कुएँ पर जल भरने जा रही है । वहाँ नीम के नीचे एक फकीर बैठा है । सिर पर एक कपड़ा बँधा हुआ है । फकीर उसके पास आकर कहने लगा कि मेरी प्रिय बच्ची । तुम क्यों व्यर्थ कष्ट उठा रही हो । मैं तुम्हारी गागर निर्मल जल से भर देता हूँ । तब फकीर के भय से वह खाली गागर लेकर ही लौट आई । फकीर भी उसके पीछे-पीछे चला आया । इतने में ही घबराहट में उसकी नीद भंग हो गई और उसने आँखे खोल दी । यह स्वप्न उसने अपने पति को सुनाया । उन्होंने इस एक शुभ शकुन जाना और वे दोनों शिरडी को रवाना हो गये । जब वे मसजिद पहुँचे तो बाबा वहाँ उपस्थित न थे । वे लेण्डी बाग गये हुए थे । उनके लौटने की प्रतीक्षा में वे वहीं बैठे रहे । जब बाबा लौटे तो उन्हें देखकर उनकी पत्नी को बड़ा आश्चर्य हुआ, क्योंकि स्वप्न में जिस फकीर के उसने दर्शन किये थे, उनकी आकृति बाबा से बिलकुल मिलती-जुलती थी । उसने अति आदरसहित बाबा को प्रणाम किया और वहीं बैठे-बैठे उन्हें निहारने लगी । उसका विनम्र स्वभाव देखकर बाबा अत्यन्त प्रसन्न हो गये । अपनी पदृति के अनुसार वे एक तीसरे व्यक्ति को अपने अनोखे ढंग से एक कहानी सुनाने लगे – मेरे हाथ, उदर, शरीर तथा कमर में बहुत दिनों से दर्द हुआ करता था । मैंनें अनेक उपचार किये, परन्तु मुझे कोई लाभ नहीं पहुँचा । मैं औषधियों से ऊब उठा, क्योंकि मुझे उनसे कोई लाभ न हो रहा था, परन्तु अब मुझे बड़ा अचम्भा हो रहा है कि मेरी समस्त पीड़ाये एकदम ही जाती रही । यघपि किसी का नाम नहीं लिया गया था, परन्तु यह चर्चा स्वयं श्रीमती सपटणेकर की थी । उनकी पीड़ा जैसा बाब ने अभी कहा, सर्वथा मिट गई और वे अत्यन्त प्रसन्न हो गई ।


संतति-दान

तब श्री. सपटणेकर दर्शनों के लिए आगे बढ़, परन्तु उनका पूर्वोक्त वचनों से ही स्वागत हुआ कि बाहर निकल जाओ । इस बार वे बहुत धैर्य और नम्रता धारण करके आये थे । उन्होंने कहा कि पिछले कर्मों के कारण ही बाबा मुझसे अप्रसन्न है और उन्होंने अपना चरित्र सुधारने का निश्चय कर लिया और बाबा से एकान्त में भेंट करके अपने पिछले कर्मों की क्षमा माँगने का निश्चय किया । उन्होंने वैसा ही किया भी और अब जब उन्होंने अपना मस्तक उनके श्रीचरमणों पर रखा तो बाबा ने उन्हें आशीर्वाद दिया । अब सपटणेकर उनके चरण दबाते हुए बैठे ही थे कि इतने में एक गड़ेरिन आई और बाबा की कमर दबाने लगी । तब वे सदैव की भाँति एक बनिये की कहानी सुनाने लगे । जब उन्होंने उसके जीवन के अनेकों परिवर्तन तथा उसके इकलौते पुत्र की मृत्यु का हाल सुनाया तो सपटणेकर को अत्यन्त आश्चर्य हुआ कि जो कथा वे सुना रहे है, वह तो मेरी ही है । उन्हें बड़ा अचम्भा हुआ कि उनको मेरे जीवन की प्रत्येक बात का पता कैसे चल गया । अब उन्हं विदित हो गया कि बाबा अन्तर्यामी है और सबके हृदय का पूरा-पूरा रहस्य जानते है । यह विचार उनके मन में आया ही था कि गड़ेरिन से वार्तालाप चालू रखते हुए बाबा सपटणेकर की ओर संकेत कर कहने लगे कि यह भला आदमी मुझ पर दोषारोपण करता है कि मैंने ही इसके पुत्र को मार डाला है । क्या मैं लोगों के बच्चों के प्राण-हरण करता हूँ । फिर ये महाशय मसजिद में आकर अब क्यों चीख-पुकार मचाते है । अब मैं एक काम करुँगा । अब मैं उसी बालक को फिर से इनकी पत्नी के गर्भ में ला दूँगा । - ऐसा कहकर बाबा ने अपना वरद हस्त सपटणेकर के सिर पर रखा और उसे सान्त्वना देते हुए काह कि ये चरण अधिक पुरातन तथा पवित्र है । जब तुम चिंता से मुक्त होकर मुझ पर पूरा विश्वास करोगे, तभी तुम्हें अपने ध्येय की प्राप्ति हो जायेगी । सपटणेकर का हृदय गदरगद हो उठा । तब अश्रुधारा से उनके चरण धोकर वे अपने निवासस्थान पर लौट आये और फिर पूजन की तैयारी कर नैवेघ आदि लेकर वे सपत्नीक मसजिद में आये । वे इसी प्रकार नित्य नैवेघ चढ़ाते और बाबा से प्रसाद ग्रहण करते रहे । मसजिद में अपार भीड़ होते हुए भी वे वहाँ जाकर उन्हें बार-बार नमस्कार करते थे । एक दूसरे से सिर टकराते देखकर बाब ने उनसे कहा कि प्रेम तथा श्रद्घा द्घारा किया हुआ एक ही नमस्कार मुझे पर्याप्त है । उसी रात्रि को उन्हें चावड़ी का उत्सव देखने का भी सौभाग्य प्राप्त हुआ और उन्हें बाबा ने पांडुरंग के रुप में दर्शन दिये ।

जब वे दूसरे दिन वहाँ से प्रस्थान करने लगे तो उन्होंने विचार किया कि पहले दक्षिणा में बाबा को एक रुपया दूँगा । यदि उन्होंने और माँगे तो अस्वीकार करने के बजाय एक रुपया और भेंट में चढ़ा दूँगा । फिर भी यात्रा के लिये शेष द्रव्यराशि पर्याप्त होगी । जब उन्होंने मसजिद में जाकर बाबा को एक रुपया दक्षिणा दी तो बाबा ने भी उनकी इच्छा जानकर एक रुपया उनसे और माँगा । जब सपटणेकर ने उसे सहर्ष दे दिया तो बाबा ने भी उन्हें आर्शीवाद देकर कहाकि यह श्रीफल ले जाओ और इसे अपनी पत्नी की गोद में रखकर निश्चिंत होकर घर जाओं । उन्होंने वैसा ही किया और एक वर्ष के पश्चात ही उन्हें एक पुत्र प्राप्त हुआ । आठ मास का शिशु लेकर वह दम्पति फिर शिरडी को आये और बाबा के चरणों पर बालक को रखकर फिर इस प्रकार प्रर्थना करने लगे कि हे श्री साईनाथ । आपके ऋण हम किस प्रकार चुका सकेंगें । आपके श्री चरणों में हमारा बार-बार प्रणाम है । हम दीनों पर आप सदैव कृपा करते रहियेगा, क्योंकि हमारे मन में सोते-जागते हर समय न जाने क्या-क्या संकल्प-विकल्प उठा करते है । आपके भजन में ही हमारा मन मग्न हो जाये, ऐसा आर्शीवाद दीजिये ।

उस पुत्र का नाम मुरलीधर रखा गया । बाद में उनके दो पुत्र (भास्कर और दिनकर) और उत्पन्न हुए । इस प्रकार सपटणेकर दम्पति को अनुभव हो गया कि बाबा के वचन कभी असत्य और अपूर्ण नहीं निकले ।


।। श्री सद्रगुरु साईनाथार्पणमस्तु । शुभं भवतु ।।

146 comments:

  1. sai ram sai ram sai ram sai sai ram .om sai ram🌹🌹🌹

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  2. Jai jai sai ram sai ram sai ram jai jai sai ram sai ram sai ram

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  3. अनंत कोटी ब्रम्हांडनायक राजाधिराज योगीराज परं ब्रम्हं श्री सच्चिदानंद सदगुरु श्री साईनाथ महाराज की जय ॥

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  4. om sai sai sai sai sai sai sai ram👏🍓🍌🌼

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    1. Om Sai Ram jii 🙏💐

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    2. Reham nazar sai

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    3. Om sai Nathaye namah.

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    4. Baba pls mujh par apni kripa kijiye. Mujhe bilkul theek kr doo baba

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    5. Om Sai Ram jii 🙏🙏

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  5. jai sai ram.thanks for all baba pls be with us always🌹🌻🍇🥝🍌

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  6. Shri Satguru sai naath Maharaj ki Jai

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  7. Sai baba pls sab thk Kar do...

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  8. Hey sai nath man me asanti hai kuch rasta bataye apna arirvad de jai sai nath

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  9. Baba is adhyay ke jaise main bhi apse kuch mang rahi hu plz mujhe vo hi dena. OM SAI RAM��

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  10. Sai Teri nazer se kahin m uter na Jai.om Sai ram

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  11. Om shree sai bhakt vatsalay namah 💓

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  12. Om sai ram baba bachho ka man padhi me lgao baba jai sai baba 🙏🏻🙏🏻❤❤

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  13. Baba mere karya ko puran kijiye pls

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  14. Om sai ram har har mahadev jai sabhi devi devtao ji ki jai ho jai maa vaibhav Laxmi jai Maa kali kalkate wali ji ki jai ho jai maa saraswati ji ki jai ho jai maa santoshi ji ki jai ho jai maa महालक्ष्मी ji ki jai ho jai maa 🙏😘🙏😘❤️❤️😘❤️😘❤️😘😘

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  15. Om sai ram 💐🎂💐🎂💐💐🎂😘😘🙏😘🙏😘😘🙏🙏

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  16. Har har mahadev ❤️🙏❤️❤️🙏❤️🙏❤️❤️🙏❤️🙏😁😁😁🙏

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  17. Om sai ram har har mahadev jai sabhi devi devtao ji ki jai ho jai maa 😘🙏😘😘🙏😘🙏💐🙏💐💐🙏💐🙏💐🙏

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  18. Ganpati bappa morya मंगल मूर्ति मौर्य 😘🙏😘😘🙏😘🙏😘🙏😘😘🙏❤️🙏

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  19. Om Sai Ram🙏🏼🙏🏼

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  20. Om namoh Shri Sai Prabhu namah 🙏

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  21. Om sai ram😘😘😘😘😘

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  22. SAI BABAJI MERE JIVAN ME BHI CHAMTKAR KAR DINIYE MUJHHE BHI EK PYARA SA KANHAIYYA DE DIJIYE SAI

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  23. Sai,Sai,said🙏🌹💐❤️🌷🌼🌻

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  24. Sri Sai💐🌻🌷❤️🌹🌺❣️🌹❤️🌷🙏🏼

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  25. Om Sai Ram Sai bless everyone

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  26. Om Shree Sai Nathaye Namah🙏🙏

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  27. Baba mujhe bhi betaa chahiea muj pr bhi kirpa kro ..sai

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  28. Pls baba aapko meri wish pata hai.pls puri kare. As soon as possiblepls pls pls

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  29. Sri Sai Nathaye Namaha,🙏💐🌹🌻💐🌼🌺🌷🌹💐🌼🌺🌹🙏🙏🙏🌹🙏

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  30. Om sai ram baba 0ls help rohit priya vo apke pyare bacche hain aj unko apki jarurat hai pls baba aaooo na plssss

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  31. Apne sada hi meri laj bachai hai is bar bhi bachana plssss

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  32. Apne pani se diye jalayen hain aap brahman Nayak ho plsssss sabki madad karo plsssss

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  33. ❤️🙏🏼om sai ram🙏🏼❤️

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  34. Sai rhm njr krna bcho ka paln Krna 🙏 I m sorry plz forgive me 😭 thankuuuu you so much baba ji 🙏 love you so much baba ji 🙏

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  35. Baba humesha sath rehna 🙏

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  36. Sri Sai🌻🌷🌷💐🌼🌹❣️❤️🌺🌻🌷💐🌼❤️❣️🌹🌺🌻🌷💐🌼❤️❣️🌹🌺🙏

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  37. Sai raham najar Krna bachchon ka paln Krna 🙏I m sorry pls forgive me 🙏 I thankuu I love you so much Sai Ram g 🙏

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  38. Om Sairam 🙏💐💐🙏🙏

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  39. Jai shri sai samarth🙏 mera sahara mere saiya mera vishwas hai🙏 sai raham najar krna shivank g Or unki family ki rakhsa krna🙏 I m sorry plz forgive🙇 I thanku🙏 I love you so much baba ji🙏 👨‍👩‍👦‍👦💕😘

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  40. Om sai Ram om sai ram om sai ram om sai ram om sai ram om sai ram om sai ram.baba be with us always we are nothing without you 👏👏👏 pls baba

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  41. Baba ji mere ko bhi ek kaniya jaisa pota de do

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  42. Sri Sachitananda Sri Satguru Sainath Maharaj Ki Jai
    Om Sai Ram 🙏🙏🙏🌺🌺🌺

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  43. Om sai ram 👏 pls baba be with us always we are nothing without you 👏👏👏

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  44. SAI RAM KRISHNA HARE
    OM SAI RAM
    JAI SAI RAM
    MERE SAI PYARE SAI SABKE SAI
    PROTECT THIS WORLD N US FROM ALL DISEASES AND SINS BABA🙏

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  45. SAI RAM KRISHNA HARE
    BABA U R OUR CREATOR PROTECTOR AND DESTROYER OF ALL OUR EVILS BABA FORGIVE US FOR ALL OUR SINS N PROTECT THIS WORLD N US FROM ALL SINS N DISEASES
    OM SAI RAM MERE SAI PYARE SAI SABKE SAI
    SABKA MALIK EK 🙏❤WE SURRENDER TO U

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  46. Om sai ram om sai ram om sai ram om sai ram om sai ram om 👏baba pls be with us always we are nothing without you 👏👏👏 Baba

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  47. Sri Sai 🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏🌹

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  48. 🙏🙏🕉 OM SAI RAM 🕉 🙏 🙏
    BABA KIRPA KRO MERE BACHE PAR🙏🙏

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  49. Baba pls solve this family issues pls 🙏🙏🙏

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  50. om shri sainathay namha:

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  51. Sri Sai 🙏 🙏 🙏 🙏 🙏

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  52. Om sree sai samarth
    Tq sai

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  53. Om sai nath maharaj ki jai mata di🙏

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  54. Om Sai Ram 🌹🙏

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  55. Om sai Nathan

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  56. Om sai ram g 🙏👨‍👩‍👧‍👦

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  57. Om Sai Ram🌹🙏(prajna)

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  58. 🌸Om 🕉 Shri Sai Ram baba 🌸🌹🌹🌻🌻⚘⚘

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  59. Om 🕉 Sai Ram baba 👪 👨‍👧‍👧 🌷🌷🤲

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  60. Om shri Sai Ram mere pyare baba 🌹🙏

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  61. Om shri Sai Ram mere pyare baba 🙏🌹🙏🌹🙏🙏

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  62. Om sai ram 🙏🌹🌹

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  63. Sai sada kripa karna

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  64. Raham najar kro ab mere sai 🙏 om sai ram g 🙏

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  65. ॐ श्री साईं नाथाय नमः
    सतीश त्यागी काकड़ा, गाजियाबाद

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  66. Om shri Sai Ram mere pyare baba 🌹🙏🌹

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  67. Om shri Sai Ram mere pyare baba 🌹🙏🙏

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  68. Om shri Sai Ram mere pyare baba 🙏🍰🌹🍰

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  69. SAI RAM JEE I HAVE SURRENDERED MYSELF ON YOUR LOTUS FEET
    APKO KOTEE KOTEE PARNAM 🙏🙏

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  70. Om Sai Ram❤️🙏

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  71. OM SAI RAM
    BABA FORGIVE ME
    PROTECT US FROM ALL DISEASES SINS N EVILS
    WE BOW DOWN TO U
    JAI SAI MERE SAI PYARE SAI SABKE SAI🙏❤️

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  72. Om Sai Ram 🙏

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  73. Jay shree Sai Ram

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  74. Neelam
    Jai shree Sai Ram

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  75. Naman
    Jai shree Sai Ram

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  76. Naman jai shree Sai Ram

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  77. Om shri Sai Ram mere pyare baba 🙏🌷🌹🌹

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  78. Om shri Sai Ram mere pyare baba 🎂🙏🌷🌷🌹🌹

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  79. Om shri Sai Ram mere pyare baba 🌹🙏🌷🥭

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  80. Om shri Sai Ram mere pyare baba 🥭🌹🙏🌷🌷🌷🌷

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  81. Sai reham nazar karna bache ka palan karna om sai ram om sai ram om sai ram om sai ram om sai ram

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  82. Om Sai Ram❤️🙏

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  83. Baba aap vo sadguru ho jisne asankhya logo ki zindagi badal di hai.

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  84. Aaj guruji sai baba ke sai sacharitra ki punaravriti aarambh ki hai,sai hum par aashirwad banaye rakhna

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  85. Om shri Sai Ram mere pyare baba 🌹🙏🌹

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  86. Om Sai Ram 🙏🙏

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  87. Om Sai Ram❤️🙏

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  88. Guru maharaj sai baba aap hamesha mere parivaar par apna ashirwad banaye rakhna 🙏🙏

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  89. Om sai ram🙏

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  90. 🙏🙏🕉 OM SAI RAM 🕉 🙏 🙏

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  91. Om shri Sai Ram 🌹🙏🌹🙏🙏

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  92. Om Sai Ram mere pyare baba 🌹🙏🌹

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  93. Om shri Sai Ram mere pyare baba 🌹🙏🌹🙏

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  94. He sai baba mere shareer aur man ke raksha kariye,,🙏🙏

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  95. Om sai ram g🙏

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  96. Sai Ram ji aapka bahut bahut dhanyavaad🙏🙏

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  97. Om Sai Ram❤️🙏

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  98. 🙏🙏🕉 OM SAI RAM 🕉 🙏 🙏

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  99. Sai kripa🙏🙏

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  100. Om namoh shivay 🙏shiv g sda sahay 🙏om namah shivay 🙏guru g sda sahay🙏 om namah shivay🙏 sai g sda sahay🙏

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  101. Tere dware aana hai ,apna sheesh ghukana hai,tughse mil kar Jana hai,phir Milne aana hai🙏🙏

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  102. Om Sai Ram💐🙏

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