Sunday 18 December 2011

SAI SATCHARITRA IN HINDI CHAPTER 4

Sai Satcharitra Hindi chap 4

श्री साई सच्चरित्र

अध्याय 4 - श्री साई बाबा का शिरडी में प्रथम आगमन

सन्तों का अवतार कार्य, पवित्र तीर्थ शिरडी, श्री साई बाबा का व्यक्तित्व, गौली बुवा का अनुभव, श्री विटठल का प्रगट होना, क्षीरसागर की कथा, दासगणु का प्रयाग – स्नान, श्री साई बाबा का शिरडी में प्रथम आगमन, तीन वाडे़ ।


सन्तों का अवतार कार्य

भगवद्गगीता (चौथा अध्याय 7-8) में श्री कृष्ण कहते है कि जब जब धर्म की हानि और अधर्म की वृदि होता है, तब-तब मैं अवतार धारण करता हूँ । धर्म-स्थापन दुष्टों का विनाश तथा साधुजनों के परित्राण के लिये मैं युग-युग में जन्म लेता हूँ । साधु और संत भगवान के प्रतिनिधिस्वरुप है । वे उपयुक्त समय पर प्रगट होकर अपनी कार्यप्रणाली दृारा अपना अवतार-कार्य पूर्ण करते है । अर्थात् जब ब्राहमण, क्षत्रिय और वैश्य अपने कर्तव्यों में विमुख हो जाते है, जब शूद्र उच्च जातियों के अधिकार छीनने लगते है, जब धर्म के आचार्यों का अनादर तथा निंदा होने लगती है, जब धार्मिक उपदेशों की उपेक्षा होने लगती है, जब प्रत्येक व्यक्ति सोचने लगता है कि मुझसे श्रेष्ठ विदृान दूसरा नहीं है, जब लोग निषिदृ भोज्य पदार्थों और मदिरा आदि का सेवन करने लगते है, जब धर्म की आड़ में निंदित कार्य होने लगते है, जब भिन्न-भिन्न धर्मावलम्बी परस्पर लड़ने लगते है, जब ब्राहमण संध्यादि कर्म छोड़ देते है, कर्मठ पुरुषों को धार्मिक कृत्यों में अरुचि उत्पन्न हो जाती है, जब योगी ध्यानादि कर्म करना छोड़ देते हें और जब जनसाधारण की ऐसी धारणा हो जाती है कि केवल धन, संतान और स्त्री ही सर्वस्व है तथा इस प्रकार जब लोग सत्य-मार्ग से विचलित होकर अधःपतन की ओर अग्रसर होने लगते है, तब संत प्रगट होकर अपने उपदेशों एवं आचरण के दृारा धर्म की संस्थापन करते हैं । वे समुद्र की तरह हमारा उचित मार्गदर्शन करते तथा सत्य पथ पर चलने को प्रेरित करते है । इसी मार्ग पर अनेकों संत-निवृत्तिनाथ, ज्ञानदेव, मुक्ताबाई, नामदेव, गोरा, गोणाई, एकनाथ, तुकाराम, नरहरि, नरसी भाई, सजन कसाई, सावंत माली और रामदास तथा कई अन्य संत सत्य-मार्ग का दिग्दर्शन कराने के हेतु भिन्न-भिन्न अवसरों पर प्रकट हुए और इन सब के पश्चात शिरडी में श्री साई बाबा का अवतार हुआ ।


पवित्र तीर्थ शिरडी

अहमदनगर जिले में गोदावरी नदी के तट बड़े ही भाग्यशाली है, जिन पर अनेक संतों ने जन्म धारण किया और अनेकों ने वहाँ आश्रय पाया । ऐसे संतों में श्री ज्ञानेश्रर महाराज प्रमुख थे । शिरडी, अहमदनगर जिले के कोपरगाँव तालुका में है । गोदावरी नदी पार करने के पश्चात मार्ग सीधा शिरडी को जाता है । आठ मील चलने पर जब आर नीमगाँव पहुँचेंगे तो वहाँ से शिरडी दृष्टिगोचर होने लगती है । कृष्णा नदी के तट पर अन्य तीर्थस्थान गाणगापूर, नरसिंहवाडी और औदुम्बर के समान ही शिरडी भी प्रसिदृ तीर्थ है । जिस प्रकार दामाजी ने मंगलवेढ़ा को (पंढरपुर के समीर), समर्थ रामदास ने सज्जनगढ़ को, दत्तावतार श्रीनरसिंह सरस्वती ने वाड़ी को पवित्र किया, उसी प्रकार श्री साईनाथ ने शिरडी में अवतीर्ण होकर उसे पावन बनाया ।


श्री साई बाबा का व्यक्तित्व

श्री साई बाबा के सानिध्य से शिरडी का महत्व विशेष बढ़ गया । अब हम उनके चरित्र का अवलोकन करेंगे । उन्होंने इस भवसागर पर विजय प्राप्त कर ली थी, जिसे पार करना महान् दुष्कर तथा कठिन है । शांति उनका आभूषण था तथा वे ज्ञान की साक्षात प्रतिमा थे । वैष्णव भक्त सदैव वहाँ आश्रय पाते थे । दानवीरों में वे राजा कर्ण के समान दानी थे । वे समस्त सारों के साररुप थे । ऐहिक पदार्थों से उन्हें अरुचि थी । सदा आत्मस्वरुप में निमग्न रहना ही उनके जीवन का मुख्य ध्येय था । अनित्य वस्तुओं का आकर्षण उन्हें छू भी नहीं गयी थी। उनका हृदय शीशे के सदृश उज्जवल था । उनके श्री-मुख से सदैव अमृत वर्षा होती थी । अमीर और गरीब उनके लियो दोंनो एक समान थे । मान-अपमान की उन्हें किंचितमात्र भी चिंता न थी । वे निर्भय होकर सम्भाषण करते, भाँति-भाँति के लोंगो से मिलजुलकर रहते, नर्त्तिकियों का अभिनय तथा नृत्य देखते औरगजन-कव्वालियाँ भी सुनते थे । इतना सब करते हुए भी उनकी समाधि किंचितमात्र भी भंग न होती थी । अल्लाह का नाम सदा उलके ओठों पर था । जब दुनिया जागती तो वे सोते और जब दुनिया सोती तो वे जागते थे । उनका अन्तःकरण प्रशान्त महासागर की तरह शांत था । न उनके आश्रम का कोई निश्चय कर सकता था और न उनकी कार्यप्रणाली का अन्त पा सकता था । कहने के लिये तो वे एक स्थान पर निवास करते थे, परंतु विश्व के समस्त व्यवहारों व व्यापारों का उन्हें भली-भाँति ज्ञान था । उनके दरबार का रंग ही निराला था । वे प्रतिदिन अनेक किवदंतियाँ कहते थे, परंतु उनकी अखंड शांति किंचितमात्र भी विचलित न होती थी । वे सदा मसजिद की दीवार के सहारे बैठे रहते थे तथा प्रातः, मध्याहृ और सायंकील लेंडी और चावडड़ी की ओर वायु-सोवन करने जाते तो भी सदा आत्मस्थ्ति ही रहते थे । स्वतः सिदृ होकर भी वे साधकों के समान आचरण करते थे । वे विनम्र, दयालु तथा अभिमानरहित थे । उन्होंने सबको सदा सुख पहुँचाया । ऐसे थे श्री साईबाबा, जिनके श्री-चरणों का स्पर्श कर शिरडी पावन बन गई । उसका महत्व असाधारण हो गया । जिस प्रकार ज्ञानेश्वर ने आलंदी और एकनाथ ने पैठण का उत्थान किया, वही गति श्री साईबाबा दृारा शिरडी को प्राप्त हुई । शिरडी के फूल, पत्ते, कंकड़ और पत्थर भी धन्य है, जिन्हें श्री साई चरणाम्बुजों का चुम्बन तथा उनकी चरण-रज मस्तक पर धारण करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ । भक्तगण को शिरडी एक दूसरा पंढरपुर, जगत्राथपुरी, दृारका, बनारस (काशी), महाकालेश्वरतथा गोकर्ण महाबलेश्वर बन गई । श्री साई का दर्शन करना ही भक्तों का वेदमंत्र था, जिसके परिणामस्वरुप आसक्ति घटती और आत्म दर्शन का पथ सुगम होता था । उनका श्री दर्शन ही योग-साधन था और उनसे वार्तालाप करने से समस्त पाप नष्ट हो जाते थे । उनका पादसेवन करना ही त्रिवेणी (प्रयाग) स्नान के समान था तथा चरणामृत पान करने मात्र से ही समस्त इच्छाओं की तृप्ति होती थी । उनकी आज्ञा हमारे लिये वेद सदृश थी । प्रसाद तथा उदी ग्रहण करने से चित्त की शुदृि होता थी । वे ही हमारे राम और कृष्ण थे, जिन्होंने हमें मुक्ति प्रदान की, वे ही हमारे परब्रहमा थे । वे छन्दों से परे पहते तथा कभी निराश व हताश नहीं होते थे । वे सदा आत्म-स्थित, चैतन्यघन तथा आनन्द की मंगलमूर्ति थे । कहने को तो शिरडी उनका मुख्य केन्द्र था, परन्तु उनका कार्यक्षेत्र पंजाब, कलकत्ता, उत्तरी भारत, गुजरात, ढाका और कोकण तक विस्तृत था । श्री साईबाबा की कीर्ति दिन-प्रतिदिन चहुँ ओर फैलने लगी और जगह-जगह से उनके दर्शनार्थ आकर भक्त लाभ उठाने लगे । केवल दर्शन से ही मनुष्यों, चाहे वे शुदृ अथवा अशुदृ हृदय के हों, के चित्त को परम शांति मिल जाती थी । उन्हें उसी आनन्द का अनुभव होता था, जैसा कि पंढरपुर में श्री विटठल के दर्शन से होता है । यह कोई अतिशयोक्ति नहीं है । दोखिये, एक भक्त ने यही अनुभव पाया है –


गौली बुवा

लगभग 95 वर्ष के वयोवृदृ भक्त, जिनका नाम गौली बुवा था, पंढरी के एक वारकरी थे । वे 8 मास पंढरपुर तथा 4 मास (आषाढ़ से कार्तिक तक) गंगातट पर निवास करते थे । सामान ढोने के लिये वे एक गधे को अपने पास रखते और एक शिष्य भी सदैव उनके साथ रहता था । वे प्रतिवर्ष वारी लेकर पंढरपुर जाते और लौटते सैय श्री बाबा के दर्शनार्थ शिरडी आते थे । बाबा पर उनका अगाध प्रेम था । वे बाब की ओर एक टक निहारते और कह उठते थे कि ये तो श्री पंढरीनाथ, श्री विटठल के अवतार है, जो अनाथ-नाथ, दीन दयालु और दीनों के नाथ है । गौली बुवा श्री विठोबा के परम भक्त थे । उन्होंने अनेक बार पंढरी की यात्रा की तथा प्रत्यक्ष अनुभव किया कि श्री साई बाबा सचमुच में ही पंढरीनाथ हैं ।


विटठल स्वयं प्रकट हुए

श्री साई बाबा की ईश्वर-चिंतन और भजन में विशेष अभिरुचि थी । वे सदैव अल्लाह मालिक पुकारते तथा भक्तों से कीर्तन-सप्ताह करवाते थे । इसे नामसप्ताह भी कहते है । एक बार उन्होंने दासगणू को कीर्तन-सप्ताह करने की आज्ञा दी । दासगणू ने बाबा से कहा कि आपकी आज्ञा मुझे शिरोधार्य है, परन्तु इस बात का आश्वासन मिलना चाहिये कि सप्ताह के अंत में विटठल भगवान् अवश्य प्रगट होंगे । बाबा ने अपना हृदय स्पर्श करते हुए कहा कि विटठल अवश्य प्रगट होंगे । परन्तु साथ ही भक्तों मे श्रदृा व तीव्र उत्सुकता का होना भी अनिवार्य है । ठाकुर नाथ की डंकपुरी, विटठल की पंढरी, पणछोड़ की दृारका यहीं तो है । किसी को दूर जाने की आवश्यकता नहीं है । क्या विटठल कहीं बाहर से आयेंगे । वे तो यहीं विराजमान हैं । जब भक्तों में प्रेम और भक्ति का स्त्रोत प्रवारित होगा तो विटठल स्वयं ही यहाँ प्रगट हो जायेंगे ।

सप्ताह समाप्त होने के बाद विटठल भगवान इस प्रकार प्रकट हुस । काकासाहेब दीक्षित सदाव की भाँति स्नान करने के पश्चात जब ध्यान करने को बैठे तो उन्हें विटठल के दर्शन हुए । दोपहर के समय जब वे बाबा के दर्शनार्थ मसजिद पहुँचे तो बाबा ने उनसे पूछा क्यों विटठल पाटील आये थे न । क्या तुम्हें उनके दर्शन हुए । वे बहुत चंचल हैं । उनको दृढ़ता से पकड़ लो । यदि थोडी भी असावधानी की तो वे बचकर निकल जायेंगे । यह प्रातःकाल की घटना थी और दोपहर के समय उन्हें पुनः दर्शन हुए । उसी दिन एक चित्र बेचने वाला विठोबा के 25-30 चित्र लेकर वहाँ बेचने को आया । यह चित्र ठीक वैसा ही था, जैसा कि काकासाहेब दीक्षित को ध्यान में दर्शन हुए थे । चित्र देखकर और बाबा के शब्दों का स्मरण कर काकासाहेब को बड़ा विस्मय और प्रसन्नता हुई । उन्होंने एक चित्र सहर्ष खरीद लिया और उसे अपने देवघर में प्रतिष्ठित कर दिया ।

ठाणा के अवकाशप्राप्त मामलतदार श्री. बी.व्ही.देव ने अपने अनुसंधान के दृारा यह प्रमाणित कर दिया है कि शिरडी पंढरपुर की परिधि में आती है । दक्षिण में पंढरपुर श्री कृष्ण का प्रसिदृ स्थान है, अतः शिरडी ही दृारका है । (साई लीला पत्रिका भाग 12, अंक 1,2,3 के अनुसार)

दृारका की एक और व्याख्या सुनने में आई है, जो कि कै.नारायण अय्यर दृारा लिखित भारतवर्ष का स्थायी इतिहास में स्कन्दपुराण (भाग 2, पृष्ठ 90) से उदृत की गई है । वह इस प्रकार है –


“चतुर्वर्णामपि वर्गाणां यत्र द्घराणि सर्वतः ।

अतो दृारवतीत्युक्ता विद़दि्भस्तत्ववादिभिः ।।“


जो स्थान चारों वर्णों के लोगों को धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष के लिये सुलभ हो, दार्शनिक लोग उसे दृारका के नाम से पुकारते है । शिरडी में बाबा की मसजिद केवल चारों वर्णों के लिये ही नहीं, अपितु दलित, अस्पृश्य और भागोजी सिंदिया जैसे कोढ़ी आदि सब के लिये खुली थी । अत- शिरडी को दृारका कहना सर्वथा उचित है ।


भगवंतराव क्षीरसागर की कथा

श्री विटठल पूजन में बाबा को कितनी रुचि थी, यह भगवंतराव क्षीरसागर की कथा से सपष्ट है । भगवंतराव को पिता विठोबा के परम भक्त थे, जो प्रतिवर्ष पंढरपुर को वारी लेकर जाते थे । उनके घर में एक विठोबा की मूर्ति थी, जिसकी वे नित्यप्रति पूजा करते थे । उनकी मृत्यु के पश्चात् उनके पुत्र भगवंतराव ने वारी, पूजन श्रादृ इत्यादि समस्त कर्म करना छोड़ दिया । जब भगवंतराव शिरडी आये तो बाबा उन्हें देखते ही कहने लगे कि इनके पिता मेरे परम मित्र थे । इसी कारण मैंने इन्हें यहाँ बुलाया हैं । इन्होंने कभी नैवेघ अर्पण नहीं किया तथा मुझे और विठोबा को भूखों मारा है । इसलिये मैंने इन्हें यहां आने को प्रेरित किया है । अब मैं इन्हें हठपूर्वक पूजा में लगा दूंगा ।


दासगणू का प्रयाग स्नान

गंगा और यमुनग नदी के संगम पर प्रयाग एक प्रसिदृ पवित्र तीर्थस्थान है । हिन्दुओं की ऐसी भावना है कि वहाँ स्नानादि करने से समस्त पाप नष्ट हो जाते है । इसीकारण प्रत्येक पर्व पर सहस्त्रों भक्तगण वहाँ जाते है और स्नान का लाभ उठाते है । एक बार दासगणू ने भी वहाँ जाकर स्नान करने का निश्चय किया । इस विचार से वे बाबा से आज्ञा लेने उनके पास गये । बाबा ने कहा कि इतनी दूर व्यर्थ भटकने की क्या आवष्यकता है । अपना प्रयाग तो यहीं है । मुझ पर विश्वास करो । आश्चर्य । महान् आश्चर्य । जैसे ही दासगणू बाबा के चरणों पर नत हुए तो बाबा के श्री चरणों से गंगा-यमुना की धारा वेग से प्रवाहित होने लगी । यह चमत्कार देखकर दासगणू का प्रेम और भक्ति उमड़ पड़ी । आँखों से अश्रुओं की धारा बहने लगी । उन्हें कुछ अंतःस्फूर्ति हुई और उनके मुख से श्री साई बाबा की स्त्रोतस्विनी स्वतःप्रवाहित होने लगी ।


श्री साई बाबा की शिरडी में प्रथम आगमन

श्री साई बाबा के माता पिता, उनके जन्म और जन्म-स्थान का किसी को भी ज्ञान नहीं है । इस सम्बन्ध में बहुत छानबीन की गई । बाबा से तथा अन्य लोगों से भी इस विषय में पूछताछ की गई, परन्तु कोई संतोषप्रद उत्तर अथवा सूत्र हाथ न लग सका । यथार्थ में हम लोग इस विषय में सर्वथा अनभिज्ञ हैं । नामदेव और कबीरदास जी का जन्म अन्य लोगों की भाँति नहीं हुआ था । वे बाल-रुप में प्रकृति की गोद में पाये गये थे । नामदेव भीमरथी नदी के तीर पर गोनाई को और कबीर भागीरथी नदी के तीर पर तमाल को पड़े हुए मिले थे और ऐसा ही श्री साई बाबा के सम्बन्ध में भी था । वे शिरडी में नीम-वृक्ष के तले सोलह वर्ष कीकी तरुणावस्था में स्वयं भक्तों के कल्याणार्थ प्रकट हुए थे । उस समय भी वे पूर्ण ब्रहृज्ञानी प्रतीत होते थे । स्वपन में भी उनको किसी लौकिक पदार्थ की इच्छा नहीं थी । उन्होंने माया को ठुकरा दिया था और मुक्ति उनके चरणों में लोटता थी । शिरडी ग्राम की एक वृदृ स्त्री नाना चोपदार की माँ ने उनका इस प्रकार वर्णन किया है-एक तरुण, स्वस्थ, फुर्तीला तथा अति रुपवान् बालक सर्वप्रथम नीम वृक्ष के नीचे समाधि में लीन दिखाई पड़ा । सर्दी व गर्मी की उन्हें किंचितमात्र भी चिंता न थी । उन्हें इतनी अल्प आयु में इस प्रकार कठिन तपस्या करते देखकर लोगों को महान् आश्चर्य हुआ । दिन में वे किसी से भेंट नहीं करते थे और रात्रि में निर्भय होकर एकांत में घूमते थे । लोग आश्चर्यचकित होकर पूछते फिरते थे कि इस युवक का कहाँ से आगमन हुआ है । उनकी बनावट तथा आकृति इतनी सुन्दर थी कि एक बार देखने मात्र के ही लोग आकर्षित हो जाते थे । वे सदा नीम वृक्ष के नीचे बैठे रहते थे और किसी के दृार पर न जाते थे । यघपि वे देखने में युवक प्रतीत होते थे, परन्तु उनका आचरण महात्माओं के सदृश था । वे त्याग और वैराग्य की साक्षात प्रतिमा थे । एक बार एक आश्चर्यजनक घटना हुई । एक भक्त को भगवान खंडोबा का संचार हुआ । लोगों ने शंका-निवारार्थ उनसे प्रश्न किया कि हे देव कृपया बतलाइये कि ये किस भाग्यशाली पिता की संतान है और इनका कहाँ से आगमन हुआ है । भगवान खंडोबा ने एस कुदाली मँगवाई और एक निर्दिष्ट स्थान पर खोदने का संकेत किया । जब वह स्थान पूर्ण रुप से खोदा गया तो वहाँ एक पत्थर के नीचे ईंटें पाई गई । पत्थर को हटाते ही एक दृार दिखा, जहाँ चार दीप जल रहे थे । उन दरवाजों का मार्ग एक गुफा में जाता था, जहाँ गौमुखी आकार की इमारत, लकड़ी के तखते, मालाऐं आदि दिखाई पड़ी । भगवान खंडोबा कहने लगे कि इस युवक ने इस स्थान पर बारह साल तपस्या की है । तब लोग युवक से प्रश्न करने लगे । परंतु उसने यह कहकर बात टाल दी कि यह मेरे श्री गुरुदेव की पवित्र भूमि है तथा मेरा पूज्य स्थान है और लोगों से उस स्थान की भली-भांति रक्षा करने की प्रार्थना की । तब लोगों ने उस दरवाजे को पूर्ववत् बन्द कर दिया । जिस प्रकार अश्वत्थ औदुम्बर वृक्ष पवित्र माने जाते है, उसी प्रकार बाबा ने भी इस नीम वृक्ष को उतना ही पवित्र माना और प्रेम किया । म्हालसापति तथा शिरडी के अन्य भक्त इस स्थान को बाबा के गुरु का समाधि-स्थान मानकर सदैव नमन किया करते थे ।


तीन वाडे़

नीम वृक्ष के आसपास की भूमि श्री हरी विनायक साठे ने मोल ली और उस स्थान पर एक विशाल भवन का निर्माण किया, जिसका नाम साठे-वाड़ा रखा गया । बाहर से आने वाले यात्रियों के लिये वह वाड़ा ही एकमात्र विश्राम स्थान था, जहाँ सदैव भीड़ रहा करती थी । नीम वृक्ष के नीचे चारों ओर चबूतरा बाँधा गया । सीढ़ियों कके नीचे दक्षिण की ओर एक छोटा सा मन्दिर है, जहाँ भक्त लोग चबूतरे के ऊपर उत्तराभिमुख होकर बैठते है । ऐसा विश्वास किया जाता है कि जो भक्त गुरुवार तथा शुक्रवार की संध्या को वहाँ धूप, अगरबत्ती आदि सुगन्धित पदार्थ जलाते है, वे ईश-कृपा से सदैव सुखी होंगे । यह वाड़ा बहुत पुराना तथा जीर्ण-शीर्ण स्थिति में था तथा इसके जीर्णोंदृार की नितान्त आवश्यकता थी, जो संस्थान दृारा पूर्ण कर दी गई । कुछ समय के पश्चात एक दितीय वाड़े का निर्माण हुआ, जिसका नाम दीक्षित-वाड़ा रखा गया । काकासाहेब दीक्षित, कानूनी सलाहकार (Solicitor) जब इंग्लैंड में थे, तब वहाँ उन्हें किसी दुर्घटना से पैर में चोट आ गई थी । उन्होंने अनेक उपचार किये, परंतु पैर अच्छा न हो सका । नानासाहेब चाँदोरकर ने उन्हें बाबा की कृपा प्राप्त करने का परामर्श दिया । इसलिये उन्होंने सन् 1909 में बाबा के दर्शन किये । उन्होंने बाबा से पैर के बदले अपने मन की पंगुता दूर करने की प्रार्थना की । बाबा के दर्शनों से उन्हें इतना सुख प्राप्त हुआ कि उन्होंने स्थायी रुप से शिरडी में रहना स्वीकार कर लिया और इसी कारण उन्होंने अपने तथा भक्तों के हेतु एक वाड़े का निर्माण कराया । इस भवन का शिलान्यास दिनांक 9-12-1910 को किया गया । उसी दिन अन्य दो विशेष घटनाएँ घटित हुई –

श्री दादासाहेब खापर्डे को घर वापस लौटने की अनुमति प्राप्त हो गई और
चावड़ी में रात्रि को आरती आरम्भ हो गई । कुछ समय में वाड़ा सम्पूर्ण रुप से बन गया और रामनवमी (1911) के शुभ अवसर पर उसका यथाविधि उद्घाटन कर दिया गया । इसके बाद एक और वाड़ा-मानो एक शाही भवन-नागपुर के प्रसिदृ श्रीमंत बूटी ने बनवाया । इस भवन के निर्माण में बहुत धनराशि लगाई गई । उनकी समस्त निधि सार्थक हो की, क्योंकि बाबा का शरीर अब वहीं विश्रान्ति पा रहा है और फिलहाल वह समाधि मंदिर के नाम से विख्यात है इस मंदिर के स्थान पर पहले एक बगीचा था, जिसमें बाबा स्वयं पौधौ को सींचते और उनकी देखभाल किया करते थे । जहाँ पहले एक छोटी सी कुटी भी नहीं थी, वहाँ तीन-तीन वाड़ों का निर्माण हो गया । इन सब में साठे-वाड़ा पूर्वकाल में बहुत ही उपयोगी था ।

बगीचे की कथा, वामन तात्या की सहायता से स्वयं बगीचे की देखभाल, शिरडी से श्री साई बाबा की अस्थायी अनुपस्थिति तथा चाँद पाटील की बारात में पुनः शिरडी में लौटना, देवीदास, जानकीदास और गंगागीर की संगति, मोहिद्दीन तम्बोली के साथ कुश्ती, मसजिद सें निवास, श्री डेंगने व अन्य भक्तों पर प्रेम तथा अन्य घटनाओं का अगतले अध्याय में वर्णन किया गया है ।


।। श्री सद्रगुरु साईनाथार्पणमस्तु । शुभं भवतु ।।

204 comments:

  1. अल्लाह का नाम ही क्यूँ सदैव बाबा के मुख पर रहता था ईश्वर का क्यूँ नहीं वे सदैव अल्लाह मालिक एक है ही क्यूँ कहते थे ईश्वर अल्लाह एक है क्यूँ नहीं🤔

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    1. Wo raam ji ke bhi Param bhakt the 😊

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    2. OM SAI RAM 🙏🙏🙏🙏🙏💐💐💐💐💐⚘

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    3. baba sabki raksha kariyega 🙏om sai ram

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    4. Sanatana Dharma me puja sirf unki hi karni chahiye, jinka zikra hamare Dharm granth me ho. Unke alawa dusre ki puja krna vyartha hai. Chahi wo koye baba ho ya fakir ho ya molvi ho ya koyi dargah ho ya majar ya charch ho....

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    5. Aapne Sanatan Dharam ko Jana hi nhi fir... Hmare dharam me kaha jata hai ki Gyan jinse bhi mile vo poojneey hai..aur Sai Baba ji to Gyan ke sagar hain...Shri Ram ji aur kevat vala prasang dobara padhiye..

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  2. Maan ki apangata dur karna Sai

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  3. Om Sai Ram 🙏💞💕🙏💐

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  4. Jai Sai Nath Maharaj ki ..sai baba apne bhakto pr apna aashirwad bnaye rkhna sadbudhi dena sahi marg dikhana hmesha sai bhakto ke sir pr apna hath rkhna .OM SAI RAM

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  5. om sai ran.baba i don t want anything just be with us.i will face all hard times in my life.jai ho sai ram ki

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  6. jai ho sai ram ki sai shyam ki🌹🏵️🏵️

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  7. Sri Sai💐🌹💐🌹🙏🙏🙏🙏🙏

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  8. Sri Sai🙏
    May the blessings of our Baba always be upon us🙏🌹🌹🌹💓

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  9. Ram Krishan hre, Ram Krishan hare, Ram Krishan hre
    Om sai shri sai Jay Jay sai, shri sachidanand Sadguru sai nath MAHARAJ ki JAI. Sai madad Karo, sai madad Karo, sai madad Karo, sai madad Karo.

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  10. Aapki leela aprampaar hai Baba sai

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  11. Sada aap hamare saath rahna

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  12. Om sai sai sai sai sai sai sai mere sai sai sai sai sai om sai sai sai sai sai sai sai.Apni kripa hmesha bnaye rakhna baba 🙏🙏🙏🙏😊😊😊😊😊😊😊😊🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹

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  13. Thank you Sai,to provide me new project

    THANK YOU LOVE YOU ALOT 🙏

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  14. 🙏🌹om sai ram🌹🙏

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  15. om sai namho namh shri sai namho nAmh jai jai sai namho Namh satguru sai nAmho nAmh Baba 🙏🙏

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  16. Om Sai ram ... happy Father's day Sai baba ji

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  17. Om sai ram 💐🙏💐🙏🕉️🙏🕉️🙏💐🙏🙏😊😊😊😊🌹🙏🌹🌹🙏🌹🙏🌹🙏🌹🌹🌹

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  18. Om Sai ram 🙏 🙏 om sai ram 🙏 🙏🌻🌻🌹🌹

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  19. Om sai jai sai om sai sai jai sai🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻

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  20. Om Sai Nathaya Namaha
    Jai Gurudev

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  21. Om Sri Sai nath maharaj ki jay

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  22. Om namoh Shri Sai prabhu namah 🙏 love you so much Baba g 🙏

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  23. Jai sai baba...koi bhul hui ho to maaf krne mere baba🙏🙏✌️

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  24. Om sai ram baba apko sb pta h apni kripa karan pr bnaye rakho use apko hi bachana h om sai ram 🙏

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  25. Shri Sachchidanand sadguru Sai nath Maharaj ki Jai 🙏 love you so much baba g 🙏

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  26. Achi bhuddi Do Baba Raakhaa Karoo Hamesaa♥️♥️🤗🙏

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  27. mera Sahara mere saiya mere vishwas 🙏 love you so much baba g 🙏

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  28. Om sai ram baba apni daya bnaye rakhna Om sai ram

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  29. shr sai Samarth 🙏 love you so much baba g 🙏

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  30. Om shree sai ram baba...sare dukh taklif har lo baba..man ki Shanti do...Khushiya do baba...manokamna purn kro baba 🙏🙏🙏🙏

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  31. Om namo shree sai ram sadgurudev nameh 💐💐💐👏🙏☺️

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  32. mera Sahara mere saiya mera vishwas hai 🙏 om jai shree sai Samarth 🙏 love you so much baba g 🙏

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  33. Om Sai Nath Baba🙏🏻🙇🏻‍♂️🙏🏻

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  34. Om sai ram 🥰🥰🥰🥰🥰

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  35. Bolo Shri Sai Nath Maharaj ki Jai🙏🙏

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  36. Om sai Ram 🙏 thanks for all u have given us baba.pls be with us forever ❤️🙏🙏🙏🙏💐

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  37. 🙏sadguru sai nath maharaj ki jai 🙏

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  38. अरे सेक्यूलर हिन्दू आंखे खोल के पढ़ो हर समय अल्ला अल्ला करके भोक्ता रहता था



    और इसमें बहुत चतुराई से भगवान राम भगवान कृष्ण के बराबरी करने की कोशिश की जा रही है


    जो गंगा जल को अपमान कर रहा है जो मांस कहा रहा है और जोरजबरदस्ती दूसरे को मांस खिला रहा है उसको तुम सेक्यूलर होकर आंख बंद करके मान रहे हो

    छि छि

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  39. Sai rhm njr krna bcho ka paln Krna 🙏 i m sorry plz forgive me 😭 thankuuuu you so much baba ji 🙏 love you so much baba ji 🙏

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  40. Sai sunlo pukar... Trahimam Sai Baba mere mn ki aap sb jante ho binti sweekar kro or bhardo jeevan me pati prem apno ka pyaar mere sir pr aapka hath aapka hrdm sath sukh smridhi happiness or aswi ka sath or Government job
    Hre Sai ...

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  41. 🙏🏼❤️om sai ram❤️🙏🏼

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  42. Sri Sai🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏

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  43. Sai raham najar Krna bachchon ka paln hai 🙏 I am sorry pls forgive me 🙏 I thankuu I love you so much Sai Ram g 😘💕

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  44. Om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏

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    1. Om sai ram ji Om sai ram ji Om sai ram ji Om sai ram ji Om sai ram ji Om sai ram ji Om 🙏🙏🙏🙏

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  45. Baba please Bless my husband ... Sri Said🙏🙏❤️🌹🌷

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  46. Jai shri sai samarth 🙏i m sorry plz forgive me🙇 I Thanku🙏 I love you so much baba ji🙏 👨‍👩‍👦‍👦💋💕

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  47. Sri sachidananda sadguru Sainath Maharaj ki Jai

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  48. Omm shree sainathaya namah...

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  49. Om sai ram🤗🤗🤗🤗🤗

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  50. Om sai ram is duvidha se nikalo sai

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  51. Ananntkoti brhamand nayak rajadhiraj yogiraj prhambraham parmeshwar shri sachchidanand sadguru sai nath maharaj ki jai ho 🙏mera sahara mere saiya mera vishwas hai🙏 I m sorry🙏 plz forgive me🙏🙇 I thanku🙏 i love you so much baba ji🙏 sai raham najar krna bchcho ka paln krna 🙏

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  52. Om sai ram om sai ram om sai ram om sai ram om sai ram om sai ram om sai ram om sai ram om sai ram om sai ram om sai ram om sai ram om sai ram.baba pls be with us always we are nothing without you 👏👏👏

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  53. Anantkoti brahmand nayak Rajadhiraj yogi raj parabrahma shri sachchidanand sadguru sai nath maharaj ki jai 🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🌹🌹🌹🌹🌻🌻🐾

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  54. Om Shri Sai Nathaye Namo🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏🌹

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  55. Sai ram to all with lots of baba blessings

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  56. SAI RAM KRISHNA HARE
    BABA FORGIVE ME FOR ALL MY SINS PROTECT THIS WORLD N US FROM ALL DISEASES SINS N EVILS M WORTHLESS SAI BLESS US
    WE SURRENDER TO U BABA
    MERR SAI PYARE SAI SABKE SAI
    JAI SAI RAM
    BOW TO SHRI SAI BABA PEACE BE TO ALL🙏

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  57. OM SAI RAM
    SAI RAM KRISHNA HARE
    BABA FORGIVE ME FOR ALL MY SINS PROTECT THIS WORLD N US FROM ALL DISEASES SINS N EVILS M WORTHLESS SAI
    WE SURRENDER TO U BABA
    MERE SAI PYARE SAI SABKE SAI
    JAI SAI RAM
    BOW TO SHRI SAI BABA PEACE BE TO ALL🙏🙏

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  58. SAI RAM KRISHNA HARE
    OM SAI RAM
    JAI SAI RAM
    PROTECT THIS WORLD N US FROM ALL DISEASES SINS N EVILS BABA
    FORGIVE ME FOR ALL MY SINS
    WE SURRENDER TO U NATH
    JAI SAI RAM
    MERE SAI PYARE SAI SABKE SAI
    BOW TO SHRI SAI BABA PEACE BE TO ALL🙏🙏

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  59. Om sai ram🙏 ji.. Mere sai baba ji

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  60. SAI RAM KRISHNA HARE
    BABA FORGIVE ME FOR ALL MY SINS WE SURRENDER TO U BABA PROTECT THIS WORLD N US FROM ALL DISEASES EVILS N SINS SHOWER UR GRACE ON US SAI
    OM SAI RAM
    MERE SAI PYARE SAI SABKE SAI
    BOW TO SHRI SAI BABA PEACE BE TO ALL🙏🙏

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  61. SAI RAM KRISHNA HARE
    BABA FORGIVE ME FOR ALL MY SINS WE SURRENDER TO U BABA PROTECT THIS WORLD N US FROM ALL DISEASES EVILS N SINS
    SHOWER UR BLESSINGS ON US BABA
    ALWAYS KEEP US UNDER UR GRACE
    OM SAI RAM
    MERE SAI PYARE SAI SABKE SAI
    BLW TO SHRI SAI BABA PEACE BE TO ALL🙏🙏

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  62. SAI RAM KRISHNA HARE
    BABA FORGIVE ME FOR ALL MY SINS M WORTHLESS BABA PROTECT THIS WORLD N US FROM ALL DISEASES SINS N EVILS WE SURRENDER TO U SHRI SAI
    OM SAI RAM
    MERE SAI PYARE SAI SABKE SAI
    BOW TO SHRI SAI BABA PEACE BE TO ALL🙏🙏

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  63. SAI RAM KRISHNA HARE
    BABA FORGIVE ME FOR ALL MY SINS M WORTHLESS SHRI SAI PROTECT THIS WORLD N US FROM ALL DISEASES SINS N EVILS WE SURRENDER TO U BABA SHOWER UR BLESSINGS ON US
    OM SAI RAM
    MERE SAI PYARE SAI SABKE SAI
    AP HEE BRAHMA AP HEE VISHNU AP HEE DEVADIDEV MAHADEV HO
    MERE SAI PYARE SAI SABKE SAI
    BOW TO SHRI SAI BABA PEACE BE TO ALL🙏🙏

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  64. HAR HAR SAI MAHADEV
    SAI RAM KRISHNA HARE
    BABA FORGIVE ME FOR ALL MY SINS WE SURRENDER TO SADGURU SAI PROTECT THIS WORLD N US FROM ALL DISEASES EVILS N SINS I M WORTHLESS SAI BLESS US BABA
    OM SAI RAM
    MERE SAI PYARE SAI SABKE SAI
    AP HEE BRAHMA AP HEE VISHNU AP HEE DEVA DI DEV MAHADEV HO
    BPW TO SHRI SAI BABA PEACE BE TO ALL🙏❤

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  65. Om sai ram g🙏 I m sorry plz forgive me🙇 I thanku i love you so much baba ji🙏

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  66. Baba pls take care of family issues pls baba

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  67. OM SAI SHRI SAI JAI JAI SAI

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  68. om sai rakshak sharnam deva

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  69. ओम श्री साईनाथाय नमः

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  70. OM SAI RAKSHAK SHARNAM DEVA

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  71. Sai raham najar krna shivank g Or unki mummy g ki raksha krna 🙏

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  72. Om Sairam 🙏🏻🙏🏻

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  73. Om sai ram g🙏 mera sahara mere saiya mera vishwas hai 🙏💑💕

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  74. Om Sai Ram🌹🙏

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  75. Om Sai Ram 🙏🌹🌺

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  76. Om sai Ram 🙏🌺

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  77. Om sai nath maharaj ki jai ho🙏

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  78. Sai baba ji aapka vhut vhut shukria mujsae ch.4 read krnae ka sobagae diya .

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  79. Om shri Sai Ram mere pyare baba 🙏🌹🌹🍇🍇🍇

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  80. Raham najar kro ab mere sai 🙏om sai ram g🙏

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  81. आपकी लेखनी कमाल की है , आपने साई बाबा से जुड़े बहुत से प्रश्न उत्तरों का जवाब बहुत ही अच्छे तरीके से दिया .

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  82. Om Sai Ram 🙏🏻

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  83. SAI RAM JEE, please Bless my son and please end his sufferings, I am doing pooja behalf of KUNAL
    🙏🙏🙏

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  84. Om Sai ram 🙏🏻🙏🏻🙏🏻

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  85. I m sorry 🙏plz forgive me🙇 I thanku 🥰i love you so much baba ji 😘💏

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  86. Om shri Sai Ram mere pyare baba sorry mere pyare baba 🙏🌹🙏

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  87. Mere sai🙏🙏 कृपा बनाये रखना।

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  88. Om shri Sai Ram mere pyare baba 🌹🙏🙏🙏🌹

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  89. Om shri Sai Ram mere pyare baba 🙏🌷🌹🌹

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  90. Om Sai Ram❤️🙏

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  91. Neelam Mishra
    Om Sai Ram
    Om Sai Ram

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  92. Naman Mishra
    Om Sai Ram
    Om Sai Ram

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  93. Sai hamesha kripa banaye rakhna

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  94. Om shree sai nathay namah 🙏🙏🌹🌹

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  95. Om shri Sai Ram mere pyare baba 🌹🌷🌹🌷

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  96. MERE PRABHU 🌹
    MERE SAI 🌹🙏🏻💗

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  97. om sai ram...ravi m

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  98. Om Sai Ram

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  99. हमारे गुरु साईं बाबा हमेशा अपना वरद हस्त हमारे ऊपर रखना ।

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  100. Hindu inhe kis liye pujte hai janakari hai kisi ko

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  101. Baba jo koi bhi bhool hui hai shama karna bhut hi dukh jhele hai kashto ko dur karna Baba Jai Sai Ram

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  102. Om shri Sai Ram mere pyare baba 🌹🙏🌹🌹🌹🌹

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  103. Om Sai Ram🙏🙏🙏

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  104. Saibaba aapki Gyan Shakti aparampar hai🙏🙏

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  105. Om sai ram🙏🙏🙏

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  106. Om Sai Ram❤️🙏

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  107. Om Sai Ram🙏🙏🙏

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  108. 🙏🙏🕉 OM SAI RAM 🕉 🙏 🙏

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  109. Sai baba aap hamesha hamare saath rahna 🙏❤️

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  110. Om Sai Ram ❤️

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  111. Baba aap sadaiv humari sahayata karte rahna aur humare path pradarshak Bane rahna🙏🙏

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  112. Om namah shivaay 🙏guru g sda sahay 🙏om namah shivaay🙏 sai g sda sahay🙏 om namah shivaay🙏 shiv g sda sahay🙏

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  113. Baba bachho ki sadiv raksha kare apna aashis unhe pradan kare.

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  114. Om Sai ram Sai ma 🙏🙏❤️♥️

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  115. Jai Shree Shanidev Maharaj ki jai 🙏🙏❤️♥️

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  116. Om Sai Ram❤️🙏

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  117. Shraddha ,saburi ,sai baba ke do anmol vachan🙏🙏

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  118. Om Sai Ram, baba help my mom, bless her, she is fighting a beast, cancer, protect her, be with her. Help her in winning this fight. Bring her home back safe and sound baba, mere pyaare baba🙏

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  119. 🙏🙏🕉 OM SAI RAM 🕉 🙏 🙏

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  120. Om Sai Ram💐🙏

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  121. 🙏om sai ram🙏

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  122. 🙏🏻🌹Om sai ram🌹🙏🏻

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  123. Mere Sai Baba ji ki jai

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