Sai Satcharitra Hindi chap 48
श्री साई सच्चरित्र
अध्याय 48 - भक्तों के संकट निवारण
शेवड़े और
सपटणेकर की कथाएँ ।
अध्याय के प्रारम्भ करने से पूर्व किसी ने हेमाडपंत से प्रश्न किया कि साईबाबा गुरु थे या सदगुरु । इसके उत्तर में हेमाडपंत सदगुरु के लक्षणों का निम्नप्रकार वर्णन करते है ।
सदगुरु के लक्षण
जो वेद और वेदान्त तथा छहों शास्त्रों की शिक्षा प्रदान करके ब्रहृविषयक मधुर व्याख्यान देने में पारंगत हो तता जो अपने श्वासोच्छवास क्रियाओं पर नियंत्रण कर सहज ही मुद्रायें लगाकर अपने शिष्यों को मंत्रोपदेश दे निश्चित अवधि में यथोचित संख्या का जप करने का आदेश दे और केवल अपने वाकचातुर्य से ही उन्हें जीवन के अंतिम ध्येय का दर्शन कराता हो तथा जिसे स्वयं आत्मसाक्षात्कार न हुआ हो, वह सदगुरु नहीं वरन् जो अपने आचरणों से लौकिक व पारलौकिक सुखों से विरक्ति की भावना का निर्माण कर हमें आत्मानुभूति का रसास्वादन करा दे तथा जो अपने शिष्यों को क्रियात्मक और प्रत्यक्ष ज्ञान (आत्मानुभूति) करा दे, उसे ही सदगुरु कहते है । जो स्वयं ही आत्मसाक्षात्कार से वंचित है, वे भला अपने अनुयायियों को किस प्रकार अनुभूति कर सकते है । सदगुरु स्वप्न में भी अपने शिष्य से कोई लाभ या ससेवा-शुश्रूषा की लालसा नहीं करते, वरन् स्वयं उनकी सेवा करने को ही उघत करते है । उन्हें यह कभी भी भान नहीं होता है कि मैं कोई महान हूँ और मेरा शिष्य मुझसे तुच्छ है, अपितु उसे अपने ही सदृश (या ब्रहमस्वरुप) समझा करते है । सदगुरु की मुख्य विशेषता यही है कि उनके हृदय में सदैव परम शांति विघमान रहती है । वे कभी अस्थिर या अशांत नहीं होते और न उन्हं अपने ज्ञान का ही लेशमात्र गर्व होता है । उनके लिये राजा-रंक, स्वर्ग-अपवर्ग सब एक ही समान है ।
हेमाडपंत कहते है कि मुझे गत जन्मों के शुभ संस्कारों के परिणामस्वरुप श्री साईबाब सदृश सदगुरु के चरणों की प्राप्ति तथा उनके कृपापात्र बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ । वे अपने यौवन काल में चिलम के अतिरिक्त कुछ संग्रह न किया करते थे । न उनके बाल-बच्चे तथा मित्र थे, न घरबार था और न उन्हें किसी का आश्रय प्राप्त था । 18 वर्ष की अवस्था से ही उनका मनोनिग्रह बड़ा विलश्रण था । वे निर्भय होकर निर्जन स्थानों में विचरण करते एवं सदा आत्मलीन रहते थे । वे सदैव भक्तों की निःस्वार्थ भक्ति देखकर ही उनकी इच्छानुसार आचरण किया करते थे । उनका कथना था कि मैं सदा भक्त के पराधीन रहता हूँ । जब वे शरीर में थे, उस समय भक्तों ने जो अनुभव किये, उनके समाधिस्थ होने के पश्चात् आज भी जो उनके शरणागत होचुके है, उन्हें उसी प्रकार के अनुभव होते रहते है । भक्तों को तो केवल इतना ही यथेष्ठ है कि यदि वे अपने हृदय को भक्ति और विश्वास का दीपक बनाकर उसमें प्रेम की ज्योति प्रज्वलित करें तो ज्ञानज्योति (आत्मसाक्षात्कार) स्वयं प्रकाशित हो उठेगी । प्रेम के अभाव में शुष्क ज्ञान व्यर्थ है । ऐसा ज्ञान किसी को भी लाभप्रद नहीं हो सकता, प्रेमभाव में संतोष नहीं होता । इसलिये हमारा प्रेम असीम और अटूट होना चाहिये । प्रेम की कीर्ति का गुणगान कौन कर सकता है, जिसकी तुलना में समस्त वस्तुएँ तुच्छ जान पड़ती है । प्रेमरहित पठनपाठन सब निष्फल है । प्रेमांकुर के उदय होते ही भक्ति, वैराग्य, शांति और कल्याणरुपी सम्पत्ति सहज ही प्राप्त हो जाती है । जब तक किसी वस्तु के लिये प्रेम उत्पन्न नहीं होता, तब तक उसे प्राप्त करने की भावना ही उत्पन्न नहीं होती । इसलिये जहाँ व्याकुलता और प्रेम है, वहाँ भगवान् स्वयं प्रगट हो जाते है । भाव में ही प्रेम अंतर्निहित है और वही मोक्ष का कारणीभूत है । यदि कोई व्यक्ति कलुषित भाव से भी किसी सच्चे संत के चरण पकड़ ले तो यह निश्चित है कि वह अवश्य तर जायेगा । ऐसी ही कथा नीचे दर्शाई गई है ।
श्री शेवड़े
अक्कलकोट (सोलापुर जिला) के श्री. स्पटणेकर वकालत का अध्ययन कर रहे थे । एक दिन उनकी अपने सहपाठी श्री. शेवड़े से भेंट हुई । अन्य और भी विधार्थी वहाँ एकत्रित हुए और सब ने अपनी-अपनी अध्ययन संबंधी योग्यता का परस्पर परीक्षण किया । प्रश्नोत्तरों से विदित हो गया कि सब से कम अध्ययन श्री. शेवड़े का है और वे परीक्षा में बैठने के अयोग्य है । जब सब मित्रों ने मिलकर उनका उपहास किया, तब शेवड़े ने कहा कि यघपि मेरा अध्ययन अपूर्ण है तो भी मैं परीक्षा में अवश्य उत्तीर्ण हो जाऊँगा । मेरे साईबाबा ही सबको सफलता देने वाले है । श्री. सपटणेकर को यह सुनकर आश्चर्य हुआ और उन्होंने श्री. शेवड़े से पूछा कि ये साईबाबा कौन है, जिनका तुम इतना गुणगान कर रहे हो । उन्होंने उत्तर दिया कि वे एक फकीर है, जो शिरडी (अहमदनगर) की एक मसजिद में निवास करते है । वे महान सत्पुरुष है । ऐसे अन्य संत भी हो सकते है, परन्तु वे उनसे अद्गितीय है । जब तक पूर्व जन्म के शुभ संस्कार संचित न हो, तब तक उनसे भेंट होना दुर्लभ है । मेरी तो उन पर पूर्ण श्रद्घा है । उनके श्रीमुख से निकले वचन कभी असत्य नहीं होते । उन्होंने ही मुझे विश्वास दिलाया है कि मैं अगले वर्ष परीक्षा में अवश्य उत्तीर्ण हो जाऊँगा । मेरा भी अटल विश्वास है कि मैं उनकी कृपा से परीक्षा में अवश्य ही सफलता पाऊँगा । श्री. सपटणेकर को अपने मिक्ष के ऐसे विश्वास पर हँसी आ गई और साथ ही साथ श्री साईबाबा का भी उन्होंन उपहास किया । भविष्य में जब शेवड़े दोनों परीक्षाओं में उत्तीर्ण हो गये, तब सपटणेकर को यह जानकर बड़ा आश्चर्य हुआ ।
श्री. सपटणेकर
श्री. सपटणेकर परीक्षा में उत्तीर्ण होने के पश्चात् अक्कलकोट में रहले लगे और वहीं उन्हो्ने अपनी वकालत प्रारम्भ कर दी । दस वर्षों के पश्चात् सन् 1913 में उनके इकलौते पुक्ष की गले की बीमारी से मृत्यु हो गई, जिससे उनका हृदय विचलित हो उठा । मानसिक शांति प्राप्त करने हेतु उन्होंने पंढ़रपुर, गाणगापुर और अन्य तीर्थस्थानों की यात्रा की, परन्तु उनकी अशांति पूर्ववत् ही बनी रही । उन्होंने वेदांत का भी श्रवण किया, परन्तु वह भी व्यर्थ ही सिदृ हुआ । अचानक उन्हें शेवड़े के वचनों तथा श्री साईबाबा के प्रति उनके विश्वास की स्मृति हो आई और उन्होंने विचार किया कि मुझे भी शिरडी जाकर बाबा के दर्शन करना चाहिये । वे अपने छोटे भाई पंड़ितराव के साथ शिरडी आये । बाबा के दर्शन कर उन्हें बड़ी प्रसन्नता हुई । जब उन्होंने समीप जाकर नमस्कार करेक शुदृ भाना से श्रीफल भेंट किया तो बाबा तुरन्त क्रोधित हो उठे और बोले कि यहाँ से निकल जाओ । सपटणेकर का सिर झुक गया और वे कुछ हटकर पीछे बैठ गये । वे जानना चाहते थे कि किस प्रकार उनके समक्ष उपस्थित होना चाहिए । किसी ने उन्हें बाला शिम्प का नाम सुझा दिया । सपटणेकर उनके पास गये और उनसे सहायता करने की प्रार्थना करने लगे । तब वे दोनों बाबा का एक चित्र लेकर मसजिद को आये । बाला शिम्पी ने अपने हाथ में चित्र लेकर बाबा के हाथ में दे दिया और पूछा कि यह किसका चित्र है । बाबा ने सपटणेकर की ओर संकेत कर रहा कि यह तो मेरे यार का है । यह कहकर वे हंसने लगे और साथ ही सब भक्त मंडली भी हँसने लगी । बाला शिम्पी के इशारे पर जब सपटणेकर उन्हें प्रणाम करने लगे तो वे पुनः चिल्ला पड़े कि बाहर निकलो । सपटणेकर की समझ में नहीं आता था कि वे क्या करे । तब वे दोनों हाथ जोड़कर प्रार्थना करते हुए बाबा के सामने बैठ गये, परन्तु बाबा ने उन्हें तुरन्त ही बाहर निकलने की आज्ञा दी । वे दोनों बहुत ही निराश हुए । उनकी आज्ञा कौन टाल सकता था । आखिर सपटणेकर खिन्न-हृदय शिरडी से वापस चले आये । उन्होंने मन ही मन प्रार्थना की कि हे साई । मैं आपसे दया की भक्षा माँगता हूँ । कम से कम इतना ही आश्वासन दे दीजिये कि मुझे भविष्य में कभी न कभी आपके श्री दर्शनों की अनुमति मिल जायेगी ।
श्रीमती सपटणेकर
एक वर्ष बीत गया, फिर भी उनके मन में शांति न आई । वे गाणगापुर गये, जहाँ उनके मन में और अधिक अशांति बढ़ गई । अतः वे माढ़ेगाँव विश्राम के लिये पहुँचे और वहाँ से ही काशी जाने का निश्चय किया । प्रस्थान करने के दो दिन पूर्व उनकी पत्नी को स्वप्न हुआ कि वह स्वप्न में एक गागर ले लक्कड़शाह के कुएँ पर जल भरने जा रही है । वहाँ नीम के नीचे एक फकीर बैठा है । सिर पर एक कपड़ा बँधा हुआ है । फकीर उसके पास आकर कहने लगा कि मेरी प्रिय बच्ची । तुम क्यों व्यर्थ कष्ट उठा रही हो । मैं तुम्हारी गागर निर्मल जल से भर देता हूँ । तब फकीर के भय से वह खाली गागर लेकर ही लौट आई । फकीर भी उसके पीछे-पीछे चला आया । इतने में ही घबराहट में उसकी नीद भंग हो गई और उसने आँखे खोल दी । यह स्वप्न उसने अपने पति को सुनाया । उन्होंने इस एक शुभ शकुन जाना और वे दोनों शिरडी को रवाना हो गये । जब वे मसजिद पहुँचे तो बाबा वहाँ उपस्थित न थे । वे लेण्डी बाग गये हुए थे । उनके लौटने की प्रतीक्षा में वे वहीं बैठे रहे । जब बाबा लौटे तो उन्हें देखकर उनकी पत्नी को बड़ा आश्चर्य हुआ, क्योंकि स्वप्न में जिस फकीर के उसने दर्शन किये थे, उनकी आकृति बाबा से बिलकुल मिलती-जुलती थी । उसने अति आदरसहित बाबा को प्रणाम किया और वहीं बैठे-बैठे उन्हें निहारने लगी । उसका विनम्र स्वभाव देखकर बाबा अत्यन्त प्रसन्न हो गये । अपनी पदृति के अनुसार वे एक तीसरे व्यक्ति को अपने अनोखे ढंग से एक कहानी सुनाने लगे – मेरे हाथ, उदर, शरीर तथा कमर में बहुत दिनों से दर्द हुआ करता था । मैंनें अनेक उपचार किये, परन्तु मुझे कोई लाभ नहीं पहुँचा । मैं औषधियों से ऊब उठा, क्योंकि मुझे उनसे कोई लाभ न हो रहा था, परन्तु अब मुझे बड़ा अचम्भा हो रहा है कि मेरी समस्त पीड़ाये एकदम ही जाती रही । यघपि किसी का नाम नहीं लिया गया था, परन्तु यह चर्चा स्वयं श्रीमती सपटणेकर की थी । उनकी पीड़ा जैसा बाब ने अभी कहा, सर्वथा मिट गई और वे अत्यन्त प्रसन्न हो गई ।
संतति-दान
तब श्री. सपटणेकर दर्शनों के लिए आगे बढ़, परन्तु उनका पूर्वोक्त वचनों से ही स्वागत हुआ कि बाहर निकल जाओ । इस बार वे बहुत धैर्य और नम्रता धारण करके आये थे । उन्होंने कहा कि पिछले कर्मों के कारण ही बाबा मुझसे अप्रसन्न है और उन्होंने अपना चरित्र सुधारने का निश्चय कर लिया और बाबा से एकान्त में भेंट करके अपने पिछले कर्मों की क्षमा माँगने का निश्चय किया । उन्होंने वैसा ही किया भी और अब जब उन्होंने अपना मस्तक उनके श्रीचरमणों पर रखा तो बाबा ने उन्हें आशीर्वाद दिया । अब सपटणेकर उनके चरण दबाते हुए बैठे ही थे कि इतने में एक गड़ेरिन आई और बाबा की कमर दबाने लगी । तब वे सदैव की भाँति एक बनिये की कहानी सुनाने लगे । जब उन्होंने उसके जीवन के अनेकों परिवर्तन तथा उसके इकलौते पुत्र की मृत्यु का हाल सुनाया तो सपटणेकर को अत्यन्त आश्चर्य हुआ कि जो कथा वे सुना रहे है, वह तो मेरी ही है । उन्हें बड़ा अचम्भा हुआ कि उनको मेरे जीवन की प्रत्येक बात का पता कैसे चल गया । अब उन्हं विदित हो गया कि बाबा अन्तर्यामी है और सबके हृदय का पूरा-पूरा रहस्य जानते है । यह विचार उनके मन में आया ही था कि गड़ेरिन से वार्तालाप चालू रखते हुए बाबा सपटणेकर की ओर संकेत कर कहने लगे कि यह भला आदमी मुझ पर दोषारोपण करता है कि मैंने ही इसके पुत्र को मार डाला है । क्या मैं लोगों के बच्चों के प्राण-हरण करता हूँ । फिर ये महाशय मसजिद में आकर अब क्यों चीख-पुकार मचाते है । अब मैं एक काम करुँगा । अब मैं उसी बालक को फिर से इनकी पत्नी के गर्भ में ला दूँगा । - ऐसा कहकर बाबा ने अपना वरद हस्त सपटणेकर के सिर पर रखा और उसे सान्त्वना देते हुए काह कि ये चरण अधिक पुरातन तथा पवित्र है । जब तुम चिंता से मुक्त होकर मुझ पर पूरा विश्वास करोगे, तभी तुम्हें अपने ध्येय की प्राप्ति हो जायेगी । सपटणेकर का हृदय गदरगद हो उठा । तब अश्रुधारा से उनके चरण धोकर वे अपने निवासस्थान पर लौट आये और फिर पूजन की तैयारी कर नैवेघ आदि लेकर वे सपत्नीक मसजिद में आये । वे इसी प्रकार नित्य नैवेघ चढ़ाते और बाबा से प्रसाद ग्रहण करते रहे । मसजिद में अपार भीड़ होते हुए भी वे वहाँ जाकर उन्हें बार-बार नमस्कार करते थे । एक दूसरे से सिर टकराते देखकर बाब ने उनसे कहा कि प्रेम तथा श्रद्घा द्घारा किया हुआ एक ही नमस्कार मुझे पर्याप्त है । उसी रात्रि को उन्हें चावड़ी का उत्सव देखने का भी सौभाग्य प्राप्त हुआ और उन्हें बाबा ने पांडुरंग के रुप में दर्शन दिये ।
जब वे दूसरे दिन वहाँ से प्रस्थान करने लगे तो उन्होंने विचार किया कि पहले दक्षिणा में बाबा को एक रुपया दूँगा । यदि उन्होंने और माँगे तो अस्वीकार करने के बजाय एक रुपया और भेंट में चढ़ा दूँगा । फिर भी यात्रा के लिये शेष द्रव्यराशि पर्याप्त होगी । जब उन्होंने मसजिद में जाकर बाबा को एक रुपया दक्षिणा दी तो बाबा ने भी उनकी इच्छा जानकर एक रुपया उनसे और माँगा । जब सपटणेकर ने उसे सहर्ष दे दिया तो बाबा ने भी उन्हें आर्शीवाद देकर कहाकि यह श्रीफल ले जाओ और इसे अपनी पत्नी की गोद में रखकर निश्चिंत होकर घर जाओं । उन्होंने वैसा ही किया और एक वर्ष के पश्चात ही उन्हें एक पुत्र प्राप्त हुआ । आठ मास का शिशु लेकर वह दम्पति फिर शिरडी को आये और बाबा के चरणों पर बालक को रखकर फिर इस प्रकार प्रर्थना करने लगे कि हे श्री साईनाथ । आपके ऋण हम किस प्रकार चुका सकेंगें । आपके श्री चरणों में हमारा बार-बार प्रणाम है । हम दीनों पर आप सदैव कृपा करते रहियेगा, क्योंकि हमारे मन में सोते-जागते हर समय न जाने क्या-क्या संकल्प-विकल्प उठा करते है । आपके भजन में ही हमारा मन मग्न हो जाये, ऐसा आर्शीवाद दीजिये ।
उस पुत्र का नाम मुरलीधर रखा गया । बाद में उनके दो पुत्र (भास्कर और दिनकर) और उत्पन्न हुए । इस प्रकार सपटणेकर दम्पति को अनुभव हो गया कि बाबा के वचन कभी असत्य और अपूर्ण नहीं निकले ।
।। श्री सद्रगुरु साईनाथार्पणमस्तु । शुभं भवतु ।।
sai ram sai ram sai ram sai sai ram .om sai ram🌹🌹🌹
ReplyDeleteOm sai ram
ReplyDeleteJai jai sai ram sai ram sai ram jai jai sai ram sai ram sai ram
ReplyDeleteअनंत कोटी ब्रम्हांडनायक राजाधिराज योगीराज परं ब्रम्हं श्री सच्चिदानंद सदगुरु श्री साईनाथ महाराज की जय ॥
ReplyDeleteom sai sai sai sai sai sai sai ram👏🍓🍌🌼
ReplyDeleteOm Sai Ram jii 🙏💐
DeleteOm Sai Ram
DeleteOm sai ram
DeleteReham nazar sai
DeleteOm sai Nathaye namah.
DeleteBaba pls mujh par apni kripa kijiye. Mujhe bilkul theek kr doo baba
DeleteOm Sai Ram jii 🙏🙏
Delete🕉️🌹❤️🙏AUM SRI SAI RAM🙏❤️🌹🕉️
Deletejai sai ram.thanks for all baba pls be with us always🌹🌻🍇🥝🍌
ReplyDeleteSai Sai Sai🙏
ReplyDeleteShri Satguru sai naath Maharaj ki Jai
ReplyDeleteSai baba pls sab thk Kar do...
ReplyDelete🌹jai sai ram🙏
ReplyDeleteHey sai nath man me asanti hai kuch rasta bataye apna arirvad de jai sai nath
ReplyDeleteSri Sai namo namah🙏
ReplyDeleteOm Sai ram 🙏
ReplyDeleteBaba is adhyay ke jaise main bhi apse kuch mang rahi hu plz mujhe vo hi dena. OM SAI RAM��
ReplyDeleteJai sai nath ki🤲
ReplyDeleteSai Teri nazer se kahin m uter na Jai.om Sai ram
ReplyDeleteSri Sai🙏🌹💐🌹
ReplyDeleteOm sai ram.
ReplyDeleteOm shree sai bhakt vatsalay namah 💓
ReplyDeleteOm sai ram baba bachho ka man padhi me lgao baba jai sai baba 🙏🏻🙏🏻❤❤
ReplyDeleteBaba mere karya ko puran kijiye pls
ReplyDeleteOm sai ram har har mahadev jai sabhi devi devtao ji ki jai ho jai maa vaibhav Laxmi jai Maa kali kalkate wali ji ki jai ho jai maa saraswati ji ki jai ho jai maa santoshi ji ki jai ho jai maa महालक्ष्मी ji ki jai ho jai maa 🙏😘🙏😘❤️❤️😘❤️😘❤️😘😘
ReplyDeleteOm sai ram 💐🎂💐🎂💐💐🎂😘😘🙏😘🙏😘😘🙏🙏
ReplyDeleteHar har mahadev ❤️🙏❤️❤️🙏❤️🙏❤️❤️🙏❤️🙏😁😁😁🙏
ReplyDeleteOm sai ram har har mahadev jai sabhi devi devtao ji ki jai ho jai maa 😘🙏😘😘🙏😘🙏💐🙏💐💐🙏💐🙏💐🙏
ReplyDeleteGanpati bappa morya मंगल मूर्ति मौर्य 😘🙏😘😘🙏😘🙏😘🙏😘😘🙏❤️🙏
ReplyDeleteSri Sai 🙏❤️
ReplyDeleteOm Sai Ram🙏🏼🙏🏼
ReplyDeleteOm namoh Shri Sai Prabhu namah 🙏
ReplyDeleteJai sai baba
ReplyDeleteOm Sai Ram
DeleteOm Sai Ram jii 🙏🙏
DeleteOm Sai Ram
ReplyDeleteOm jai sai ram🙏🙏🙏
ReplyDeleteOm sai ram😘😘😘😘😘
ReplyDeleteSri Sai🙏🙏
ReplyDeleteSAI BABAJI MERE JIVAN ME BHI CHAMTKAR KAR DINIYE MUJHHE BHI EK PYARA SA KANHAIYYA DE DIJIYE SAI
ReplyDeleteSai,Sai,said🙏🌹💐❤️🌷🌼🌻
ReplyDeleteOm Sai Nathay Namah 🙏
ReplyDeleteSri Sai💐🌻🌷❤️🌹🌺❣️🌹❤️🌷🙏🏼
ReplyDeleteOm Sai Ram Sai bless everyone
ReplyDeleteOm Shree Sai Nathaye Namah🙏🙏
ReplyDeleteJai Sai Ram🙏🙏
ReplyDeleteBaba mujhe bhi betaa chahiea muj pr bhi kirpa kro ..sai
ReplyDeletePls baba aapko meri wish pata hai.pls puri kare. As soon as possiblepls pls pls
ReplyDeleteSri Sai Nathaye Namaha,🙏💐🌹🌻💐🌼🌺🌷🌹💐🌼🌺🌹🙏🙏🙏🌹🙏
ReplyDeleteOm sai ram baba 0ls help rohit priya vo apke pyare bacche hain aj unko apki jarurat hai pls baba aaooo na plssss
ReplyDeleteApne sada hi meri laj bachai hai is bar bhi bachana plssss
ReplyDeleteApne pani se diye jalayen hain aap brahman Nayak ho plsssss sabki madad karo plsssss
ReplyDelete❤️🙏🏼om sai ram🙏🏼❤️
ReplyDeleteSai rhm njr krna bcho ka paln Krna 🙏 I m sorry plz forgive me 😭 thankuuuu you so much baba ji 🙏 love you so much baba ji 🙏
ReplyDelete🙏Om Sai Ram🙏
ReplyDeleteBaba humesha sath rehna 🙏
ReplyDeleteSri Sai🌻🌷🌷💐🌼🌹❣️❤️🌺🌻🌷💐🌼❤️❣️🌹🌺🌻🌷💐🌼❤️❣️🌹🌺🙏
ReplyDeleteSai raham najar Krna bachchon ka paln Krna 🙏I m sorry pls forgive me 🙏 I thankuu I love you so much Sai Ram g 🙏
ReplyDeleteOm Sairam 🙏💐💐🙏🙏
ReplyDeleteOm sai ram
ReplyDeleteJai shri sai samarth🙏 mera sahara mere saiya mera vishwas hai🙏 sai raham najar krna shivank g Or unki family ki rakhsa krna🙏 I m sorry plz forgive🙇 I thanku🙏 I love you so much baba ji🙏 👨👩👦👦💕😘
ReplyDeleteOm sai Ram om sai ram om sai ram om sai ram om sai ram om sai ram om sai ram.baba be with us always we are nothing without you 👏👏👏 pls baba
ReplyDeleteBaba ji mere ko bhi ek kaniya jaisa pota de do
ReplyDeleteOm sai ram🌺🌺🙏🙏
ReplyDeleteSri Sachitananda Sri Satguru Sainath Maharaj Ki Jai
ReplyDeleteOm Sai Ram 🙏🙏🙏🌺🌺🌺
Om sai ram 👏 pls baba be with us always we are nothing without you 👏👏👏
ReplyDeleteSAI RAM KRISHNA HARE
ReplyDeleteOM SAI RAM
JAI SAI RAM
MERE SAI PYARE SAI SABKE SAI
PROTECT THIS WORLD N US FROM ALL DISEASES AND SINS BABA🙏
SAI RAM KRISHNA HARE
ReplyDeleteBABA U R OUR CREATOR PROTECTOR AND DESTROYER OF ALL OUR EVILS BABA FORGIVE US FOR ALL OUR SINS N PROTECT THIS WORLD N US FROM ALL SINS N DISEASES
OM SAI RAM MERE SAI PYARE SAI SABKE SAI
SABKA MALIK EK 🙏❤WE SURRENDER TO U
Sri Said🙏❤️🌹
ReplyDeleteSri Sai🙏❤️🌹
ReplyDeleteOm sai ram🙏
ReplyDeleteOm sai ram om sai ram om sai ram om sai ram om sai ram om 👏baba pls be with us always we are nothing without you 👏👏👏 Baba
ReplyDeleteOm Sai Ram 🙏
ReplyDeleteSri Sai 🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏🌹
ReplyDelete🙏🙏🕉 OM SAI RAM 🕉 🙏 🙏
ReplyDeleteBABA KIRPA KRO MERE BACHE PAR🙏🙏
Baba pls solve this family issues pls 🙏🙏🙏
ReplyDeleteom shri sainathay namha:
ReplyDeleteSri Sai 🙏 🙏 🙏 🙏 🙏
ReplyDeleteOm sree sai samarth
ReplyDeleteTq sai
Om sai nath maharaj ki jai mata di🙏
ReplyDeleteOm Sai Ram 🌹🙏
ReplyDeleteOm sai Nathan
ReplyDeleteOm sai ram g 🙏👨👩👧👦
ReplyDeleteOm Sai Ram🌹🙏(prajna)
ReplyDelete🌸Om 🕉 Shri Sai Ram baba 🌸🌹🌹🌻🌻⚘⚘
ReplyDeleteOm 🕉 Sai Ram baba 👪 👨👧👧 🌷🌷🤲
ReplyDeleteOm shri Sai Ram mere pyare baba 🌹🙏
ReplyDeleteOm sai ram g🙏
ReplyDeleteOm shri Sai Ram mere pyare baba 🙏🌹🙏🌹🙏🙏
ReplyDeleteOm sai ram 🙏🌹🌹
ReplyDeleteSai sada kripa karna
ReplyDeleteOm Sai Ram🙏
ReplyDeleteRaham najar kro ab mere sai 🙏 om sai ram g 🙏
ReplyDeleteॐ श्री साईं नाथाय नमः
ReplyDeleteसतीश त्यागी काकड़ा, गाजियाबाद
Om shri Sai Ram mere pyare baba 🌹🙏🌹
ReplyDeleteOm shri Sai Ram mere pyare baba 🌹🙏🙏
ReplyDeleteOm shri Sai Ram mere pyare baba 🙏🍰🌹🍰
ReplyDeleteSAI RAM JEE I HAVE SURRENDERED MYSELF ON YOUR LOTUS FEET
ReplyDeleteAPKO KOTEE KOTEE PARNAM 🙏🙏
Om Sai Ram❤️🙏
ReplyDeleteOM SAI RAM
ReplyDeleteBABA FORGIVE ME
PROTECT US FROM ALL DISEASES SINS N EVILS
WE BOW DOWN TO U
JAI SAI MERE SAI PYARE SAI SABKE SAI🙏❤️
Om Sai Ram 🙏
ReplyDeleteOm sai ram g
ReplyDeleteJay shree Sai Ram
ReplyDeleteNeelam
ReplyDeleteJai shree Sai Ram
Naman
ReplyDeleteJai shree Sai Ram
Naman jai shree Sai Ram
ReplyDeleteOm shri Sai Ram mere pyare baba 🙏🌷🌹🌹
ReplyDeleteOm Sai Ram
Deleteॐ साई
ReplyDeleteOm shri Sai Ram mere pyare baba 🎂🙏🌷🌷🌹🌹
ReplyDeleteOm shri Sai Ram mere pyare baba 🌹🙏🌷🥭
ReplyDeleteOm shri Sai Ram mere pyare baba 🥭🌹🙏🌷🌷🌷🌷
ReplyDeleteSai reham nazar karna bache ka palan karna om sai ram om sai ram om sai ram om sai ram om sai ram
ReplyDeleteOm Sai Ram❤️🙏
ReplyDeleteOm Sai Ram
ReplyDeleteBaba aap vo sadguru ho jisne asankhya logo ki zindagi badal di hai.
ReplyDeleteAaj guruji sai baba ke sai sacharitra ki punaravriti aarambh ki hai,sai hum par aashirwad banaye rakhna
ReplyDeleteOm shri Sai Ram mere pyare baba 🌹🙏🌹
ReplyDeleteOm Sai Ram 🙏🙏
ReplyDeleteOm Sai Ram
ReplyDeleteOm Sai Ram❤️🙏
ReplyDeleteGuru maharaj sai baba aap hamesha mere parivaar par apna ashirwad banaye rakhna 🙏🙏
ReplyDeleteOm sai ram🙏
ReplyDelete🙏🙏🕉 OM SAI RAM 🕉 🙏 🙏
ReplyDeleteOm shri Sai Ram 🌹🙏🌹🙏🙏
ReplyDeleteOm Sai Ram mere pyare baba 🌹🙏🌹
ReplyDeleteOm shri Sai Ram mere pyare baba 🌹🙏🌹🙏
ReplyDeleteHe sai baba mere shareer aur man ke raksha kariye,,🙏🙏
ReplyDeleteOm sai ram g🙏
ReplyDeleteOm Sai Ram Ji
ReplyDeleteOm Sai Ram
ReplyDeleteSai Ram ji aapka bahut bahut dhanyavaad🙏🙏
ReplyDeleteOm Sai Ram
ReplyDeleteOm Sai Ram❤️🙏
ReplyDelete🙏🙏🕉 OM SAI RAM 🕉 🙏 🙏
ReplyDeleteSai kripa🙏🙏
ReplyDeleteOm Sai Ram
ReplyDeleteOm namoh shivay 🙏shiv g sda sahay 🙏om namah shivay 🙏guru g sda sahay🙏 om namah shivay🙏 sai g sda sahay🙏
ReplyDeleteOm Sai ram Sai ma
ReplyDeleteTere dware aana hai ,apna sheesh ghukana hai,tughse mil kar Jana hai,phir Milne aana hai🙏🙏
ReplyDeleteOm Sai Ram
ReplyDeleteOm Sai Ram💐🙏
ReplyDelete🙏🏻🌹ॐ साई राम 🌹🙏🏻
ReplyDeleteOm Sai Ram
ReplyDeleteJai sai 🙏 Jai sai 🙏 Jai sai 🙏 Jai sai 🙏 Jai sai 🙏 Jai sai 🙏 Jai sai 🙏 Jai sai 🙏 Jai sai 🙏
ReplyDeleteOm Sai Ram
ReplyDelete🙏🌹ॐ साई राम 🌹🙏🏻
ReplyDelete🌸🙏🙏🌸Ya Sai Dhanyosmi Jai Baba🌸🌸
ReplyDeleteSai tum mere bhagwan ho,sada saath rahna🙏🙏
ReplyDeleteSai tum sada hamare saath rahna 🙏🙏
ReplyDeleteOm sai Ram
ReplyDeleteDar pe bulalo sai baba darshan karna hai 🙏🙏
ReplyDelete🙏🌹ॐ साई राम 🌹🙏
ReplyDeleteOm sai ram 🙏
ReplyDeleteOm Sai Ram
ReplyDeleteSai tumhari kripadrishti sada hamare saath rahe 🙏🙏
ReplyDelete🙏🌹ॐ साई राम 🌹🙏
ReplyDeleteSantati daan deejiye 🙏🙏 5
ReplyDeleteSantati daan deejiye 🙏🙏 5
ReplyDeletejai Sai Ram❤️🌹🔱🙏🏻
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