Sai Satcharitra Hindi chap 6
श्री साई सच्चरित्र
अध्याय 6 - रामनवमी उत्सव व मसजिद का जीर्णोदृार, गुरु के कर-स्पर्श की महिमा, रामनवमी—उत्सव, उर्स की प्राथमिक अवस्था ओर रुपान्तर एवम मसजिद का जीर्णोदृार
गुरु के कर-स्पर्श के गुण
जब सद्गगुरु ही नाव के खिवैया हों तो वे निश्चय ही कुशलता तथा सरलतापूर्वक इस भवसागर के पार उतार देंगे । सद्गगुरु शब्द का उच्चारण करते ही मुझे श्री साई की स्मृति आ रही है । ऐसा प्रतीत होता है, मानो वो स्वयं मेरे सामने ही खड़े है और मेरे मस्तक पर उदी लगा रहे हैं । देखो, देखो, वे अब अपनग वरद्-हस्त उठाकर मेरे मस्तक पर रख रहे है । अब मेरा हृदय आनन्द से भर गया है । मेरे नेत्रों से प्रेमाश्रु बह रहे है । सद्गगुरु के कर-स्पर्श की शक्ति महान् आश्चर्यजनक है । लिंग (सूक्ष्म) शरीर, जो संसार को भष्म करने वाली अग्नि से भी नष्ट किया जा सकता है, वह केवल गुरु के कर-स्पर्श से ही पल भर में नष्ट हो जाता है । अनेक जन्मों के समस्त पाप भी मन स्थिर हो जाते है । श्री साईबाबा के मनोहर रुप के दर्शन कर कंठ प्रफुल्लता से रुँध जाता है, आँखों से अश्रुधारा प्रवाहित होने लगती है और जब हृदय भावनाओं से भर जाता है, तब सोडहं भाव की जागृति होकर आत्मानुभव के आननन्द का आभास होने लगता है । मैं और तू का भेद (दैृतभाव) नष्ट हो जाता है और तत्क्षण ही ब्रहृा के साथ अभिन्नता प्राप्त हो जाती है । जब मैं धार्मिक ग्रन्थों का पठन करता हूँ तो क्षण-क्षण में सद्गगुरु की स्मृति हो आती है । बाबा राम या कृष्ण का रुप धारण कर मेरे सामने खड़े हो जाते है और स्वयं अपनी जीवन-कथा मुझे सुनाने लगते है । अर्थात् जब मैं भागवत का श्रवण करता हूँ, तब बाबा श्री कृष्ण का स्वरुप धारण कर लेते हैं और तब मुझे ऐसा प्रतीत होने लगता है कि वे ही भागवत या भक्तों के कल्याणार्थ उदृवगीता सुना रहे है । जब कभी भी मै किसी से वार्त्लाप किया करता हूँ तो मैं बाबा की कथाओं को ध्यान में लाता हूँ, जिससे उनका उपयुक्त अर्थ समझाने में सफल हो सकूँ । जब मैं लिखने के लिये बैठता हूँ, तब एक शब्द या वाक्य की रचना भी नहीं कर पाता हबँ, परन्तु जब वे स्वयं कृपा कर मुझसे लिखवाने लगते है, तब फिर उसका कोई अंत नहीं होता । जब भक्तों में अहंकार की वृदिृ होने लगती है तो वे शक्ति प्रदान कर उसे अहंकारशून्य बनाकर अंतिम ध्येय की प्राप्ति करा देते है तथा उसे संतुष्ट कर अक्षय सुख का अधिकारी बना देते है । जो बाबा को नमन कर अनन्य भाव से उनकी शरण जाता है, उसे फिर कोई साधना करने की आवस्यकता नहीं है । धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष उसे सहज ही में प्राप्त हो जाते हैं । ईश्वर के पास पहुँचने के चार मार्ग हैं – कर्म, ज्ञान, योग और भक्ति । इन सबमें भक्तिमार्ग अधिक कंटकाकीर्ण, गडढों और खाइयों से परिपूर्ण है । परन्तु यदि सद्गगुरु पर विश्वास कर गडढों और खाइयों से बचते और पदानुक्रमण करते हुए सीधे अग्रसर होते जाओगे तो तुम अपने ध्येय अर्थात् ईश्वर के समीप आसानी से पहुँच जाओगे । श्री साईबाबा ने निश्चयात्मक स्वर में कहा है कि स्वयं ब्रहा और उनकी विश्व उत्पत्ति, रक्षण और लय करने आदि की भिन्न-भिन्न शक्तियों के पृथकत्व में भी एकत्व है । इसे ही ग्रन्थकारों ने दर्शाया है । भक्तों के कल्याणार्थ श्री साईबाबा ने स्वयं जिन वचनों से आश्वासन दिया था, उनको नीचे उदृत किया जाता है –
मेरे भक्तों के घर अन्न तथा वस्त्रों का कभी अभाव नहीं होगा । यह मेरा वैशिष्टय है कि जो भक्त मेरी शरण आ जाते है ओर अंतःकरण से मेरे उपासक है, उलके कल्याणार्थ मैं सदैव चिंतित रहता हूँ । कृष्ण भगवान ने भी गीता में यही समझाया है । इसलिये भोजन तथा वस्त्र के लिये अधिक चिंता न करो । यदि कुछ मांगने की ही अभिलाषा है तो ईश्वर को ही भिक्षा में माँगो । सासारिक मान व उपाधियाँ त्यागकर ईश-कृपा तथा अभयदान प्राप्त करो और उन्ही के दृारा सम्मानित होओ । सांसारिक विभूतियों से कुपथगामी मत बनो । अपने इष्ट को दृढ़ता से पकड़े रहो । समस्त इन्द्रियों और मन को ईश्वरचिंतन में प्रवृत रखो । किसी पदार्थ से आकर्षित न हो, सदैव मेरे स्मरण में मन को लगाये रखो, ताकि वह देह, सम्पत्ति व ऐश्वर्य की ओर प्रवृत न हो । तब चित्त स्थिर, शांत व निर्भय हो जायगा । इस प्रकार की मनःस्थिति प्राप्त होना इस बात का प्रतीक है कि वह सुसंगति में है । यदि चित्त की चंचलता नष्ट न हुई तो उसे एकाग्र नहीं किया जा सकता ।
बाबा के उपयुक्त को उदृत कर ग्रन्थकार शिरडी के रामनवमी उत्सव का वर्णन करता है । शिरडी में मनाये जाते वाले उत्सवों में रामनवमी अधिक धूमधाम से मनायी जाती है । अतएव इस उत्सव का पूर्ण विवरण जैसा कि साईलीला-पत्रिका (1925) के पृष्ठ 197 पर प्रकाशित हुआ था, यहाँ संक्षेप में दिया जाता है –
प्रारम्भ
कोपरगाँव में श्री गोपालराव गुंड नाम के एक इन्सपेक्टर थे । वे बाबा के परम भक्त थे । उनकी तीन स्त्रियाँ थी, परन्तु एक के भी स्थान न थी । श्री साईबाबा की कृपा से उन्हें एक पुत्र-रत्न की प्राप्ति हुई । इस हर्ष के उपलक्ष्य में सन् 1897 में उन्हें विचार आया कि शिरडी में मेला अथवा उरुस भरवाना चाहिये । उन्होंने यह विचार शिरडी के अन्य भक्त-तात्या पाटील, दादा कोते पाटील और माधवराव के समक्ष विचारणार्थ प्रगट किया । उन सभी को यह विचार अति रुचिकर प्रतीत हुआ तथा उन्हें बाबा की भी स्वीकृत और आश्वासन प्राप्त हो गया । उरुस भरने के लिये सरकारी आज्ञा आवश्यक थी । इसलिये एक प्रार्थना-पत्र कलेक्टर के पास भेजा गया, परन्तु ग्राम कुलकर्णी (पटवारी) के आपत्ति उठाने के कारण स्वीकृति प्राप्त न हो सकी । परन्तु बाबा का आश्वासन तो प्राप्त हो ही चुका था, अतः पुनः प्रत्यन करने पर स्वीकृति प्राप्त हो गयी । बाबा की अनुमति से रामनवमी के दिन उरुस भरना निश्चित हुआ । ऐसा प्रतीत होता है कि कुछ निष्कर्ष ध्यान में रख कर ही उन्होंने ऐसी आज्ञा दी । अर्थात् उरुस व रामनवमी के उत्सवों का एकीकरण तथा हिन्दू-मुसलिम एकता, जो भविष्य की घटनाओं से ही स्पष्ट है कि यह ध्येय पूर्ण सफल हुआ । प्रथम बाधा तो किसी प्रकार हल हुई । अब दितीय कठिनाई जल के अभाव की उपस्थित हुई । शिरडी तो एक छोटा सा ग्राम था और पूर्व काल से ही वहाँ जल का अभाव बना रहता था । गाँव में केवल दो कुएँ थे, जिनमें से एक तो प्रायः को सूख जाया करता था और दूसरे का पानी खारा था । बाबा ने उसमें फूल डालकर उसके खारे जल को मीठा बना दिया । लेकिन एक कुएँ का जल कितने लोगों को पर्याप्त हो सकता था । इसलिये तात्या पाटील ने बाहर से जल मंगवाने का प्रबन्ध किया । लकड़ी व बाँसों की कच्ची दुकानें बनाई गई तथा कुश्तियों का भी आयोजन किया गया । गोपालपाव गुंड के एक मित्र दामू-अण्णा कासार अहमदनगर में रहते थे । वे भी संतानहीन होने के कारण दुःखी थे । श्री साईबाबा की कृपा से उन्हें भी एक पुत्र-रत्न की प्राप्ति हुई थी । श्री गुंड ने उनसे एक ध्वज देने को कहा । एक ध्वज जागीरदार श्री नानासाहेब निमोणकर ने भी दिया । ये दोनों ध्वज बड़े समारोह के साथ गाँव में से निकाले गये और अंत में उन्हें मसजिद, जिसे बाबा दृारकामाई के नाम से पुकारते थे, उसके कोनों पर फहरा दिया गया । यह कार्यक्रम अभी पूर्ववत् ही चल रहा है ।
चन्दन समारोह
इस मेले में एक अन्य कार्यक्रम का भी श्री गणेश हुआ, जो चन्दनोत्सव के नाम से प्रसिदृ है । यह कोरहल के एक मुसलिम भक्त श्री अमीर सक्कर दलाल के मस्तिष्क की सूझ थी । प्रायः इस प्रकार का उत्सव सिदृ मुसलिम सन्तों के सम्मान में ही किया जाता है । बहुत-सा चन्दन घिसकर बहुत सी चन्दन-धूप थालियों में भरी जाती है तथा लोहवान जलाते है और अंत में उन्हें मसजिद में पहुँचा कर जुलूस समाप्त हो जाता है । थालियों का चन्दन और धूप नीम पर और मसजिद की दीवारों पर डाल दिया जता है । इस उत्सव का प्रबन्ध प्रथम तीन वर्षों तक श्री. अमीर सक्कर ने किया और उनके पश्चात उनकी धर्मपत्नी ने किया । इस प्रकार हिन्दुओं दृारा ध्वज व मुसलमानों के दृारा चन्दन का जुलूस एक साथ चलने लगा और अभी तक उसी तरह चल रहा है ।
प्रबन्ध
रामनवमी का दिन श्री साईबाबा के भक्तों को अत्यन्त ही प्रिय और पवित्र है । कार्य करने के लिये बहुत से स्वयंसेवक तैयार हो जाते थे और वे मेले के प्रबन्ध में सक्रिय भाग लेते थे । बाहर के समस्त कार्यों का भार तात्या पाटील और भीतर के कार्यों को श्री साईबाबा की एक परम भक्त महिला राधाकृश्ण माई सम्हिलती थी । इस अवसर पर उनका निवासस्थान अतिथियों से परिपूर्ण रहता और उन्हें सब लोगों की आवश्यकताओं का भी ध्यान रखना पड़ता था । साथ ही वे मेले की समस्त आवश्यक वस्तुओं का भी प्रबन्ध करता थीं । दूसरा कार्य जो वे स्वयं खुशी से किया करती, वह था मसजिद की सफाई करना, चूना पोतना आदि । मसजिद की फर्श तथा दीवारें निरन्तर धूनी जलने के कारण काली पड़ गयी थी । जब रात्रि को बाबा चावड़ी में विश्राम करने चले जाते, तब वे यह कार्य कर लिया करती थी । समस्त वस्तुएँ धूनी सहित बाहर निकालनी पड़ती थी और सफई व पुताई हो जाने के पश्चात् वे पूर्ववत् सजा दी जाती थी । बाबा का अत्यन्त प्रिय कार्य गरीबों को भोजन कराना भी इस कार्यक्रम का एक अंग था । इस कार्य के लिये वृहद् भोज का आयोजन किया जाता था और अनेक प्रकार की मिठाइयाँ बनाई जाती थी । यह सब कार्य राधाकृष्णमगई के निवासस्थान पर ही होता था । बहुत से धनाढ्य व श्रीमंत भक्त इस कार्य में आर्थिक सहायता पहुँचाते थे ।
उर्स का रामनवमी के त्यौहार में समन्वय
सब कार्यक्रम इसी तरह उत्तम प्रकार से चलता रहा और मेले का महत्व शनैः शनैः बढ़ता ही गया । सन् 1911 में एक परिवर्तन हुआ । एक भक्त कृष्णराव जोगेश्वर भीष्म (श्री साई सगुणोपासना के लेखक) अमरावती के दादासाहेब खापर्डे के साथ मेले के एक दिन पूर्व शिरडी के दीक्षित-वाड़े में ठहरे । जब वे दालान में लेटे हुए विश्राम कर रहे थे, तब उन्हें एक कल्पना सूझी । इसी समय श्री. लक्ष्मणराव उपनाम काका महाजनी पूजन सामग्री लेकर मसजिद की ओर जा रहे थे । उन दोनों में विचार-विनिमय होने लगा ओर उन्होने सोचा कि शिरडी में उरुस व मेला ठीक रामनवमी के दिन ही भरता है, इसमें अवश्य ही कोई गुढ़ रहस्य निहित है । रामनवमी का दिन हिन्दुओं को बहुत ही प्रिय है । कितना अच्छा हो, यदि रामनवमी उत्सव (अर्थात् श्री राम का जन्म दिवस) का भी श्री गणेश कर दिया जाय । काका महाजनी को यह विचार रुचिकर प्रतीत हुआ । अब मुख्य कठिनाई हरिदास के मिलने की थी, जो इस शुभ अवसर पर कीर्तन व ईश्वर-गुणानुवाद कर सकें । परन्तु भीष्म ने इस समस्या को हल कर दिया । उन्होंने कहा कि मेरा स्वरचित राम आख्यान, जिसमें रामजन्म का वर्णन है, तैयार हो चुका है । मैं उसका ही कीर्तन करुँगा और तुम हारमोनियम पर साथ करना तथा राधाकृष्णमाई सुंठवडा़ (सोंठ का शक्कर मिश्रित चूर्ण) तैयार कर देंगी । तब वे दोनों शीघ्र ही बाबा की स्वीकृति प्राप्त करने हेतु मसजिद को गये । बाबा तो अंतर्यामी थे । उन्हें तो सब ज्ञान था कि वाड़े में क्या-क्या हो रहा है । बाबा ने महाजनी से प्रश्न किया कि वहाँ क्या चल रहा था । इस आकस्मिक प्रश्न से महाजनी घबडा गये और बाबा के शब्दों से पुछा कि क्या बात है । भीष्म ने रामनवमी-उत्सव मनाने का विचार बाबा के समक्ष प्रस्तुत किया तथा स्वीकृति देने की प्रार्थना की । बाबा ने भी सहर्ष अनुमति दे दी । सभी भक्त हर्षित हहुये और रामजन्मोत्सव मनाने की तैयारियाँ करने लगे । दूसरे दिन रंग-बिरंगी झंडियों से मसजिद सजा दी गई । श्रीमती राधाकृष्णमाई ने एक पालना लाकर बाबा के आसन के समक्ष रख दिया और फिर उत्सव प्रारम्भ हो गया । भीष्म कीर्तन करने को खड़े हो गये और महाजनी हारमोनियम पर उनका साथ करने लगे । तभी बाबा ने महाजनी को बुलाबा भेजा । यहाँ महाजनी शंकित थे कि बाबा उत्सव मनाने की आज्ञा देंगे भी या नहीं । परन्तु जब वे बाबा के समीप पहुँचे तो बाबा ने उनसे प्रश्न किया यह सब क्या है, यह पलना क्यों रखा गया है महाजनी ने बतलाया कि रामनवमी का कार्यक्रम प्रारम्भ हो गया और इसी कारण यह पालना यहाँ रखा गया । बाबा ने निम्बर पर से दो हार उठाये । उनमें से एक हार तो उन्होंने काका जी के गले में डाल दिया तथा दूसरा भीष्म के लिये भेज दिया । अब कीर्तन प्रारम्भ हो गया था । कीर्तन समाप्त हुआ, तब श्री राजाराम की उच्च स्वर से जयजयकार हुई । कीर्तन के स्थान पर गुलाल की वर्षा की गई । जब हर कोई प्रसन्नता से झूम रहा था, अचानक ही एक गर्जती हुई ध्वनि उनके कानों पर पड़ी । वस्तुतः जिस समय गुलाल की वर्षा हो रही थी तो उसमें से कुछ कण अनायास ही बाबा की आँख में चले गये । तब बाबा एकदम क्रुदृ होकर उच्च स्वर में अपशव्द कहने व कोसने लगे । यह दृश्य देखकर सब लोग भयभीत होकर सिटपिटाने लगे । बाबा के स्वभाव से भली भाँति परिचित अंतरंग भक्त भला इन अपशब्दों का कब बुरा माननेवाले थे । बाबा के इन शब्दों तथा वाक्यों को उन्होंने आर्शीवाद समझा । उन्होंने सोचा कि आज राम का जन्मदिन है, अतः रावण का नाश, अहंकार एवं दुष्ट प्रवृतिरुपी राक्षसों के संहार के लिये बाबा को क्रोध उत्पन्न होना सर्वथा उचित ही है । इसके साथ-साथ उन्हें यह विदित था कि जब कभी भी शिरडी में कोई नवीन कार्यक्रम रचा जाता था, तब बाबा इसी प्रकार कुपित या क्रुदृ हो ही जाया करते थे । इसलिये वे सब स्तब्ध ही रहे । इधर राधाकृष्णमाई भी भयभीत थी कि कही बाबा पालना न तोड़-फोड़ डालें, इसलिये उन्होंने काका महाजनी से पालना हटाने के लिए कहा । परन्तु बाबा ने ऐसा करने से उन्हें रोका । कुछ समय पश्चात् बाबा शांत हो गये और उस दिन की महापूजा और आरती का कार्यक्रम निर्विध्र समाप्त हो गया । उसके बात काका महाजनी ने बाबा से पालना उतारने की अनुमति माँगी परन्तु बाबा ने अस्वीकृत करते हुये कहा कि अभी उत्सव सम्पूर्ण नहीं हुआ है । अगने दिन गोपाल काला उत्सव मनाया गया, जिसके पश्चात् बाबा ने पालना उतारने की आज्ञा दे दी । उत्सव में दही मिश्रित पौहा एक मिट्टी के बर्तन में लटका दिया जाता है और कीर्तन समाप्त होने पर वह बर्तन फोड़ दिया जाता है, और प्रसाद के रुप में वह पौहा सब को वितरित कर दिया जाता है, जिस प्रकार कि श्री कृष्ण ने ग्वालों के साथ किया था । रामनवमी उत्सव इसी तरह दिन भर चलता रहा । दिन के समय दो ध्वजों जुलूस और रात्रि के समय चन्दन का जुलूस बड़ी धूमधाम और समारोह के साथ निकाला गया । इस समय के पश्चात ही उरुस का उत्सव रामनवमी के उत्सव में परिवर्तित हो गया । अगले वर्ष (सन् 1912) से रामनवमी के कार्यक्रमों की सूची में वृदिृ होने लगी । श्रीमती राधाकृष्णमाई ने चैत्र की प्रतिपदा से नामसप्ताह प्रारम्भ कर दिया । (लगातार दिन रात 7 दिन तक भगवत् नाम लेना नामसप्ताह कहलाता है) सब भक्त इसमें बारी-बारी से भागों से भाग लेते थे । वे भी प्रातःकाल सम्मिलित हो जाया करते थीं । देश के सभी भागों में रामनवमी का उत्सव मनाया जाता है । इसलिये अगले वर्ष हरिदास के मिलने की कठिनाई पुनः उपस्थित हुई, परन्तु उत्सव के पूर्व ही यह समस्या हल हो गई । पाँच-छः दिन पूर्व श्री महाजनी की बाला बुवा से अकस्मात् भेंट हो गी । बुवासाहेब अधुनिक तुकाराम के नाम से प्रसिदृ थे और इस वर्ष कीर्तन का कार्य उन्हें ही सौंपा गया । अगले वर्ष सन् 1913 में श्री हरिदास (सातारा जिले केबाला बुव सातारकर) बृहद्सिदृ कवटे ग्राम में प्लेग का प्रकोप होने के कारण अपने गाँव में हरिदास का कार्य नहीं कर सकते थे । इस इस वर्ष वे शिरडी में आये । काकासाहेब दीक्षित ने उनके कीर्तन के लिये बाबा से अनुमति प्राप्त की । बाबा ने भी उन्हें यथेष्ट पुरस्कार दिया । सन् 1914 से हरिदास की कठिनाई बाबा ने सदैव के लिये हल कर दी । उन्होंने यह कार्य स्थायी रुप से दासगणू महाराज के सौंप दिया । तब से वे इस कार्य को उत्तम रीति से सफलता और विदृतापूर्वक पूर्ण लगन से निभाते रहे । सन् 1912 से उत्सव के अवसर पर लोगों की संख्या में उत्तरोत्तर वृदि होने लगी । चैत्र शुक्ल अष्टमी से दृादशी तक शिरडी में लोगों की संख्या में इतनी अधिक वृदि हो जाया करती थी, मानो मधुमक्खी का छत्ता ही लगा हो । दुकानों की संख्या में बढ़ती हो गई । प्रसिदृ पहलवानों की कुश्तियाँ होने लगी । गरीबों को वृहद् स्तर पर भोजन कराया जाने लगा । राधाकृष्णमाई के घोर परिश्रम के फलस्वरुप शिरडी को संस्थान का रुप मिला । सम्पत्ति भी दिन-प्रतिदिन बढ़ने लगी । एक सुन्दर घोड़ा, पालकी, रथ ओर चाँदी के अन्य पदार्थ, बर्तन, पात्र, शीशे इत्याति भक्तों ने उपहार में भेंट किये । उत्सव के अवसर पर हाथी भी बुलाया जाता था । यघपि सम्पत्ति बहुत बढ़ी, परन्तु बाबा उल सब से सदा साधारण वेशभूषा घारण करते थे । यह ध्यान देने योग्य है कि जुलूस तथा उत्सव में हिन्दू और मुसलमान दोनों ही साथ-साथ कार्य करते थे । परन्तु आज तक न उनमें कोई विवाद हुआ और न कोई मतभेद ही । पहनेपहन तो लोगों की संख्या 5000-7000 के लगभग ही होता थी । परन्तु किसी-किसी वर्ष तो यह संख्या 75000 तक पहुँच जाती थी । फिर भी न कभी कोई बीमारी फैली और न कोई दंगा ही हुआ ।
मसजिद का जीर्णोदृार
जिस प्रकार उरुस या मेला भराने का विचार प्रथमतः श्री गोपाल गुंड को आया था, उसी प्रकार मसजिद के जीर्णोदृार का विचार भी प्रथमतः उन्हें ही आया । उन्होंने इस कार्य के निमित्त पत्थर एकत्रित कर उन्हें वर्गाकार करवाया । परन्तु इस कार्य का श्रेय उन्हें प्राप्त नहीं होना था । वह सुयश तो नानासाहेब चाँदोरकर के लिये ही सुरक्षित था और फर्श का कार्य काकासाहेब दीक्षित के लिये । प्रारम्भ में बाबा ने इन कार्यों के लिये स्वीकृति नहीं दी, परन्तु स्थानीय भक्त म्हालसापति के आग्रह करने सा बाबा की स्वीकृति प्राप्त हो गई और एक रात में ही मसजिद का पूरा फर्श बन गया । अभी तक बाबा एक टाट के ही टुकड़े पर बैठते थे । अब उस टाट के टुकड़े को वहाँ से हटाकर, उसके स्थान पर एक छोटी सी गादी बिछा दी गई । सन् 1911 में सभामंडप भी घोर परिश्रम के उपरांत ठीक हो गया । मसजिद का आँगन बहुत छोटा तथा असुविधाजनक था । काकासाहेब दीक्षित आँगन को बढ़कर उसके ऊपर छप्पर बनाना चाहते थे । यथेष्ठ द्रव्यराशि व्यय कर उन्होंने लोहे के खम्भे, बल्लियाँ व कैंचियाँ मोल लीं और कार्य भी प्रारम्भ हो गया । दिन-रात परिश्रम कर भक्तों ने लोहे के खम्भे जमीन में गाड़े । जब दूसरे दिन बाबा चावड़ी से लौटे, उन्होंने उन खमभों को उखाड़ कर फेंक दिया और अति क्रोधित हो गये । वे एक हाथ से खम्भा पकड़ कर उसे उखाड़ने लगे और दूसर हाथ से उन्होंने तात्या का साफा उतार लिया और उसमें आग लगाकर गड्ढे में फेंक दिया । बाबा के नेत्र जलते हुए अंगारे के सदृश लाल हो गये । किसी को भी उनकी ओर आँख उठा कर देखने का साहस नहीं होता था सभी बुरी तरह भयभीत होकर विचलित होने लगे कि अब क्या होगा । भागोजी शिंदे (बाबा के एक कोढ़ी भक्त) कुछ साहस कर आगे बढ़े, पर बाबा ने उन्हें धक्का देकर पीछे ढकेल दिया । माधवराव की भी वही गति हुई । बाबा उनके ऊपर भी ईंट के ढेले फेंकने लगे । जो भी उन्हें शान्त करने गया, उसकी वही दशा हुई ।
कुछ समत के पश्चात् क्रोध शांत होने पर बाबा ने एक दुकानदार को बुलाया और एक जरीदार फेंटा खरीद कर अपने हाथों से उसे तात्या के सिर पर बाँधने लगे, जैसे उन्हें विशेष सम्मान दिया गया हो । यह विचित्र व्यवहार देखकर भक्तों को आश्चर्य हुआ । वे समझ नहीं पा रहे थे कि किस अज्ञात कारण से बाबा इतने क्रोधित हुए । उन्होंने तात्या को क्यों पीटा और तत्क्षण ही उनका क्रोध क्यों शांत हो गया । बाबा कभी-कभी अति गंभीर तथा शांत मुद्रा में रहते थे और बड़े प्रेमपूर्वक वार्तालाप किया करते थे । परन्तु अनायास ही बिना किसी गोचर कारण के वे क्रोधित हो जाया करते थे । ऐसी अनेक घटनाएँ देखने में आ चुकी है, परन्तु मैं इसका निर्णय नहीं कर सकता कि उनमें से कौन सी लिखूँ और कौन सी छोडूँ । अतः जिस क्रम से वे याद आती जायेंगी, उसी प्रकार उनका वर्णन किया जायगा । अगले अध्याय में बाबा यवन हैं या हिन्दू, इसका विवेचन किया जायेगा तथा उनके योग, साधन, शक्ति और अन्य विषयों पर भी विचार किया जायेगा ।
।। श्री सद्रगुरु साईनाथार्पणमस्तु । शुभं भवतु ।।
BLOLO SAINATH MAHARAJ KI JAI
ReplyDeleteOm sai ran
DeleteOm sai ram 🙏🙏
DeleteJai Sri Sai Nath
DeleteBlessing me
Delete🌹Om sri sai nathay namah🌹
DeleteOm sai namo namah Sri Sai namo namah Jai Jai sai namo namah sadguru sai namonamaha...
DeleteOm Sai Ram
Deletejai sai ram
ReplyDeleteBolo Shree Satchitanand Sadguru Sainath Maharaj ki Jay.
ReplyDeleteJay Gurudevji.
ReplyDeleteOm sai ram
ReplyDeleteJai sai baba
ReplyDeleteMere Sai nath
ReplyDeleteJai SHREE Ram
ReplyDeleteOm SaiRam
ReplyDeleteJai Satguru Sainat
ReplyDeleteOm Sai Ram🙏🌷🌷🌹🌹💐💐
ReplyDeleteJai sai ramji
ReplyDeleteJai sai ram
ReplyDeleteॐ साई राम
ReplyDeletejai sai ram.
ReplyDeleteJai Sai Baba Ji Ki
ReplyDeleteJai mere Baba Jai Sai Ram
ReplyDeleteOn said ram
ReplyDeleteOM SAI RAM ...SHREE SATCHIDANANDA SADGURU SAINATH MAHARAJ KI JAI
ReplyDeletejai sai ram
ReplyDeletejai sai ram
ReplyDeleteSri Sai💐🙏❤️💐🙏
ReplyDeleteOm shred sadchidanand sadguru sainath maharaja ki jai namami eshwaram sadguru sai natham he param pita sai baba ham par kripa karana dena name sadbuddhi air hamesha there charno me mere parivar ko sharan dena bhagvan there kripa ke liye name kayak banana bhagvan sai om
ReplyDeleteGod dwells in everyone,
ReplyDeletetherefore do not hate or envy anyone.
See God in each and every form,
There is not an iota of space without Him.
baba mughe bhi Satan sukh dedo please sai give me child please sai give me child please sai give me child please sai give me child please sai give me child please
ReplyDeleteKabhi haar mat manna main aaj pathar se sona hui hu sirf sai ki wjah se
DeleteJha log mujhe puchte nhi the aaj aage piche ghumte ha
Sai jrur sunege ek din dekh lena
Om Sai ram
DeleteShraddh or saburi rakho .. baba ek din jarur sunenge har cheez ka samay ata hai pr sai pr vishwas rkhe kyuki uss jb sai ke sharan me ho toh wo kabhi apko khali nahi bhejenge
DeleteOm Sai Ram 🙏
DeleteOm Sai Ram 🙏
DeleteOm sai ram
ReplyDeleteSri saij🙏
ReplyDeleteOm sai ram 🙏
ReplyDeleteSai nath maharaj ki jai😊😊🙏🙏baba apni kripa bnaye rakhna.Mai or mere bachche apki sharan mai hai hm pr daya karo baba.🙏🙏🌹🌹🌹🌹🌹🙏🙏🌹🌹🌹🌹🌹🙏🙏kripa karo baba kripa karo.🙏🙏🌹🌹🙏🙏🌹🌹🙏🙏🌹🌹🙏🙏🌹🌹🙏🙏
ReplyDeleteOm sai ram
ReplyDelete🙏🚩🌹om sai ram🌹🚩🙏
ReplyDeleteOm sai 🙏🌹🙏
ReplyDeleteOm sai nathaye nmah
ReplyDeleteOm sai ram kirpa kro🙏
ReplyDeleteLove u sai baba
ReplyDeleteOm Sai ram 🙏
ReplyDeleteOm sai ram 💐🙏💐💐🕉️🎂🎂😊🎂😊🎂🌹🎂🌹🌹🙏🙏🎊🎊🙏🎉🙏
ReplyDeleteOm sai ram 🙏 🙏
ReplyDeleteSai ram ji
ReplyDeleteom sai Ram 🌷🌷🌷🌷🌷🙏🙏🙏🙏🙏.Sai baba mujper kripa karna.
ReplyDeleteOm SAI Ram🙏
ReplyDeleteOm Sai Ram...madad karo naath🙏
ReplyDeleteHmesha sahara diya hai is baar bhi ubaar lo taar do prabhu🙏
ReplyDeleteOM SAI RAM
ReplyDeleteSai mera bada bhai meri maa ki izzat kare uska maan rakhe milke rahe use koi kaam dila do accha sa om sai ram
ReplyDeleteOm Sai Ram 🙏
ReplyDeleteJai sai ram
ReplyDeleteOm namoh Shri Sai prabhu namah 🙏 love you so much Baba g 🙏
ReplyDeleteom shree sai nathay namah.babaji mujhhe bhi ek swasth putra ki mata bana dijiye🙏
ReplyDeleteSri Sai🙏🙏
ReplyDeleteOm sai ram🙏🏻🙏🏻
ReplyDeletedhri sachchidannd sadguru sai nath maharaj ki jai ho 🙏 love you so much baba g 🙏
ReplyDeletedhri sachchidannd sadguru sai nath maharaj ki jai ho 🙏 love you so much baba g 🙏
ReplyDeleteOm Sai Ram 🙏🙏😍😍😍🌹🌹❤️❤️
ReplyDeleteAnantKoti BramadNayak RajadiRaj ParamBharam SacchiDanand SatGuru Shree SaiNath Maharaj Ki Jaiiii😍😍😍🌹🌹😘🕉️🕉️
ReplyDeleteOm Sai Namaho Namah Shree Shirdhi Sai Namaho Namah
ReplyDeleteOm Sai Namaho Namah Shree Shirdhi Sai Namaho Namah 🌹😍🙏🤗🤗🤗🤗🤗😘😘😘🕉️😘🙏🙏😘😀😃😃🥰🥰🤗🥰😘
ReplyDeleteBaba Om Baba Raksha Krna Sorry Baba Maaf Kr Do Pleaseeee Love You Baba❤️❤️❤️❤️❤️🥰🥰😘😘🤗
ReplyDeleteSab Acha Kr Do Achi Buddhi Do Acha Mann Do Sadha Khush Rhe Har Tarah Se Om Sai Ram Om Sai Ram 🥰😘😘🕉️🕉️🙏😀😃💐💐🤩♥️🥰😘😘
Sri Sai nath namastu
ReplyDeletesai rhm njr krna shivank g or unki mummy g ki raksha krna 🙏 love you so much baba g ka
ReplyDeleteOM SAI RAM 🙏🙏🙏🙏🙏🙏💐💐💐💐💐💐⚘
ReplyDeleteOm Sai Ram ❤️
ReplyDeleteOm sai ram 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
ReplyDeleteSRI Sai Ram 🙏🏻♥️
ReplyDeleteom shree sai Samarth 🙏
ReplyDeleteॐ साई राम ।। 🙏🙏
ReplyDeleteओम ओम साईं नाथाय नमः ओम साईं नाथाय नमः ॐ साईं नाथाय नमः ॐ साईं नाथाय नमः ॐ साईं नाथाय नमः ओम साईं सतगुरु महाराज की जय 💐💐👏👏👏👏💐💐💐
ReplyDeleteOm Sai Namo Namah🙏🙏
ReplyDeleteOm sai ram🙏
ReplyDeleteॐ साईं राम
ReplyDeleteOm 🕉sairam
ReplyDelete🙏🏻JAI SAI RAM🌹
ReplyDeleteOm sai ram 🙏🙏🙏
ReplyDeleteOm sai
ReplyDeleteSai apni kripa karna mujhe pe aur mere bete pe.🙏🙏
ReplyDeleteOM SAI RAM
ReplyDeleteOm Sai Ram🙏🙏
ReplyDeleteOm sai Ram 🙏🙏🙏🙏
ReplyDeleteOm Sai Ram
ReplyDeleteOm sai ram baba hum sab per apni kyapa karnaom sai
ReplyDelete🙏sadguru sai nath maharaj ki jai 🙏
ReplyDeleteSri Sai🌹🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏
ReplyDeleteOm jai sai ram
ReplyDelete😀😀😀😀😀😀 गांजा पीने वाला अक्सर ऐसा करता है कभी सांत कभी गुस्सा
ReplyDeleteसाई गांजा मास्टर था मांस बिरयानी खाने वाला था गाली देने वाला और दूसरे को पत्थर से मारने वाला फिर भी लोग उसका टट्टी को सिर में रखा 😀😀😀😀😀 कौन हैं लोग कँहा से आते हैं ये लोग
Sai rhm njr krna bcho ka paln Krna 🙏 I m sorry plz forgive me 😭 thankuuuu you so much baba ji 🙏 love you so much baba ji 🙏
ReplyDelete🙏🏼❤️om sai ram ❤️🙏🏼
ReplyDeleteOm sai ram ji
ReplyDeleteOm Sai Ram🙏🙏
ReplyDeleteOm sai Ram ji 8
ReplyDeleteOm Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
ReplyDeleteॐ साईं राम!! बोलो साईं नाथ महाराज की जय!!🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
ReplyDeleteSri Sai🙏❤️🌹🙏❤️🌹🙏❤️🌹🙏❤️🌹🙏🌹❤️.... Please bless my husband 🙏🌹
ReplyDeleteJai shri sai samarth🙏 I m sorry plz forgive me🙇 I thanku🙏 I love you so much baba ji🙏 💕👨👩👦👦
ReplyDeleteOM SAI RAM
ReplyDeleteOm sai ram om sai ram om sai ram om sai ram om sai ram om sai ram om sai ram om sai ram om sai ram om sai ram om sai ram om sai ram om sai ram om sai ram om sai ram om sai ram om sai ram om sai ram om sai ram om sai ram om sai ram om sai ram om sai ram om sai ram om sai ram om sai ram om sai ram om sai ram om sai ram om sai ram om sai ram om sai ram om sai ram om sai ram om sai ram om sai ram om sai ram om sai ram om sai ram om sai ram om sai ram om sai ram om sai ram om sai ram om sai ram om sai ram om sai ram om sai ram
ReplyDeleteOm sai ram
ReplyDelete🙏🙏🕉 OM SAI RAM 🕉 🙏🙏
ReplyDeleteOm Sai Ram 🙏
ReplyDeleteO Om Sai nathaya namaha Om Sai nathaya namaha Om Sai nathaya namaha Om Sai Ram
ReplyDeleteOm sai Ram om sai ram om sai ram om sai ram om sai ram om sai ram om sai om sai ram.baba pls be with us always we nothing without you 👏👏👏💐
ReplyDeleteOm sai ram🙏🏽
ReplyDeleteSri Sai❤️🙏
ReplyDeleteOM SRI SAI NATHAY NAMAH
ReplyDeleteSAI RAM JEE, you know KUNAL has a interview tomorrow, please bless him so he get selected and get a job
SAI RAM JEE APKO KOTEE KOTEE PARNAM 🙏🙏
Om sai ram ji
ReplyDeleteSAI RAM KRISHNA HARE
ReplyDeleteOM SAI RAM
AP HEE BRAHMA AP HEE VISHNU AP HEE DEVA DI DEV MAHADEV HO JAI HO SAI SADHGURU
BABA FORGIVE ME FOR ALL MY SINS M WORTHLESS PROTECT THIS WORLD N US FROM ALL DISEASES SINS N EVILS WE SURRENDER TO U SHRI SAI SHOWER UR BLESSINGS ON US
MERE SAI PYARE SAI SABKE SAI
OM SAI RAM
BOW TO SHRI SAI BABA PEACE BE TO ALL🙏🙏
SAI RAM KRISHNA HARE
ReplyDeleteOM SAI RAM
AP HEE BRAHMA AP HEE VISHNU AP HEE DEVA DI DEV MAHADEV HO JAI HO SADHGURU SHRI SAI
BABA FORGIVE ME FOR ALL MY SINS M WORTHLESS PROTECT THIS WORLD N US FROM ALL DISEASES SINS N EVILS WE SURRENDER TO U SHRI SAI SHOWER UR BLESSINGS ON US
MERE SAI PYARE SAI SABKE SAI
OM SAI RAM
BOW TO SHRI SAI BABA PEACE BE TO ALL🙏🙏
SAI RAM KRISHNA HARE
ReplyDeleteOM SAI RAM
BABA PROTECT N BLESS THIS WORLD N US
WE SURRENDER TO U MY SAI
U R THE CREATOR PROTECTOR AND DESTROYER OF EVILS
JAI SAI RAM
FORGIVE ME FOR ALL MY SINS BABA🙏🙏
BOW TO SHRI SAI BABA PEACE BE TO ALL🙏🙏
SAI RAM KRISHNA HARE
ReplyDeleteOM SAI RAM
BABA PROTECT N BLESS THIS WORLD N US
WE SURRENDER TO U MY SAI
U R THE CREATOR PROTECTOR AND DESTROYER OF ALL EVILS SINS N DISEASES
JAI SAI RAM
FORGIVE ME FOR ALL MY SINS BABA
BOW TO SHRI SAI BABA PEACE BE TO ALL🙏🙏
Sri Sai 🙏 ❤🙏❤🙏❤🙏❤🙏🙏❤
ReplyDeleteJai sai ram
ReplyDeleteOm sai ram 🙏
ReplyDelete🙏🙏🕉 OM SAI RAM 🕉 🙏 🙏
ReplyDeleteBaba pls take care of family issues 🙏🏽🙏🏽🙏🏽 pls deva
ReplyDeleteSri Sai
ReplyDeleteOm SaiRam 🙏🙏
ReplyDeleteOM SAI RAKSHAK SHARNAM DEVA
ReplyDeleteOm sai ram
ReplyDeleteOM SAI RAKSHAK SHARNAM DEVA
ReplyDeleteOM SAI RAKSHAK SHARNAM DEVA
ReplyDeleteOM SAI RAKSHAK SHARNAM DEVA
ReplyDeleteOM SAI RAKSHAK SHARNAM DEVA
ReplyDeleteOM SAI RAKSHAK SHARNAM DEVA
ReplyDeleteJAI Sai 😊
ReplyDelete✨️🙏🏼ॐ साई राम 🙏🏼✨️
ReplyDeleteOm sai ram g🙏 mera sahara mere saiya mera vishwas hai🙏
ReplyDeleteOm Sai Ram ji❤️❤️❤️
ReplyDeleteOm Sai Ram ji❤️❤️❤️
ReplyDeleteOm Sai Ram🌹🙏(prajna)
ReplyDeleteOm sai ram g🙏
ReplyDeleteOm sai ram
ReplyDeleteOm Sai Ram 🌹 🙏 ( prajna)
ReplyDeleteOm sai ram
ReplyDeleteRaham najar kro ab mere sai 🙏om sai ram g🙏
ReplyDeleteOm sai ram
ReplyDeleteSAI RAM JEE PLEASE BLESS MY CHILDREN, please shower happiness in our family
ReplyDeleteAPKO KOTEE KOTEE PARNAM 🙏🙏
I m sorry🙏 plz forgive me🙇 I thanku🥰 I love you so much baba ji 💏💕
ReplyDeleteSai Ram
ReplyDeleteOm shri Sai Ram mere pyare baba 🙏🌹🙏
ReplyDeleteOm Sai Ram
ReplyDeleteOm shri Sai Ram mere pyare baba 🙏🍫🍫🥭🍰🌹🌹
ReplyDeleteDear Sainath bless all your devotees
ReplyDeleteNeelam Mishra
ReplyDeleteOm Sai Ram
Om Sai Ram
Naman Mishra
ReplyDeleteOm Sai Ram
Om Sai Ram
Sai Baba aapki hamesha jai jai kar ho
ReplyDeleteOm shree sai nathay namah 🙏🙏🌹🌹
ReplyDeleteOm Sai Ram❤️🙏
ReplyDeleteOm shri Sai Ram🌹🌷🌹🌹
ReplyDelete🌹🙇♀️🙏🏻
ReplyDelete💞JAI SAI RAM💞
ReplyDeleteगुरु कृपाजन पायो मेरे भाई,
ReplyDeleteरामबिना कछु जानत नाहीं
अंतर राम ही बहार राम ही
जह देखों वहां राम ही राम ही,
गुरुकृपाजन पायो मेरे भाई,
जागत राम ही सोवत राम ही,
सपने में देखूं राजा राम ही,
गुरुकृपाजन पायो मेरे भाई,
Om Sai Ram 🙏
ReplyDeleteOm Sai Ram daya baba
ReplyDeleteOm sai ram
ReplyDeleteOm Sai Ram
ReplyDeleteॐ साई
ReplyDeleteom sai ram🙏..ravi m
ReplyDeleteOm Sai Ram🙏
ReplyDeleteOm Sai Ram
ReplyDeleteOm sairam🙏🙏🙏🙏
ReplyDeleteOm Sai Ram🙏
ReplyDeleteOm jai sairam
ReplyDeleteBaba aap hamare guru ho ,aapka aashirwad sada hum par bana rahe.....
ReplyDeleteOm sai ram 🙏🙏🙏
ReplyDeleteOm sai ram.....
ReplyDeleteom sai ram...🙏🙏🙏🙏
ReplyDeleteOm Sai Ram❤️🙏
ReplyDeleteOm sai ram🙏🙏🙏🙏🙏
ReplyDelete🙏🙏🕉 OM SAI RAM 🕉 🙏🙏
ReplyDeleteOm sai ram g
ReplyDeleteOm sai ram
ReplyDeleteOm namah shivaay shiv g sda sahay I'm namah shivay guru g sda sahay 🙏
ReplyDeleteOm Sai Ram
ReplyDeleteOm Sai Ram ❤️
ReplyDeleteOm.sai ram.
ReplyDeleteBaba aapki jaijaikaar ho🙏🙏
ReplyDeleteOm namah shivaay shiv g sda sahay 🙏
ReplyDeleteom namah shivaay guru g sda sahay🙏
Om namah shivay sai g sda sahay🙏
Om Sai Ram
ReplyDeleteOm Sai Ram
ReplyDeleteBaba mere bachho ki sadiv raksha kare apna aashis unhe pradan kare.
ReplyDeleteJai sai 🙏
ReplyDeleteOm sai ram♥️
ReplyDeleteSai meri araj bhi sun lo🙏🙏
ReplyDeleteSainath tere hazaaron haath
ReplyDeleteOm Sai Ram
ReplyDeleteOm Sai Ram💐🙏
ReplyDeleteOm sai ram g
ReplyDeleteOm Sai ram Sai ma
ReplyDeleteOm Sai Ram
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