Monday 19 December 2011

SAI SATCHARITRA IN HINDI CHAPTER 5

Sai Satcharitra Hindi chap 5

श्री साई सच्चरित्र

अध्याय 5 - चाँद पाटील की बारात के साथ श्री साई बाबा का पुनः आगमन, अभिनंदन तथा श्री साई शब्द से सम्बोधन, अन्य संतों से भेंट, वेश-भूषा व नित्य कार्यक्रम, पादुकाओं की कथा, मोहिद्दीन के साथ कुश्ती, मोहिद्दीन का जीवन परिवर्तन, जल का तेल में रुपान्ततर, मिथ्या गरु जौहरअली ।


जैसा गत अध्याय में कहा गया है, मैं अब श्री साई बाबा के शिरडी से अंतर्दृान होने के पश्चात् उनका शिरडी में पुनः किस प्रकार आगमन हुआ, इसका वर्णन करुँगा ।


चाँद पाटील की बारात के साथ श्री साई बाबा का पुनः आगमन

जिला औरंगाबाद (निजाम स्टेट) के धूप ग्राम में चाँद पाटील नामक एक धनवान् मुस्लिम रहते थे । जब वे औरंगाबाद जा रहे थे तो मार्ग में उनकी घोड़ी खोगई । दो मास तक उन्होंने उसकी खोज में घोर परिश्रम किया, परन्तु उसका कहीं पता न चल सका । अन्त में वे निराश होकर उसकी जीन को पीट पर लटकाये औरंगाबाद को लौट रहे थे । तब लगभग 14 मील चलने के पश्चात उन्होंने एक आम्रवृक्ष के नीचे एस फकीर को चिलम तैयार करते देखा, जिसके सिर पर एक टोपी, तन पर कफनी और पास में एक सटका था । फकीर के बुलाने पर चाँद पाटील उनके पास पहुँचे । जीन देखते ही फकीर ने पूछा यह जीन कैसी । चाँद पाटील ने निराशा के स्वर में कहा क्या कहूँ मेरी एक घोड़ी थी, वह खो गई है और यह उसी की जीन है ।

फकीर बोले – थोड़ा नाले की ओर भी तो ढूँढो । चाँद पाटील नाले के समीप गये तो अपनी घोड़ी को वहाँ चरते देखकर उन्हें महान् आश्चर्य हुआ। उन्होंने सोचा कि फकीर कोई सामान्य व्यक्ति नहीं, वरन् कोई उच्च कोटि का मानव दिखलाई पड़ता है । घोड़ी को साथ लेकर जब वे फकीर के पास लोटकर आये, तब तक चिलम भरकर तैयार हो चुकी थी । केवल दो वस्तुओं की और आवश्यकता रह गई थी। एक तो चिलम सुलगाने के लिये अग्नि और दितीय साफी को गीला करने के लिये जल की ।फकीर ने अपना चिमटा भूमि में घुसेड़ कर ऊपर खींचा तो उसके साथ ही एक प्रज्वलित अंगारा बाहर निकला और वह अंगारा चिलम पर रखा गया । फिर फकीर ने सटके से ज्योंही बलपूर्वक जमीन पर प्रहार किया, त्योंही वहाँ से पानी निकलने लगा ओर उसने साफी को भिगोकर चिलम को लपेट लिया । इस प्रकार सब प्रबन्ध कर फकीर ने चिलम पी ओर तत्पश्चात् चाँद पाटील को भी दी । यह सब चमत्कार देखकर चाँद पाटील को बड़ा विस्मय हुआ । चाँद पाटील ने फकीर ने अपने घर चलने का आग्रह किया । दूसरे दिन चाँद पाटील के साथ फकीर उनके घर चला गया । और वहाँ कुछ समय तक रहा । पाटील धूप ग्राम की अधिकारी था और बारात शिरडी को जाने वाली थी । इसलिये चाँद पाटील शिरडी को प्रस्थान करने का पूर्ण प्रबन्ध करने लगा । फकीर भी बारात के साथ ही गया । विवाह निर्विध्र समाप्त हो गया और बारात कुशलतापू्र्वक धूप ग्राम को लौट आई । परन्तु वह फकीर शिरडी में ही रुक गया और जीवनपर्यन्त वहीं रहा ।


फकीर को साई नाम कैसे प्राप्त हुआ

जब बारात शिरडी में पहुँची तो खंडोबा के मंदिर के समीप म्हालसापति के खेत में एक वृक्ष के नीचे ठहराई गई । खंडोबा के मंदिर के सामने ही सब बैलगाड़ियाँ खोल दी गई और बारात के सब लोग एक-एक करके नीचे उतरने लगे । तरुण फकीर को उतरते देख म्हालसापति ने आओ साई कहकर उनका अभिनन्दन किया तथा अन्य उपस्थित लोगों ने भी साई शब्द से ही सम्बोधन कर उनका आदर किया । इसके पश्चात वे साई नाम से ही प्रसिदृ हो गये ।


अन्त संतों से सम्पर्क

शिरडी आने पर श्री साई बाबा मसजिद में निवास रने लगे । बाबा के शिरडी में आने के पूर्व देवीदास नाम के एक सन्त अनेक वर्षों से वहाँ रहते थे । बाबा को वे बहुत प्रिय थे । वे उनके साथ कभी हनुमान मन्दिर में और कभी चावड़ी में रहते थे । कुछ समय के पश्चात् जानकीदास नाम के एक संत का भी शिरडी में आगमन हुआ । अब बाबा जानकीदास से वार्तालाप करने में अपना बहुत-सा समय व्यतीत करने लगे । जानकीदास भी कभी-कभी बाबा के स्थान पर चले आया करते थे और पुणताम्बे के श्री गंगागीर नामक एक पारिवारिक वैश्य संत भी बहुधा बाबा के पास आया-जाया करते थे । जब प्रथम बार उन्होंने श्री साई बाबा को बगीचा-सिंचन के लिये पानी ढोते देखा तो उन्हें बड़ा अचम्भा हुआ । वे स्पष्ट शब्दों में कहने लगे कि शिरडी परम भाग्यशालिनी है, जहाँ एक अमूल्य हीरा है । जिन्हें तुम इस प्रकार परिश्रम करते हुए देख रहे हो, वे कोई सामान्य पुरुष नहीं है । अपितु यह भूमि बहुत भाग्यशालिनी तथा महान् पुण्यभूमि है, इसी कारण इसे कारण इसे यह रत्न प्राप्त हुआ है । इसी प्रकार श्री अक्कलकोटकर महाराज के एक प्रसिदृ शिष्य पधारे, उन्होंने भी स्पष्ट कहा कि यघपि बाहृदृषि्ट से ये साधारण व्यक्ति जैसे प्रतीत होते है, परंतु ये सचमुच असाधारण व्यक्ति है । इसका तुम लोगों को भविष्य में अनुभव होगा । ऐसा कहकर वो येवला को लौट गये । यह उस समय की बात है, जब शिरडी बहुत ही साधारण-सा गाँव था और साई बाबा बहुत छोटी उम्र के थे ।


बाबा का रहन-सहन व नित्य कार्यक्रम

तरुण अवस्था में श्री साई बाबा ने अपने केश कभी भी नहीं कटाये और वे सदैव एक पहलवान की तरह रहते थे । जब वे रहाता जाते (जो कि शिरडी से 3 मील दूर है)तो गहाँ से वे गेंदा, जाई और जुही के पौधे मोल ले आया करते थे । वे उन्हें स्वच्छ करके उत्तम भूमि दोखकर लगा देते और स्वंय सींचते थे । वामन तात्या नाम के एक भक्त इन्हें नित्य प्रति दो मिट्टी के घडे़ दिया करते थे । इन घड़ों दृारा बाबा स्वंय ही पौधों में पानी डाला करते थे । वे स्वंय कुएँ से पानी खींचते और संध्या समय घड़ों को नीम वृक्ष के नीचे रख देते थे । जैसे ही घड़े वहाँ रखते, वैसे ही वे फूट जाया करते थे, क्योंकि वे बिना तपाये और कच्ची मिट्टी क बने रहते थे । दूसरे दिन तात्या उन्हें फिर दो नये घड़े दे दिया करते थे । यह क्रम 3 वर्षों तक चला और श्री साई बाबा इसी स्थान पर बाबा के समाधि-मंदिर की भव्य इमारत शोभायमान है, जहाँ सहस्त्रों भक्त आते-जाते है ।


नीम वृक्ष के नीचे पादुकाओं की कथा

श्री अक्कलकोटकर महाराज के एक भक्त, जिनका नाम भाई कृष्ण जी अलीबागकर था, उनके चित्र का नित्य-प्रति पूजन किया करते थे । एक समय उन्होंने अक्कलकोटकर (शोलापुर जिला) जाकर महाराज की पादुकाओं का दर्शन एवं पूजन करने का निश्चय किया । परन्तु प्रस्थान करने के पूर्व अक्कलकोटकर महाराज ने स्वपन में दर्शन देकर उनसे कहा कि आजकल शिरडी ही मेरा विश्राम-स्थल है और तुम वहीं जाकर मेरा पूजन करो । इसलिये भाई ने अपने कार्यक्रम में परिवर्तन कर शिरडी आकर श्री साईबाबा की पूजा की । वे आनन्दपूर्वक शिरडी में छः मास रहे और इस स्वप्न की स्मृति-स्वरुप उन्होंने पादुकायें बनवाई । शके सं. 1834 में श्रावण में शुभ दिन देखकर नीम वृक्ष के नीचे वे पादुकायें स्थापित कर दी गई । दादा केलकर तथा उपासनी महाराज ने उनका यथाविधि स्थापना-उत्सव सम्पन्न किया । एक दीक्षित ब्राहृमण पूजन के लिये नियुक्त कर दिया गया और प्रबन्ध का कार्य एक भक्त सगुण मेरु नायक को सौंप गया ।


कथा का पूर्ण विवरण

ठाणे के सेवानिवृत मामलतदार श्री.बी.व्ही.देव जो श्री साईबाबा के एक परम भक्त थे, उन्होंने सगुण मेरु नायक और गोविंद कमलाकर दीक्षित से इस विषयमें पूछताछ की । पादुकाओं का पूर्ण विवरण श्री साई लीला भाग 11, संख्या 1, पृष्ठ 25 में प्रकाशित हुआ है, जो निम्नलिखित है – शक 1834 (सन् 1912) में बम्बई के एक भक्त डाँ. रामराव कोठारे बाबा के दर्शनार्थ शिरडी आये । उनका कम्पाउंडर और उलके एक मित्र भाई कृष्ण जी अलीबागकर भी उनके साथ में थे । कम्पाउंडर और भाई की सगुण मेरु नायक तथा जी. के. दीक्षित से घनिष्ठ दोस्ती हो गई । अन्य विषयों पर विवाद करता समय इन लोगों को विचार आया कि श्री साई बाबा के शिरडी में प्रथम आगमन तथा पवित्र नीम वृक्ष के नीचे निवास करने की ऐतिहासिक स्मृति के उपलक्ष्य में क्यों न पादुकायें स्थापित की जायें । अब पादुकाओं के निर्माण पर विचार विमर्श होने लगा । तब भाई के मित्र कम्पाउंडर ने कहा कि यदि यह बात मेरे स्वामी कोठारी को विदित हो जाय तो वे इस कार्य के निमित्त अति सुन्दर पादुकायें बनवा देंगे । यह प्रस्ताव सबको मान्य हुआ और डाँ. कोठारे को इसकी सूचना दी गई । उन्होंने शिरडी आकर पादुकाओं की रुपरेखा बनाई तथा इस विषय में उपासनी महीराज से भी खंडोवा के मंदिर में भेंट की । उपासनी महाराज ने उसमेंबहुत से सुधार किये और कमल फूलादि खींच दिये तथा नीचे लिखा श्लोक भी रचा, जो नीम वृक्ष के माहात्म्य व बाबा की योगशक्ति का घोतक था, जो इस प्रकार है -


सदा निंबवृक्षस्य मूलाधिवासात्

सुधास्त्राविणं तित्तमप्यप्रियं तम् ।

तरुं कल्पवृक्षाधिकं साधयन्तं

नमानीश्वरं सद्गगुरुं साईनाथम् ।।


अर्थात् मैं भगवान साईनाथ को नमन करता हूँ, जिनका सानिध्य पाकर नीम वृक्ष कटु तथा अप्रिय होते हुए भी अमृत वर्षा करता था । (इस वृक्ष का रस अमृत कहलाता है) इसमें अनेक व्याधियों से मुक्ति देने के गुण होने के कारण इसे कल्पवृक्ष से भी श्रेष्ठ कहा गया है ।

उपासनी महाराज का विचार सर्वमान्य हुआ और कार्य रुप में भी परिणत हुआ । पादुकायें बम्बई में तैयार कराई गई और कम्पाउंडर के हाथ शिरडी भेज दी गई । बाबा की आज्ञानुसार इनकी स्थापना श्रावण की पूर्णिमा के दिन की गई । इस दिन प्रातःकाल 11 बजे जी.के. दीक्षित उन्हें अपने मस्तक पर धारण कर खंडोबा के मंदिर से बड़े समारोह और धूमधाम के साथ दृारका माई में लाये । बाबा ने पादुकायें स्पर्श कर कहा कि ये भगवान के श्री चरण है । इनकी नीम वृक्ष के नीचे स्थापना कर दो । इसके एक दिन पूर्व ही बम्बई के एक पारसी भक्त पास्ता शेट ने 25 रुपयों का मनीआर्डर भेजा । बाबा ने ये रुपये पादुकाओं की स्थापना के निमित्त दे दिये । स्थापना में कुल 100 रुपये हुये, जिनमें 75 रुपये चन्दे दृारा एकत्रित हुए । प्रथम पाँच वर्षों तक डाँ. कोठारे दीपक के निमित्त 2 रुपये मासिक भेजते रहे । उन्होंने पादुकाओं के चारों ओर लगाने के लिये लोहे की छडे़ भी भेजी । स्टेशन से छड़े ढोने और छप्पर बनाने का खर्च (7 रु. 8 आने) सगुण मेरु नायक ने दिये । आजकल जरबाड़ी (नाना पुजारी) पूजन करते है और सगुण मेरु नायक नैवेघ अर्पण करते तथा संध्या को दीहक जलाते है । भाई कृष्ण जी पहले अक्कलकोटकर महाराज के शिष्य थे । अक्कलकोटकर जाते हुए, वे शक 1834 में पादुका स्थापन के शुभ अवसर पर शिरडी आये और दर्शन करने के पश्चात् जब उन्होंने बाबा से अक्कलकोटकर प्रस्थान करने की आज्ञा माँगी, तब बाबा कहने लगे, अरे अक्कलकोटकर में क्या है । तुम वहाँ व्यर्थ क्यों जाते हो । वहाँ के महाराज तो यही (मैं स्वयं) हैं यह सुनकर भाई ने अक्कलकोटकर जाने का विचार त्याग दिया । पादुकाएँ स्थापित होने के पश्चात् वे बहुधा शिरडी आया करते थे । श्री बी.व्ही, देव ने अंत में ऐसा लिखा है कि इन सब बातों का विवरण हेमाडपंत को विदित नहीं था । अन्यथा वे श्री साई सच्चरित्र में लिखना कभी नहीं भूलते ।


मोहिद्दीन तम्बोली के साथ कुश्ती और जीवन परिवर्तन

शिरडी में एक पहलवान था, जिसका नाम मोहिद्दीन तम्बोली था । बाबा का उससे किसी विषय पर मतभेद हो गया । फलस्वरुप दोनों में कुश्ती हुई और बाबा हार गये । इसके पश्चात् बाबा ने अपनी पोशाक और रहन-सहन में परिवर्तन कर दिया । वे कफनी पहनते, लंगोट बाँधते और एक कपडे़ के टुकड़े से सिर ढँकते थे । वे आसन तथा शयन के लिये एक टाट का टुकड़ा काम में लाते थे । इस प्रकार फटे-पुराने चिथडे़ पहिन कर वे बहुत सन्तुष्ट प्रतीत होते थे । वे सदैव यही कहा करते थे । कि गरीबी अब्बल बादशाही, अमीरी से लाख सवाई, गरीबों का अल्ला भाई । गंगागीर को भी कुश्ती से बड़ा अनुराग था । एक समय जब वह कुश्ती लड़ रहा था, तब इसी प्रकार उसको भी त्याग की भावना जागृत हो गई । इसी उपयुक्त अवसर पर उसे देव वाणी सुनाई दी भगवान के साथ खेल भगवान के साथ खेल में अपना शरीर लगा देना चाहिये । इस कारण वह संसार छोड़ आत्म-अनुभूति की ओर झुक गया । पुणताम्बे के समीप एक मठ स्थापित कर वह अपने शिष्यों सहित वहाँ रहने लगा । श्री साई बाबा लोगों से न मिलते और न वार्तालाप ही करते थे । जब कोई उनसे कुछ प्रश्न करता तो वे केवल उतना ही उत्तर देते थे । दिन के समय वे नीम वृक्ष के नीचे विराजमान रहते थे । कभी-कभी वे गाँव की मेंड पर नाले के किनारे एक बबूल-वृक्ष की छाया में भी बैठे रहते थे । और संध्या को अपनी इच्छानुसार कहीं भी वायु-सेवन को निकल जाया करते थे । नीमगाँव में वे बहुधा बालासाहेब डेंगले के गृह पर जाया करते थे । बाबा श्री बालासाहेब को बहुत प्यार करते थे । उनके छोटे भाई, जिसका नाम नानासाहेब था, के दितीय विवाह करने पर भी उनको कोई संतान न थी । बालासाहेब ने नानासाहेब को श्री साई बाबा के दर्शनार्थ शिरडी भेजा । कुछ समय पश्चात उनकी श्री कृपा से नानासाहेब के यहाँ एक पुत्ररत्न हुआ । इसी समय से बाबा के दर्शनार्थ लोगों का अधिक संख्या में आना प्रारंभ हो गया तथा उनकी कीर्ति भी दूर दूर तक फैलने लगी । अहमदनगर में भी उनकी अधिक प्रसिदिृ हो गई । तभी से नानासाहेब चांदोरकर, केशव चिदम्बर तथा अन्य कई भक्तों की शिरडी में आगमन होने लगा । बाबा दिनभर अपने भक्तों से घिरे रहते और रात्रि में जीर्ण-शीर्ण मसजिद में शयन करते थे । इस समय बाबा के पास कुल सामग्री – चिलम, तम्बाखू, एक टमरेल, एक लम्बी कफनी, सिर के चारों और लपेटने का कपड़ा और एक सटका था, जिसे वे सदा अपने पास रखते थे । सिर पर सफेद कपडे़ का एक टुकड़ा वे सदा इस प्रकार बाँधते थे कि उसका एक छोर बायें कान पर से पीठ पर गिरता हुआ ऐसा प्रतीत होता था, मानो बालों का जूड़ा हो । हफ्तों तक वे इन्हें स्वच्छ नहीं करते थे । पैर में कोई जूता या चप्पल भी नहीं पहिनते थे । केवल एक टाट का टुकड़ा ही अधिकांश दिन में उनके आसन का काम देता था । वे एक कौपीन धारण करते और सर्दी से बचने के लिये दक्षिण मुख हो धूनी से तपते थे । वे धूनी में लकड़ी के टुकड़े डाला करते थे तथा अपना अहंकार, समस्त इच्छायें और समस्च कुविचारों की उसमें आहुति दिया करते थे । वे अल्लाह मालिक का सदा जिहृा से उच्चारण किया करते थे । जिस मसजिद में वे पधारे थे, उसमें केवल दो कमरों के बराबर लम्बी जगह थी और यहीं सब भक्त उनके दर्शन करते थे । सन् 1912 के पश्चात् कुछ परिवर्तन हुआ । पुरानी मसजिद का जीर्णोदाार हो गया और उसमें एक फर्श भी बनाया गया । मसजिद में निवास करने के पूर्व बाबा दीर्घ काल तक तकिया में रहे । वे पैरों में घुँघरु बाँधकर प्रेमविहृल होकर सुन्दर नृत्य व गायन भी करते थे ।


जल का तेल में परिवर्तन

बाबा को प्रकाश से बड़ा अनुराग था । वे संध्या समय दुकानदारों से भिक्षा में तेल मागँ लेते थे तथा दीपमालाओं से मसजिद को सजाकर, रात्रिभर दीपक जलाया करते थे । यह क्रम कुछ दिनों तक ठीक इसी प्रकार चलता रहा । अब बलिये तंग आ गये और उन्होंने संगठित होकर निश्चय किया कि आज कोई उन्हें तेल की भिक्षा न दे । नित्य नियमानुसार जब बाबा तेल माँगने पहुँचें तो प्रत्येक स्थान पर उनका नकारात्मक उत्तर से स्वागत हुआ । किसी से कुछ कहे बिना बाबा मसजिद को लौट आये और सूखी बत्तियाँ दियों में डाल दीं। बनिये तो बड़े उत्सुक होकर उनपर दृष्टि जमाये हुये थे । बाबा ने टमरेल उठाया, जिसमें बिलकुल थोड़ा सा तेल था । उन्होंने उसमें पानी मिलाया और वह तेल-मिश्रित जल वे पी गये । उन्होंने उसे पुनः टीनपाट में उगल दिया और वही तेलिया पानी दियों में डालकर उन्हें जला दिया । उत्सुक बिनयों ने जब दीपकों को पूर्ववत् रात्रि भर जलते देखा, तब उन्हें अपने कृत्य पर बड़ा दुःख हुआ और उन्होंने बाबा से क्षमा-याचना की । बाबा ने उन्हें क्षमा कर भविष्य में सत्य व्यवहार रखने के लिये सावधान किया ।


मिथ्या गुरु जौहर अली

उपयुक्त वर्णित कुश्ती के 5 वर्ष पश्चात जौहर अली नाम के एक फकीर अपने शिष्यों के साथ राहाता आये । वे वीरभद्र मंदिर के समीप एक मकान में रहने लगे । फकीर विदृान था । कुरान की आयतें उसे कंठस्थ थी ।उसका कंठ मधुर था । गाँव के बहुत से धार्मिक और श्रदृालु जन उसे पास आने लगे और उसका यथायोग्य आदर होने लगा । लोगों से आर्थिक सहायता प्राप्त कर, उसने वीरभद्र मंदिर के पास एक ईदगाह बनाने का निश्चय किया । इस विषय को लेकर कुछ झगड़ा हो गया, जिसके फलस्वरुप जौहर अली राहाता छोड़ शिरडी आया ओर बाबा के साथ मसजिद में निवास करने लगा । उसने अपनी मधुर वाणी से लोगों के मन को हर लिया । वह बाबा को भी अपना एक शिष्य बताने लगा । बाबा ने कोई आपत्ति नहीं की और उसका शिष्य होना स्वीका कर लिया । तब गुरु और शिष्य दोनों पुनः राहाता में आकर रहने लगे । गुरु शिष्य की योग्यता से अनभिज्ञ था, परंतु शिष्य गुरु के दोषों से पूर्ण से परिचित था । इतने पर भी बाबा ने कभी इसका अनादर नहीं किया और पूर्ण लगन से अपना कर्तव्य निबाहते रहे और उसकी अनेक प्रकार से सेवा की । वे दोनों कभी-कभी शिरडी भी आया करते थे, परंतु मुख्य निवास राहाता में ही था । श्री बाबा के प्रेमी भक्तों को उनका दूर राहाता में ऱहना अच्छा नहीं लगता था । इसलिये वे सब मिलकर बाबा को शिरडी वापस लाने के लिये गये । इन लोगों की ईदगाह के समीप बाबा से भेंट हुई ओर उन्हें अपने आगमन का हेतु बतलाया । बाबा ने उन लोगों को समझाया कि फकीर बडे़ क्रोधी और दुष्ट स्वभाव के व्यक्ति है, वे मुझे नहीं छोडेंगे । अच्छा हो कि फकीर के आने के पूर्व ही आप लौट जाये । इस प्रकार वार्तालाप हो ही रहा था कि इतने में फकीर आ पहुँचे । इस प्रकार अपने शिष्य को वहाँ से ने जाने के कुप्रत्यन करते देखकर वे बहुत ही क्रुदृ हुए । कुछ वादविवाद के पश्चात् स्थति में परिवर्तन हो गया और अंत में यह निर्णय हुआ कि फकीर व शिष्य दोनों ही शिरडी में निवास करें और इसीलिये वे शिरडी में आकर रहने लगे । कुछ दिनों के बाद देवीदास ने गुरु की परीक्षा की और उसमें कुछ कमी पाई । चाँद पाटील की बारात के साथ जब बाबा शिरडी आये और उससे 12 वर्ष पूर्व देवीदास लगभग 10 या 11 वर्ष की अवस्था में शिरडी आये और हनुमान मंदिर में रहते थे । देवीदास सुडौल, सुनादर आकृति तथा तीक्ष्ण बुदि के थे । वे त्याग की साक्षात्मूर्ति तथा अगाध ज्ञगनी थे । बहुत-से सज्जन जैसे तात्या कोते, काशीनाथ व अन्य लोग, उन्हें अपने गुरु-समान मानते थे । लोग जौहर अली को उनके सम्मुख लाये । विवाद में जौहर अली बुरी तरह पराजित हुआ और शिरडी छोड़ वैजापूर को भाग गया । वह अनेक वर्षों के पश्चात शिरडी आया और श्री साईबाबा की चरण-वन्दना की । उसका यह भ्रम कि वह स्वये पुरु था और श्री साईबाबा उसके शिष्य अब दूर हो चुका था । श्री साईबाबा उसे गुरु-समान ही आदर करते थे, उसका स्मरण कर उसे बहुत पश्चाताप हुआ । इस प्रकार श्री साईबाबा ने अपने प्रत्यक्ष आचरण से आदर्श उरस्थित किया कि अहंकार से किस प्रकार छुटकारा पाकर शिष्य के कर्तव्यों का पालन कर, किस तरह आत्मानुभव की ओर अग्रसर होना चाहिये । ऊपर वर्णित कथा म्हिलसापति के कथनानुसार है । अगले अध्याय में रामनवमी का त्यौहार, मसजिद की पहली हालत एवं पश्चात् उसके जीर्णोंधार इत्यादि का वर्णन होगा ।


।। श्री सद्रगुरु साईनाथार्पणमस्तु । शुभं भवतु ।।

178 comments:

  1. Jai Sai Nath ...................

    ReplyDelete
    Replies
    1. Anant koti brahmand nayak rajadhiraj yogiraj prbrhm shri satchitanand sai nath maharaj ki jai🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🏻🙏🏻🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷

      Delete
    2. Om sai ram 🙏🌹. Kripa karo Baba 🙏❤️.

      Delete
    3. OM SAI RAM 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏

      Delete
    4. Om sai ram 🌷

      Delete
    5. Om Sai Ram

      Delete
    6. OM SAI RAM

      Delete
    7. Om Sai Ram jii 🙏🙏

      Delete
    8. Om sai ram
      Kanha ka dukh hariy baba
      Bachcha ko thik kar dijiy dev

      Delete
  2. Replies
    1. OM SAI RAM 🙏🙏🙏🙏💐💐💐💐

      Delete
    2. OM SAI RAM 🙏🙏🙏🙏💐💐💐💐⚘

      Delete
    3. Om sai ram🙏🙏🙏

      Delete
  3. Replies
    1. Om Sai Ram ❤️❤️🕉️🕉️😗🌹😘😘🤗🤗🤗

      Delete
  4. Sai nath maharaj ki jai...jai sai ram.

    ReplyDelete
  5. This comment has been removed by the author.

    ReplyDelete
  6. sadguru sainath maharaj ki jai🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼

    ReplyDelete
  7. jai ho mere sai baba ki 🌹🌹🌹🌹🌹🌹

    ReplyDelete
  8. Om sai ram namamishwar sadguru sai natham

    ReplyDelete
  9. Sai meri mano kamna puri Karna.
    Jo bole Jai sai Ram, uske ban jaye bigde kam.
    Tera hath jisne pakda, vo rha na be sahara,
    Dariya main doob kr bhi use mil gaya kinara

    ReplyDelete
  10. jai sai ram Apki kripa se sb kaam ho rha hai🙂🙂karte ho baba aap bs naam ho rha hai.Koti koti dhanywad and pranam baba.

    ReplyDelete
  11. Om Sai Ram
    Baba please kirpa kro 😭😭

    ReplyDelete
  12. Ananntkoti brhmandnayk rajadhiraj yogiraj prmbrhm shri schcidannad sadguru Sai nath maharaj ki jai ho 🙏💞🌹🌹💕 love u so much baba g plz help mom g apni krpa hm sb pr bnay rkhiy baba g 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏

    ReplyDelete
  13. Om Sai Ram ��

    ReplyDelete
  14. Om Sai Ram ��

    ReplyDelete
  15. Sai mann bahut dukhi ho jata hai kabhi kabhi apko pata hai kyo

    ReplyDelete
  16. Om sai ram 🕉️🙏🕉️🕉️🕉️🎂🕉️💐🎂💐🎂💐🎂🎂🌹🎂🌹🎂🎉🎂🎉🎂🎉🎉🎂💐🎂😊🎂😊🎂

    ReplyDelete
  17. Sai nath mere pariwar pr apni krupa karo .🙏🙏🙏🙏🙏

    ReplyDelete
  18. Om namoh Shri Sai prabhu namah 🙏 love you so much Baba g 🙏

    ReplyDelete
  19. Sai Math Maharaj ki jai🌻🌹🌺🙏🙏🌻❤️🌹💐

    ReplyDelete
  20. Sai Baba Achi Buddhi KrDo Pleassseee Sabkii Raksha Karnaa🤗🤗🌹🌹❤️❤️

    ReplyDelete
  21. AnantKoti Bharamandnayak Rajadhiraaj ParanamBharma SadhGuru Shree Sachidanand SaiNath Maharaj Ki Jaiiii🙏🙏🙏🕉️🕉️😘😘❤️❤️❤️❤️❤️💐💐🌹🌹♥️♥️♥️♥️🕉️🕉️🕉️🤗🤗

    ReplyDelete
  22. ओम् सांई राम

    ReplyDelete
  23. mera Sahara mere saiya mere vishwas 🙏 love you so much baba g 🙏 love you so much baba g 🙏

    ReplyDelete
  24. shri sai Samarth 🙏 love you so much baba g

    ReplyDelete
  25. jai shree sai Samarth 🙏 mera Sahara mere saiya mera vishwas hai 🙏 thankuuuu so much baba g 🙏 love you so much baba g 🙏

    ReplyDelete
  26. Om sai ram 🥰🥰🥰🥰🥰

    ReplyDelete
  27. Om sai Ram 🙏🙏🙏🙏💐subh ratri Baba

    ReplyDelete
  28. OM SAI RAM🙏 JAI SAI RAM🙏 JAI JAI SAI RAM🙏❤

    ReplyDelete
  29. 🙏sadguru sai nath maharaj ki jai 🙏

    ReplyDelete
  30. Sri Sai🌹🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏

    ReplyDelete
  31. 😀😀😀😀 गंजा पी कर पेड़ के नीचे पड़े रहता था एक आलसी कुत्ता की तरह


    अरे मूर्खों जो गांजा की नसा में रहेगा वो क्या कभी नहाने धोने का स्वछ होने का सोचेगा क्या


    किन्तु तुम तो उसे सिर पर बिठा लिया 😀😀😀😀😀 नसेड़ी गांजा मास्टर मांस वाला बिरयानी खाने वाला साई बिरयानी बाला बाबा 😀😀😀😀

    ReplyDelete
    Replies
    1. Bhosdike sale acha ni bol skta to bura bhi mt bol

      Delete
  32. Sai rhm njr krna bcho ka paln Krna 🙏 i m sorry plz forgive me 😭 thankuuuu you so much baba ji 🙏 love you so much baba ji 🙏

    ReplyDelete
  33. 🙏🏼❤️om sai ram ❤️🙏🏼

    ReplyDelete
  34. Sri Sai 🙏❤️🌺💐🌹🌷🌼🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏❤️❤️❤️❤️🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏❤️🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏

    ReplyDelete
  35. Om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram

    ReplyDelete
  36. OM SHRI SAI RAM JI MALIK MERE SHIRDI WALE SAI BABA JI🙇🏼🙏🙇🏼🙏

    ReplyDelete
  37. Baba meri problem dur kro plz..

    ReplyDelete
  38. Om Sai Ram ..baba kripa kro kripa ❣️❣️❣️

    ReplyDelete
  39. Om sai ram 🙏🙏🙏💐💐💐

    ReplyDelete
  40. Jai shri sai samarth 🙏I m sorry plz forgive🙇 I thanku🙏 I love you so much baba ji🙏 💕👨‍👩‍👦‍👦💕

    ReplyDelete
  41. Om shree sai nathaya namah😊😊😊😊😊

    ReplyDelete
  42. Om sai ram om sai ram om sai sai ram om sai ram om sai ram om sai ram om sai ram om sai om sai ram om sai ram om sai ram om sai ram baba pls be with us always we are nothing without you 👏👏👏

    ReplyDelete
  43. Om Sai ram 🙏🙏🙏Baba please be with him.He really need you now your presence makes him stronger and pls save him🙏🙏🙏Baba always shower your blessings on him👏👏👏

    ReplyDelete
  44. Sai nath Maharaj ki Jai ...with lots of baba blessings

    ReplyDelete
  45. Sri Sai.....🙏🙏🙏🙏🙏❤❤❤❤❤

    ReplyDelete
  46. Om sai ram om sai ram baba pls take care of your child always 👏👏👏

    ReplyDelete
  47. SAI BABA JEE APKO CHARAN SPARASH AND CHARAN VANDHANA
    SAI BABA JEE PLEASE BLESS KUNAL TO FIND A JOB AND BLESS HIM WITH GOOD HEALTH
    JAI JAI SRI SAI NATH JEE 🙏🙏🙏🙏🙏🙏

    ReplyDelete
  48. SAI NATH JEE PLEASE BLESS SUPRIYA AND BLESS HER WITH GOOD HEALTH
    APKO KOTEE KOTEE PARNAM 🙏🙏🙏🙏

    ReplyDelete
  49. Om sai ram om sai ram om sai ram om sai ram om sai ram om sai ram 👏 Baba pls be with us always we are nothing without you 👏👏👏 Baba

    ReplyDelete
  50. SAI RAM KRISHNA HARE
    OM SAI RAM
    BABA FORGIVE ME FOR ALL MY SINS M WORTHLESS SHRI SAI PROTECT THIS WORLD N US FROM ALL DISEASES SINS N EVILS WE SURRENDER TO U BLESS U BABA SHOWER UR BLESSING ON US
    MERE SAI PYARE SAI SABKE SAI
    BOW TO SHRI SAI BABA PEAVE BE TO ALL

    ReplyDelete
  51. SAI RAM KRISHNA HARE
    OM SAI RAM
    BABA FORGIVE ME FOR ALL MY SINS I M WORTHLESS SAI PROTECT THIS WORLD N US FROM ALL DISEASES SINS N EVILS WE SURRENDER TO U SHRI SAI HELP US
    MERE SAI PYARE SAI SABKE SAI
    AP HEE BRAHMA AP HEE VISHNU AP HEE DEVA DI DEV MAHADEV HO JAI SAI SADHGURU
    BOW TO SHRI SAI BABA PEACE BE TO ALL🙏🙏

    ReplyDelete
  52. SAI RAM KRISHNA HARE
    OM SAI RAM
    BABA FORGIVE ME FOR ALL MY SINS I M WORTHLESS SAI PROTECT THIS WORLD N US FROM ALL DISEASES SINS N EVILS WE SURRENDER TO U SHRI SAI PLZ HELP US BABA
    MERE SAI PYARE SAI SABKE SAI
    AP HEE BRAHMA AP HEE VISHNU AP HEE DEV ADI DEV MAHADEV HO JAI SAI SADHGURU
    BOW TO SHRI SAI BABA PEACE BE TO ALL🙏🙏

    ReplyDelete
  53. SAI RAM KRISHNA HARE
    OM SAI RAM
    BABA FORGIVE ME FOR ALL MY SINS I M WORTHLESS SAI PROTECT THIS WORLD N US FROM ALL DISEASES SINS N EVILS WE SURRENDER TO U SHRI SAI PLZ HELP US BABA
    MERE SAI PYARR SAI SABKE SAI
    AP HEE BRAHMA AP HEE VISHNU AP HEE DEVA DI DEV MAHADEV HO JAI HO SAI SADHGURU
    BOW TO SHRI SAI BABA PEACE BE TO ALL🙏🙏

    ReplyDelete
  54. SrI sai,🙏❤️🙏❤️🙏❤️🙏❤️🙏❤️

    ReplyDelete
  55. 🙏🙏🕉 OM SAI RAM 🕉 🙏 🙏
    BABA MEHAR KRO🙏

    ReplyDelete
  56. Om Sai Ram om sai ram om sai ram om sai ram om sai ram.baba pls take care of family issues pls Baba 👏👏👏

    ReplyDelete
  57. Om sai ram🙏🙏

    ReplyDelete
  58. Sri Sai 🙏

    ReplyDelete
  59. om sai rakshak sharanam deva

    ReplyDelete
  60. OM SAI RAKSHAK SHARNAM DEVA

    ReplyDelete
  61. SAI BABA PLEASE MEERI MANOKAMANA PURI KARDO, MERE PYYAR KE SAATH HI MERI SHADI HONE DO PLEASE SAI BABA PLEASE... PLEASE BLESS ME & MY LOVE OM SAI SHRI SAI JAI JAI SAI,OM SAO SHRI SAI JAI JAI SAI, OM SAI SHRI SAI JAI JAI SAI , OM SAI SHRI SAI JAI JAI SAI, OM SAI SHRI SAI JAI JAI SAI

    ReplyDelete
  62. Sai raham najar krna shivank g ki raksha krna 🙏I m sorry plz forgive me🙇 I thanku i love you so much baba ji🙏

    ReplyDelete
  63. Om Sai Ram🌹🙏 (prajna)

    ReplyDelete
  64. Om sai ram♥️

    ReplyDelete
  65. Om sai Ram 🙏🌺

    ReplyDelete
  66. Sai baba aapka vhut vhut shukria to give me a chance to read ch.5 OM sachidanand sai Nathan Maharaj ki jai.

    ReplyDelete
  67. Om Sai Ram 🌹🙏 ( prajna)

    ReplyDelete
  68. Raham najar kro ab mere sai 🙏om sai ram g🙏

    ReplyDelete
  69. ओम श्री साईं नाथ की जय
    साईं भक्त सतीश त्यागी काकड़ा गाजियाबाद

    ReplyDelete
  70. JAI JAI SRI SAI NATHAY NAMAH
    APKO KOTEE KOTEE PARNAM
    SAI RAM JEE PLEASE BLESS KUNAL AND FORGIVE HIM🙏🙏

    ReplyDelete
  71. I m sorry 🙏plz forgive me 🙇I thanku 🥰i love you so much baba g 💏💕

    ReplyDelete
  72. Om shri Sai Ram mere pyare baba🌹🌷🌷🙏🥭🥭🥭❤️🍰🍰

    ReplyDelete
  73. Om shri Sai Ram mere pyare baba 🙏🌹🙏🌹

    ReplyDelete
  74. Om Sai Ram. I don’t have words to thank you.Please be with all of us always.

    ReplyDelete
  75. Om Sai Ram❤️🙏

    ReplyDelete
  76. Neelam Mishra
    Om Sai Ram
    Om Sai Ram

    ReplyDelete
  77. Naman Mishra
    Om Sai Ram
    Om Sai Ram

    ReplyDelete
  78. Sai Baba sada kripa banaye rakhna

    ReplyDelete
  79. Om shree sai nathay namah 🙏🙏🌹🌹

    ReplyDelete
  80. 🌹JAI SAI RAM🙏🏻
    MERE PRABHU🌹
    MERE SARTAJ 💗
    MERE SAI PITA 🌹

    ReplyDelete
  81. Om Sai Ram 🙏

    ReplyDelete
  82. 🙏💐Om Sai Ram ji 💐🙏

    ReplyDelete
  83. Om Sai Ram...

    ReplyDelete
  84. Om shri Sai Ram mere pyare baba 🌹🙏🥭🌷🌷🌷🌷🌷🙏❤️♥️♥️♥️❤️❤️

    ReplyDelete
  85. Om shri Sai Ram mere pyare baba 🥭🥭🌷🌷🥭🌹🌹🌹

    ReplyDelete
  86. om sai ram🙏 ravi m

    ReplyDelete
  87. Om Sai Ram🙏

    ReplyDelete
  88. Om shri Sai Ram 🌹🙏🌹🙏

    ReplyDelete
  89. Sada apna varad hast hamare upar rakhna sai baba🙏🙏

    ReplyDelete
  90. Om Sai Ram❤️🙏

    ReplyDelete
  91. Om sai ram🙏🙏🙏🙏🙏

    ReplyDelete
  92. 🙏🙏🕉 OM SAI RAM 🕉 🙏 🙏

    ReplyDelete
  93. Baba aap sada hamare saath ho🙏🙏

    ReplyDelete
  94. Om Sai Ram ❤️

    ReplyDelete
  95. Sai baba Hume sab ko sadbuddhi pradan keejiye🙏🙏

    ReplyDelete
  96. Baba mere aur ki sadiv raksha kare apna aashis unhe pradan kare

    ReplyDelete
  97. Baba Hume aapka aashirwad sada milata rahe🙏🙏

    ReplyDelete
  98. 🙏🙏🕉 OM SAI RAM 🕉 🙏 🙏

    ReplyDelete
  99. Om Sai Ram💐🙏

    ReplyDelete
  100. 🙏🏻🌹Om Sai Ram🌹🙏🏻

    ReplyDelete
  101. Sai tum hi hamare path pradarshak ho🙏🙏

    ReplyDelete