Sai Satcharitra Hindi chap 47
श्री साई सच्चरित्र
अध्याय 47 - पुनर्जन्म
वीरभद्रप्पा और चेनबसाप्पा (सर्प व मेंढ़क) की वार्ता ।
गत अध्याय में बाबा द्घारा बताई गई दो बकरों के पूर्व जन्मों की वार्ता थी । इस अध्याय मे कुछ और भी पूर्व जन्मों की स्मृतियों का वर्णन किया जाता है । प्रस्तुत कथा वीरभद्रप्पा और चेनवसाप्पा के सम्बन्ध में है ।
प्रस्तावना
हे त्रिगुणातीत ज्ञानावतार श्री साई । तुम्हारी मूर्ति कितनी भव्य और सुन्दर है । हे अन्तयार्मिन । तुम्हारे श्री मुख की आभा धन्य है । उसका क्षणमात्र भी अवलोकन करने से पूर्व जन्मों के समस्त दुःखों का नाश होकर सुख का द्घार खुल जाता है । परन्तु हे मेरे प्यारे श्री साई । यदि तुम अपने स्वभाववश ही कुछ कृपाकटाक्ष करो, तभी इसकी कुछ आशा हो सकती है । तुम्हारी दृष्टिमात्र से ही हमारे कर्म-बन्धन छिन्न-भिन्न हो जाते है और हमें आनन्द की प्राप्त हो जाती है । गंगा में स्नान करने से समस्त पाप नष्ट हो जाते है, परन्तु गंगामाई भी संतों के आगमन की सदैव उत्सुकतापूर्वक राह देखा करती है कि वे कब पधारें और मुझे अपनी चण-रज से पावन करें । श्री साई तो संत-चूडामणि है । अब उनके द्घारा ही हृदय पवित्र बनाने वाली यह कथा सुनो ।
सर्प और मेंढ़क
श्री साई बाबा ने कहा – एक दिन प्रातःकाल 8 बजे जलपान के पश्चात मैं घूमने निकला । चलते-चलते मैं एक छोटी सी नदी के किनारे पहुँचा । मैं अधिक थक चुका था, इस काण वहाँ बैठकर कुछ विश्राम करने लगा । कुछ देर के पश्चात् ही मैंने हाथ-पैर धोये और स्नान किया । तब कहीं मेरी थकावट दूर हुई और मुझे कुछ प्रसन्नता का अनुभव होने लगा । उस स्थान से एक पगडंडी और बैलगाड़ी के जाने का मार्ग था, जिसके दोनों ओर सघन वृक्ष थे । मलय-पवन मंद-मंद वह रहा था । मैं चिलम भर ही रहा था कि इतने में ही मेरे कानों में एक मेंढ़क के बुरी तरह टर्राने की ध्वनि पड़ी । मैं चकमक सुलगा ही रहा था कि इतने में एक यात्री वहाँ आया और मेरे समीप ही बैठकर उसने मुझे प्रणाम किया और घर पर पधारकर भोजन तथा विश्राम करने का आग्रह करने लगा । उसने चिलम सुलगा कर मेरी ओर पीने कि लिये बढ़ाई । मेंढ़क के टर्राने की ध्वनि सुनकर वह उसका रहस्य जानने के लिये उत्सुक हो उठा । मैंने उसे बतलाया कि एक मेंढक कष्ट में है, जो अपने पूर्व जन्म के कर्मों का फल भोग रहा है । पूर्व जन्म के कर्मों का फल इस जन्म में भोगना पड़ता है, अतः अब उसका चिल्लाना व्यर्थ है । एक कश लेकर उसने चिलम मेरी ओर बढ़ाई । थोड़ा देखूँ तो, आखिर बात क्या है । ऐसा कहकर वह उधर जाने लगा । मैंने उसे बतलाया कि एक बड़े साँप ने एक मेंढ़क को मुँह में दबा लिया है, इस कारण वह चिल्ला रहा है । दोनों ही पूर्व जन्म में बड़े दुष्ट थे और अब इस शरीर में अपने कर्मों का फल भोग रहे है । आगन्तुक ने घटना-स्थल पर जाकर देखा कि सचमुच एक बड़े सर्प ने एक बड़े मेंढ़क को मुँह में दबा रखा है ।
उसने वापस आकर मुझे बताया कि लगभग घड़ी-दो घड़ी में ही साँप मेंढ़क को निगल जायेगा । मैंने कहा – नहीं, यह कभी नहीं हो सकता, मैं उसका संरक्षक पिता हूँ और इस समय यहाँ उपस्थित हूँ । फिर सर्प की क्या सामर्थ्य है कि मेंढ़क को निगल जाय । क्या मैं व्यर्थ ही यहाँ बैठा हूँ । देखो, मैं अभी उसकी किस प्रकार रक्षा करता हूँ । दुबारा चिलम पीने के पश्चात् हम लोग उस स्थान पर गये । आगन्तुक डरने लगा और उसने मुझे आगे बढ़ने से रोका कि कहीं सर्प आक्रमण न कर दे । मैं उसकी बात की उपेक्षा कर आगे बढ़ा और दोनों से कहने लगा कि अरे वीरभद्रप्पा । क्या तुम्हारे शत्रु को पर्याप्त फल नहीं मिल चुका है, जो उसे मेंढ़क की और तुम्हें सर्प की योनि प्राप्त हुई है । अरे अब तो अपना वैमनस्य छोड़ो । यही बड़ी लज्जाजनक बात है । अब तो इस ईर्ष्या को त्यागो और शांति से रहो । इन शब्दों को सुनकर सर्प ने मेंढ़क को छोड़ दिया और शीघ्र ही नदी में लुप्त हो गया । मेंढ़क भी कूदकर भागा और झाड़ियों में जा छिपा ।
उस यात्री को बड़ा अचम्भा हुआ । उसकी समझ में न आया कि बाबा के शब्दों को सुनकर साँप ने मेंढ़क को क्यों छोड़ दिया और वीरभद्रप्पा व चेनबसाप्पा कौन थे । उनके वैमनस्य का कारण क्या था । इस प्रकार के विचार उसके मन में उठने लगे । मैं उसके साथ उसी वृक्ष के नीचे लौट आया और धूम्रपान करने के पश्चात उसे इसका रहस्य सुनाने लगा ः-
मेरे निवासस्थान से लगभग 4-5 मील की दूरी पर एक पवित्र स्थान था, जहाँ महादेव का एक मंदिर था । मंदिर अत्यन्त जीर्ण-शीर्ण स्थिति में था, सो वहाँ के निवासियों ने उसका जीर्णोद्घार करने के हेतु कुछ चन्दा इकट्ठा किया । पर्याप्त धन एकत्रित हो गया और वहाँ नित्य पूजन की व्यवस्था कर मंदिर के निर्माण की योजनायें तैयार की गई । एक धनाढ़य व्यक्ति को कोषाध्यक्ष नियुकत कर उसको समस्त कार्य की देख-भाल का भार सौंप दिया गया । उसको कार्य, व्यय आदि का यथोचित विवरण रखकर ईमानदारी से सब कार्य करना था । सेठ तो एक उच्च कोटि का कंजूस था । उसने मरम्मत में अत्यन्त अल्पराशि व्यय की, इस कारण मंदिर का जीर्णोद्घार भी उसी अनुपात में हुआ । उसने सब राशि व्यय कर दी तथा कुछ अंश स्वयं हड़प लिया और उसने अपनी गाँठ से एक पाई भी व्यय न की । उसकी वाणी अधिक रसीली थी, इसलिये उसने लोगों को किसी प्रकार समझा-बुझा लिया और कार्य पूर्ववत् ही अधूरा रह गया । लोग फिर संगठित होकर उसके पास जाकर कहने लगे – सेठ साहेब । कृपया कार्य शीघ्र पूर्ण कीजिये । आपके प्रत्यन के अभाव में यह कार्य पूर्ण होना कदापि संभव नहीं । अतः आप पुनः योजना बनाइये । हम और भी चन्दा आपको वसूल करके देंगे । लोगों ने पुनः चन्दा एकत्रित कर सेठ को दे दिया । उसने रुपये तो ले लिये, परन्तु पूर्ववत् ही शांत बैठा रहा । कुछ दिनों के पश्चात् उसकी स्त्री को भगवान् शंकर ने स्वप्न दिया कि उठो और मंदिर पर कलश चढ़ाओ । जो कुछ भी तुम इस कार्य में व्यय करोगी, मैं उसका सौ गुना अधिक तुम्हें दूँगा । उसने यह स्वप्न अपने पति को सुना दिया । सेठ बयभीत होकर सोचने लगा कि यह कार्य तो ज्यादा रुपये खर्च कराने वाला है, इसलिये उसने यह बात हँसकर टाल दी कि यह तो एक निरा स्वप्न ही है और उस पर भी कहीं विश्वास किया जा सकता है । यदि ऐसा होता तो महादेव मेरे समक्ष ही प्रगट होकर यह बात मुझसे न कह देते । मैं क्या तुमसे अधिक दूर था । यह स्वप्न शुभदायक नहीं । यह तो पति-पत्नी के सम्बन्ध बिगाड़ने वाला है । इसलिये तुम बिलकुल शांत रहो । भगवान् को ऐसे द्रव्य की आवश्यकता ही कहाँ, जो दानियों की इच्छा के विरुदृ एकत्र किया गया हो । वे तो सदैव प्रेम के भूखे है तथा प्रेम और भक्तिपूर्वक दिये गये एक तुच्छ ताँबे का सिक्का भी सहर्ष स्वीकार कर लेते है । महादेव ने पुनः सेठानी को स्वप्न में कह दिया कि तुम अपने पति की व्यर्थ की बातों और उनके पास संचित धन की ओर ध्यान न दो और न उनसे मंदिर बनवाने के लिये आग्रह ही करो । मैं तो तुम्हारे प्रेम और भक्ति का ही भूखा हूँ । जो कुछ भी तुम्हारी व्यय करने की इच्छा हो, सो अपने पास से करो । उसने अपने पति से विचार-विनिमय करके अपने पिता से प्राप्त आभूषणों को विक्रय करे का निश्चय किया । तब कृपण सेठ अशान्त हो उठा । इस बार उसने भगवान् को भी धोखा देने की ठान ली । उसने कौड़ी-मोल केवल एक हजार रुपयों में ही अपनी पत्नी के समस्त आभूषण स्वयं खरीद डाले और एक बंजर भूमि का भाग मंदिर के निमित्त लगा दिया, जिसे उसकी पत्नी ने भी चुपचाप स्वीकार कर लिया । सेठ ने जो भूमि दी, वह उसकी स्वयं की न थी, वरन् एक निर्धन स्त्री दुबकी की थी, जो इसके यहाँ दो सौ रुपयों में गहन रखी हुई थी । दीर्घकाल तक वह ऋण चुकाकर उसे वापस न ले सकी, इसलिये उस धूर्त कृपण ने अपनी स्त्री, दुबकी और भगवान को धोखा दे दिया । भूमि पथरीली होने के कारण उसमें उत्तम ऋतु में भी कोई पैदावार न होती थी । इस प्रकार यह लेन-देन समाप्त हुआ । भूमि उस मंदिर के पुजारी को दे दी गई, जो उसे पाकर बहुत प्रसन्न हुए ।
कुछ समय के पश्चात् एक विचित्र घटना घटित हुई । एक दिन बहुत जोरों से झंझावात आया और अति वृष्टि हुई । उस कृपण के घर पर बिजली गिरी और फलस्वरु पति-पत्नि दोनों की मृत्यु हो गई । दुबकी ने भी अंतिम श्वास छोड़ दी । अगले जन्म में वह कृपण मथुरा के एक ब्राहमण कुल में उत्पन्न हुआ और उसका नाम वीरभद्रप्पा रखा गया । उसकी धर्मपत्नी उस मंदिर के पुजारी के घर कन्या होकर उत्पन्न हुई और उसका नाम गौरी रखा गया । दुबकी पुरुष बनकर मंदिर के गुरव (सेवक) वंश में पैदा हुई और उसका नाम चेनबसाप्पा रखा गया । पुजारी मेरा मित्र था और बहुधा मेरे पास आता जाता, वार्तालाप करता और मेरे साथ चिलम पिया करता था । उसकी पुत्री गौरी भी मेरी भक्त थी । वह दिनोंदिन सयानी होती जा रही थी, जिससे उसका पिता भी उसके हाथ पीले करने की चिंता में रहता था । मैंने उससे कहा कि चिंता की कोई आवश्यकता नहीं, वर स्वयं तुम्हारे घर लड़की की खोज में आ जायेगा । कुछ दिनों के पश्चात् ही उसी की जाति का वीरभद्रप्पा नामक एक युवक भिक्षा माँगते-माँगते उसके घर पहुँचा । मेरी सम्मति से गौरी का विवाह उसके साथ सम्पन्न हो गया । पहले तो वह मेरा भक्त था, परन्तु अब वह कृतघ्न बन गया । इस नूतन जन्म में भी उसकी धन-तृष्णा नष्ट न हुई । उसने मुझसे कोई उघोग धंधा सुझाने को कहा, क्योंकि इस समय वह विवाहित जीवन व्यतीत कर रहा था । तभी एक विचित्र घटना हुई । अचानक ही प्रत्येक वस्तुओं के बाव ऊँचे चढ़ गये । गौरी के भाग्य से जमीन की माँग अधिक होने लगी और समस्त भूमि एक लाख रुपयों में आभूषणों के मूल्य से 100 गुना अधिक मूल्य में बिक गई । ऐसा निर्णय हुआ कि 50 हजार रुपये नगद और 2000 रुपये प्रतिवर्ष किश्त पर चुकता कर दिये जायेंगे । सबको यह लेनदेन स्वीकार था, परन्तु धन में हिससे के कारण उनमें परस्पर विवाद होने लगा । वे परामर्श लेने मेरे पास आये और मैंने कहा कि यह भूमि तो भगवान् की है, जो पुजारी को सौंपी गई थी । इसकी स्वामिनी गौरी ही है और एक पैसा भी उसकी इच्छा के विरुदृ खर्च करना उचित नहीं तथा उसके पति का इस पर कोई अधिकार नहीं है । मेरे निर्णय को सुनकर वीरभद्रप्पा मुझसे क्रोधित होकर कहने लगा कि तुम गौरी को फुसाकर उसका धन हड़पना चाहते हो । इन शब्दों को सुनकर मैं बगवत् नाम लेकर चुप बैठ गया । वीरभद्र ने अपनी स्त्री को पीटा भी । गौरी ने दोपहर के समय आकर मुझसे कहा कि आप उन लोगों के कहने का बुरा न मानें । मैं तो आपकी लड़की हूँ । मुझ पर कृपादृष्टि ही रखें । वह इस प्रकार मेरी सरण मे आई तो मैंने उसे वचन दे दिया कि मैं सात समुद्र पार कर भी तुम्हारी रक्षा करुँगा । तब उस रात्रि को गौरी को एक दृष्टांत हुआ । महादेव ने आकर कहा कि यह सब सम्पत्ति तुम्हारी ही है और इसमें से किसी को कुछ न दो । चेनबसाप्पा की यह सलाह से कुछ राशि मंदिर के कार्य के लिये खर्च करो । यदि और किसी भी कार्य में तुम्हे खर्च करने की इच्छा हो तो मसजिद में जाकर बाबा (स्वयं मैं) के परामर्श से करो । गौरी ने अपना दृष्टांत मुझे सुनाया और मैंने इस विषय में उचित सलाह भी दी । मैंने उससे कहा कि मूलधन तो तुम स्वयं ले लो और ब्याज की आधी रकम चेनबसाप्पा को दे दो । वीरभद्र का इसमें कोई सम्बन्ध नहीं है । जब मैं यह बात कर ही रहा था, वीरभद्र और चेनबसाप्पा दोनों ही वहाँ झगड़ते हुए आये । मैंने दोनों को शांत करने का प्रयत्न किया और गौरी को हुआ महादेव का स्वप्न भी सुनाया । वीरभद्र क्रोध से उन्हत हो गया और चेनबसाप्पा को टुकड़े-टुकड़े कर मार डालने की धमकी देने लगा । चेनबसाप्पा बड़ा डरपोक था । वह मेरे पैर पकड़कर रक्षा की प्रार्थना करने लगा । तब मैंने शत्रु के पाश से उसका छुटकारा करा दिया । कुछ समय पश्चात् ही दोनों की मृत्यु हो गई । वीरभद्र सर्प बना और चेनबसाप्पा मेंढ़क । चेनबासप्पा की पुकार सुनकर और अपने पूर्व वचन की स्मृति करके यहाँ आया और इस तरह से उसकी रक्षा कर मैंने अपने वचन पूर्ण किये । संकट के समय भगवान् दौड़कर अपने भक्त के पास जाते है । उसने मुझे यहाँ भेजकर चेनबसाप्पा की रक्षा कराई । यह सब ईश्वरीय लीला ही है ।
शिक्षा
इस कथा की यही शिक्षा है कि जो जैसा बोता है, वैसा ही काटता है, जब तक कि भोग पूर्ण नहीं होते । पिछला ऋण और अन्य लोगों के साथ लेन-देन का व्यवहार जब तक पूर्ण नहीं होता, तब तक छुटकारा भी संभव नहीं है । धनतृष्णा मनुष्य का पतन कर देती है और अन्त में इससे ही वह विनाश को प्राप्त होता है ।
।। श्री सद्रगुरु साईनाथार्पणमस्तु । शुभं भवतु ।।
Om sai ram
ReplyDeleteBolo sai nath maharaj ki..
Jai jai jai
Om sai ram
DeleteOm Sairam
DeleteOm sai ram jai sai ram
DeleteOm sai ram ji ❤️🌸
DeleteOm Sai Ram jii 🙏🙏
DeleteJAI SHRI SAI
DeleteSri sai
ReplyDeletejai sai ram
ReplyDeleteOmsai shirdi sai sadguru sai sainath sai maharaja sai data sai vidhata sai malik sai swami sai sarvadnya sai tarnhar sai mata sai pita sai bandho sai sakha sai name Teri kripa me rakhana bhagvan
ReplyDeleteom sai ram🌹👏🍓
ReplyDeleteOm Sai Ram ,raksha karo Sukh do Shanti do ,Om Sai namo namah..
ReplyDeleteSai Nath Maharaj ki jai
ReplyDelete🌹jai sai ram🙏
ReplyDeleteOm sai ram
ReplyDeleteBolo Sai baba ki Jai
ReplyDelete🙏🚩🌹om sai ram🌹🚩🙏
ReplyDeleteSai nath ki jai��
ReplyDeleteOm sai ram baba sabki rakcha karna
ReplyDelete🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻om sai ram
ReplyDeleteBaba Mann bahut dukhi hai apko Sab pata hai
ReplyDeleteOm sai ram har har mahadev jai sabhi devi devtao ji ki jai ho jai maa vaibhav Laxmi jai Maa kali kalkate wali ji ki jai ho jai maa saraswati ji ki jai ho jai maa santoshi ji ki jai ho jai maa महालक्ष्मी ji ki jai ho jai maa ❤️😘🙏😘🙏😘🙏😊🙏😊🙏🙏😊🙏😊🙏😊
ReplyDeleteOm Sai Ram ��
ReplyDeleteOm sai ram🙏
ReplyDeleteSai Nath Maharaj ki jai🙏
ReplyDeleteShradha and Saburi! Om Sai Ram🙏🏼🙏🏼
ReplyDeleteOm Sai Ram... Baba g sb pr apni kripya bnaye rakhna.. 😊😊🙏🙏🙏🙏🙏🙏
ReplyDeleteSri Sai 🙏🏻
ReplyDeleteom sai ram ji
ReplyDeleteOm Sai ram
ReplyDelete🙏om sai ram 🙏
ReplyDeleteOm sai ram😘😘😘😘😘
ReplyDeleteOM SAI RAM
ReplyDelete🙏🏻JAI SAI RAM🌹
ReplyDeleteJai sai ram..bless us
ReplyDeleteSai ram ji to all baba will help everyone suffering
ReplyDeleteSri Sai🙏🏼🙏🌷🌹
ReplyDeletejai shree sai shiv Samarth 🙏 love you so much baba g 🙏
ReplyDeleteOm Shree Sai Namo Namah🙏🙏🙏🙏🙏
ReplyDelete🙏🙏
ReplyDeleteOm sai ram
ReplyDeleteSri Sai❤️🌹🙏🙏
ReplyDelete❤️🙏🏼om sai ram🙏🏼❤️
ReplyDeleteOm Sai Ram🙏🙏 om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om🙏🙏 Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om🙏🙏 Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram🙏🙏 om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
ReplyDeleteOm Sairam 🙏🌹
ReplyDelete🙏Om Sai Ram🙏
ReplyDeletesai rhm njr krna bcho ka paln krna 🙏 i m sorry plz forgive me 🙏 thanku so much sai ram ji 🥰 Love you so much sai ram ji 🥰
ReplyDeleteSri Sai🌹❤️🙏🌹❤️🙏🙏🌹❤️🙏🙏🌹❤️🙏🙏🙏
ReplyDeleteJai shree sai samarth🙏 sai raham najar krna shivank g🙏
ReplyDeleteOr unki family ki rakhsa krna🙏 mera sahara mere saiya mera sahara mere saiya mera vishwas hai🙏 I m sorry plz forgive🙇 I thanku 🙏I love you so much baba ji🙏 😘👨👩👦👦💕
Om sai ram om sai ram om sai ram om sai ram om sai ram om sai ram om sai ram om sai ram.baba be with us always we nothing without you 👏👏👏
ReplyDelete🌹❤❤JAI SAI RAM🙏🏻
ReplyDeleteKl
ReplyDeleteOm sai ram om sai ram om sai ram om sai ram om sai ram om sai ram om sai ram om sai ram om sai ram om sai ram om sai ram om sai ram 👏 Baba pls be with us always we are nothing without you 👏👏👏
ReplyDeleteOm sai ram🙏
ReplyDeleteOm sai ram 🙏🙏
ReplyDeleteOM SAI RAM
ReplyDeleteSAI RAM KRISHNA HARE
BABA FORGIVE ME FOR ALL MY SINS PROTECT THIS WORLD AND US FROM ALL SINS AND DISEASES.
JAI SAI RAM
MERE SAI PYARE SAI SABKE SAI��REHAM KARO SAI REHAM KARO��
SAI RAM KRISHNA HARE
ReplyDeleteBABA FORGIVE ME FOR ALL MY SINS PROTECT THIS WORLD N US FROM ALL SINS AND DISEASES I BOW DOWN TO U
OM SAI RAM
MERE SAI PYARE SAI SABKE SAI
WE SURRENDER TO U SAI JAI SAI RAM 🙏
Sri Said🙏❤️🌹🙏❤️🌹🙏❤️🌹🙏❤️🌹🙏❤️🌹
ReplyDeleteSri sai ❤️🌹🙏
ReplyDelete🙏🙏🕉 OM SAI RAM 🕉 🙏 🙏
ReplyDeleteKIRPA KRO SAI🙏
ओम सांई राम🙏🏻🌹
ReplyDeleteBaba pls solve this family issues pls Baba 👏👏👏
ReplyDeleteJai ho sai sab thik kardo
ReplyDeleteOm sai ram
ReplyDeleteOm Shri Sai Ram
ReplyDeleteOm Sai ram om Sai ram
ReplyDeleteOm Sai Ram🌹🙏
ReplyDeleteOm sai nath maharaj ki jai mata di🙏
ReplyDeleteOm Sai Ram Ji❤
ReplyDeleteOm sai ram
ReplyDeleteOm sai ram
ReplyDelete🌸Om 🕉 Shri Sai Ram baba 🌸🌸🌹🌹🌻🌻
ReplyDeleteOm sai ram g🙏
ReplyDeleteOm Sai Ram 🌹🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏🌹
ReplyDeleteOm Sai Ram🙏
ReplyDeleteRaham najar kro ab mere sai 🙏om sai ram g 🙏
ReplyDeleteOm shri Sai Ram mere pyare baba 🌹🙏🌹
ReplyDeleteOm shri Sai Ram mere pyare baba 🌹💐🙏🙏
ReplyDeleteOm shri Sai Ram mere pyare baba 🙏🌹🙏
ReplyDeleteOm sai ram
ReplyDeleteOm shri Sai Ram mere pyare baba 🌹🙏🌹🙏🌹
ReplyDeleteOM SAI RAM JEE
ReplyDeleteDeva APKO KOTEE KOTEE PARNAM 🙏🙏
Om Sai Ram❤️🙏
ReplyDeleteOm sai ram g
ReplyDeleteOm sai Ram
ReplyDeleteOm shri Sai Ram mere pyare baba 🙏🌷🙏
ReplyDeleteOm shri Sai Ram mere pyare baba 🌹❤️🌹🙏🌷❤️🙏
ReplyDeleteNeelam Mishra
ReplyDeleteOm Sai Ram
Om Sai Ram
Naman Mishra
ReplyDeleteOm Sai Ram
Om Sai Ram
Om shri Sai Ram mere pyare baba 🌹🥭🥭
ReplyDelete🌷🌹🌷🤲🙏Om Sai Ram Ji🤲🙏🌷🌹🌷🌹
ReplyDeleteom sai ram
ReplyDeleteom sai ram 🙏🙏
ReplyDeleteOm shri Sai Ram mere pyare baba 🙏🥭🌷🌷❤️
ReplyDeleteJai Sai baba ki
ReplyDeleteOm Sai Ram reham nazar karna bache ka palan karna om sai ram om sai ram om Sai Ram
ReplyDeleteOm Sai Ram🙏
ReplyDeleteOm Sai Ram🙏
ReplyDeleteOm Sai Ram 🙏🙏
ReplyDeleteSai Nath Maharaj ki jai
ReplyDeleteSai baba aap mere guru ho aur hamesha rahoge.
ReplyDeleteOm shri Sai Ram mere pyare baba 🌹🙏🌹🙏
ReplyDelete🙏🌹Om Sai Ram Om Sai Ram Om Sai Ram Om Sai Ram Om Sai Ram Om Sai Ram Om Sai Ram Om Sai Ram Om Sai Ram Om Sai Ram Om Sai Ram Om Sai Ram Om Sai Ram Om Sai Ram Om Sai Ram Om Sai Ram Om Sai Ram 🌹🙏
ReplyDeleteOm Sai Ram
ReplyDeleteOm Sai Ram
ReplyDeleteSai baba mere guru ji Maharaj mere parivaar par apni kripa drishti hamesha banaye rakhna 🙏🙏
ReplyDeleteOm Sai Ram❤️🙏
ReplyDeleteOm shri Sai Ram mere pyare baba 🌹🙏🌹🙏🌹
ReplyDeleteमेरा नाम लिलियन एन है। यह मेरे जीवन का बहुत खुशी का दिन है क्योंकि डॉ. सगुरू ने अपने जादू और प्रेम मंत्र से मेरे पूर्व पति को वापस लाने में मेरी मदद की है। मेरी शादी को 6 साल हो गए थे और यह बहुत भयानक था क्योंकि मेरा पति वास्तव में मुझे धोखा दे रहा था और तलाक की मांग कर रहा था, लेकिन जब मुझे इंटरनेट पर डॉ.सागुरु का ईमेल मिला कि कैसे उन्होंने कई लोगों को उनकी पूर्व प्रेमिका को वापस लाने में मदद की है और रिश्ते को ठीक करने में मदद करते हैं और लोगों को अपने रिश्ते में खुश रहने में मदद करते हैं। मैंने उन्हें अपनी स्थिति बताई और फिर उनसे मदद मांगी लेकिन मुझे आश्चर्य हुआ कि उन्होंने मुझसे कहा कि वह मेरे मामले में मेरी मदद करेंगे और अब मैं जश्न मना रही हूं क्योंकि मेरे पति अच्छे के लिए पूरी तरह से बदल गए हैं। वह हमेशा मेरे साथ रहना चाहता है और मेरी उपस्थिति के बिना कुछ नहीं कर सकता। मैं वास्तव में अपनी शादी का आनंद ले रहा हूं, क्या शानदार जश्न है। मैं इंटरनेट पर गवाही देता रहूँगा क्योंकि डॉ. सगुरु वास्तव में एक वास्तविक जादू-टोना करने वाले व्यक्ति हैं। क्या आपको सहायता की आवश्यकता है तो अभी ईमेल के माध्यम से डॉक्टर सगुरु से संपर्क करें:drsagurusolutions@gmail.com या व्हाट्सएप +12098373537 वह आपकी समस्या का एकमात्र उत्तर है और आपको अपने रिश्ते में खुशी महसूस कराते हैं। और वह इसमें भी परिपूर्ण हैं
ReplyDelete1 प्रेम मंत्र
2 पूर्व को वापस जीतें
3 गर्भ का फल
4 प्रमोशन मंत्र
5 सुरक्षा मंत्र
6 व्यापार मंत्र
7 अच्छी नौकरी का मंत्र
8 लॉटरी मंत्र और कोर्ट केस मंत्र।
🙏🙏🕉 OM SAI RAM 🕉 🙏 🙏
ReplyDeleteOm shri Sai Ram mere pyare baba 🌹🙏🌹
ReplyDeleteOm sai ram ji Om sai ram ji 🙏🙏
ReplyDeleteOm sai ram
ReplyDeleteOm Sai Ram 🙏🙏
ReplyDeleteOm Sai Ram Ji
ReplyDeleteOm sai ram g🙏
ReplyDeleteBaba aap hamare path pradarshak ho.....🙏🙏
ReplyDeleteOm Sai Ram
ReplyDeleteOm sai ram
ReplyDeleteSai baba aapki daya ke liye koti koti dhanyawad sweekar ho🙏🙏
ReplyDeleteOm Sai Ram
ReplyDeleteOm Sai Ram❤️🙏
ReplyDeleteOm Sai ram Sai ma 🙏🙏
ReplyDelete🙏🙏🕉 OM SAI RAM 🕉 🙏 🙏
ReplyDeleteSai sada apni chatrachaya mai rakhnaa 🙏🙏
ReplyDeleteOm Sai Ram
ReplyDeleteBaba g plz shivank g Or unki family ko maf kr dijiye 🙏plzz rahul bhai or unki family ko bhi 🙏
ReplyDeleteMere sai🙏🙏
ReplyDeleteOm Sai Ram
ReplyDeleteOm Sai Ram💐🙏
ReplyDeleteOm sai ram ji 🙏🌹
ReplyDeleteJai sai 🙏 Jai sai 🙏 Jai sai 🙏 Jai sai 🙏 Jai sai 🙏 Jai sai 🙏 Jai sai 🙏 Jai sai 🙏 Jai sai 🙏
ReplyDelete🙏🏻🌹ॐ साई राम 🌹🙏🏻
ReplyDeleteOm Sai Ram
ReplyDeleteOm Sai ram
ReplyDeleteOm Sai Ram
ReplyDeleteJai Shree Sai Ram 🙏
ReplyDelete🙏🏻🌹ॐ साई राम 🌹🙏🏻
ReplyDeleteOm Sai Ram
ReplyDeleteDayalu faqir sada rahna hamare saath rahna🙏🙏
ReplyDeleteBaba tumhari kripa drishti hi hamare liye sab kuch hai🙏🙏
ReplyDeleteDayalu faqir sada hamare saath rahna 🙏🙏
ReplyDeleteOm sai ram g
ReplyDeleteOm Sai Ram
ReplyDeleteJai sai 🙏
ReplyDeleteSai mere man ki ichchaon ko falibhoot kar deejiye 🙏🙏
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