Sai Satcharitra Hindi chap 41
श्री साई सच्चरित्र
अध्याय 41 - चित्र की कथा, चिंदियों की चोरी और ज्ञानेश्वरी के पठन की कथा ।
गत अध्याय में वर्णित घटना के नौ वर्ष पश्चात् अली मुहम्मद हेमाडपंत से मिले और वह पिछली कथा निम्निखित रुप में सुनाई ।
एक दिन बम्बई में घूमते-फिरते मैंने एक दुकानदार से बाबा का चित्र खरीदा । उसे फ्रेम कराया और अपने घर (मध्य बम्बई की बस्ती में) लाकर दीवाल पर लगा दिया । मुझे बाबा से स्वाभाविक प्रेम था । इसलिये मैं प्रतिदिन उनका श्री दर्शन किया करता था । जब मैंने आपको (हेमाडपंत को) वह चित्र भेंट किया, उसके तीन माह पूर्व मेरे पैर में सूजन आने के कारण शल्यचिकित्सा भी हुई थी । मैं अपने साले नूर मुहम्मद के यहाँ पड़ा हुआ था । खुद मेरे घर पर तीन माह से ताला लगा था और उस समय वहाँ पर कोई न था । केवल प्रसिदृ बाबा अब्दुल रहमान, मौलाना साहेब, मुहम्मद हुसेन, साई बाबा ताजुद्दीन बाबा और अन्य सन्त चित्रों के रुप में वही विराजमान थे, परन्तु कालचक्र ने उन्हें भी वहाँ न छोड़ा । मैं वहाँ (बम्बई) बीमार पड़ा हुआ था तो फिर मेरे घर में उन लोगों (फोटो) को कष्ट क्यों हो । ऐसा समझ में आता है कि वे भी आवागमन (जन्म और मृत्यु) के चक्कर से मुक्त नहीं है । अन्य चित्रों की गति तो उनके ओभाग्यनुसार ही हुई, परन्तु केवल श्री साईबाबा का ही चित्र कैसे बच निकला, इसका रहस्योदघाटन अभी तक कोई नहीं कर सका है । इससे श्री साईबाबा की सर्वव्यापकता और उनकी असीम शक्ति का पता चलता है ।
कुछ वर्ष पूर्व मुझे मुहम्मद हुसेन थारिया टोपण से सन्त बाबा अब्दुल रहमान का चित्र प्राप्त हुआ था, जिसे मैंने अपने साले नूर मुहम्मद पीरभाई को दे दिया, जो गत आठ वर्षों से उसकी मेज पर पड़ा हुआ था । एक दिन उसकी दृष्टि इस चित्र पर पड़ी, तब उसने उसे फोटोग्राफर के पास ले जाकर उसकी बड़ी फोटो बनवाई और उसकी कापियाँ अपने कई रिश्तेदारों और मित्रों में वितरित की । उनमें से एक प्रति मुझे भी मिली थी, जिसे मैंने अपने गर की दीवाल पर लगा रखा था । नूर मुहम्मद सन्त अब्दुल रहमान के शिष्य थे । जब सन्त अब्दुल रहमान साहेब का आम दरबार लगा हुआ था, तभी नूर मुहम्मद उन्हें वह फोटो भेंट करने के हेतु उनके समक्ष उपस्थित हुए । फोटो को देखते ही वे अति क्रोधित हो नूर मुहम्मद को मारने दौड़े तथा उन्हें बाहर निकाल दिया । तब उन्हें बड़ा दुःख और निराशा हुई । फिर उन्हें विचार आया कि मैंने इतना रुपया व्यर्थ ही खर्च किया, जिसका परिणाम अपने गुरु के क्रोध और अप्रसन्नता का कारण बना । उनके गुरु मूर्ति पूजा के विरोधी थे, इसलिये वे हाथ में फोटो लेकर अपोलो बन्दर पहुँचे और एक नाव किराये पर लेकर बीच समुद्र में वह फोटो विसर्जित कर आये । नूर मुहम्मद ने अपने सब मित्रों और सम्बन्धियों से भी प्रार्थना कर सब फोटो वापस बुला लिये (कुल छः फोटो थे) और एक मछुए के हाथ से बांद्रा के निकट समुद्र में विसर्जित करा दिये ।
इस समय मैं अपने साले के घर पर ही था । तब नूर मुहम्मद ने मुझसे कहा कि यदि तुम सन्तों के सब चित्रों को समुद्र में विसर्जित करा दोगे तो तुम शीघ्र स्वस्थ हो जाओगे । यह सुनकर मैंने मैनेजर मैहता को अपने घर भेजा और उसके द्घारा घर में लग हुए सब चित्रों को समुद्र में फिकवा दिया । दो माह पश्चात जब मैं अपने घर वापस लौटा तो बाबा का चित्र पूर्ववत् लगा देखकर मुझे महान् आश्चर्य हुआ । मं समज न सका कि मेहता ने अन्य सब चित्र तो निकालकर विसर्जित कर दिये, पर केवल यही चित्र कैसे बच गया । तब मैंने तुरन्त ही उसे निकाल लिया और सोचने लगा कि कहीं मेरे साले की दृष्टि इस चित्र पर पड़ गई तो वह इसकी भी इति श्री कर देगा । जब मैं ऐसा विचार कर ही रहा था कि इस चित्र को कौन अच्छी तरह सँभाल कर रख सकेगा, तब स्वयं श्री साईबाबा ने सुझाया कि मौलाना इस्मू मुजावर के पास जाकर उनसे परामर्श करो और उनकी इच्छानुसार ही कार्य करो । मैंने मौलाना साहेब से भेंट की और सब बाते उन्हें बतलाई । कुछ देर विचार करने के पस्चात् वे इस निर्णय पर पहुँचे कि इस चित्र को आपको (हेमाडपंत) ही भेंट करना उचित है, क्योकि केवल आप ही इसे उत्तम प्रकार से सँभालने के लिये सर्वथा सत्पात्र है । तब हम दोनों आप के घर आये और उपयुक्त समय पर ही यतह चित्र आपको भेंट कर दिया । इस कथा से विदित होता है कि बाबा त्रिकालज्ञानी थे और कितनी कुशलता से समस्या हल कर भक्तों की इच्छायें पूर्ण किया करते थे । निम्नलिखित कथा इस बात का प्रतीक है कि आध्यात्मिक जिज्ञासुओं पर बाबा किस प्रकार स्नेह रखते तथा किस प्रकार उनके कष्ट निवारण कर उन्हें सुख पहुँचाते थे ।
चिन्दियों की चोरी और ज्ञानेश्वरी का पठन
श्री. बी. व्ही. देव, जो उस समय डहाणू के मामलेदार थे, को दीर्घकाल से अन्य धार्मिक ग्रन्थों के साथ-साथ ज्ञानेश्वरी के पठन की तीव्र इच्छा थी । (ज्ञानेश्वरी भगवदगीता पर श्री ज्ञानेश्वर महाराज द्घारा रचित मराठी टीका है ।) वे भगवदगीता के एक अध्याय का नित्य पाठ करते तथा थोड़े बहुत अन्य ग्रन्थों का भी अध्ययन करते थे । परन्तु जब भी वे ज्ञानेश्वरी का पाठ प्रारम्भ करते तो उनके समक्ष अनेक बाधाएँ उपस्थित हो जाती, जिससे वे पाठ करने से सर्वथा वंचित रह जाया करते थे । तीन मास की छुट्टी लेकर वे शिरडी पधारे और तत्पश्चात वे अपने घर पौड में विश्राम करने के लिये भी गये । अन्य ग्रन्थ तो वे पढ़ा ही करते थे, परन्तु जब ज्ञानेश्वरी का पाठ प्रारम्भ करते तो नाना प्रकार के कलुषित विचार उन्हें इस प्रकार घेर लेते कि लाचार होकर उसका पठन स्थगित करना पड़ता था । बहुत प्रयत्न करने पर भी जब उनको केवल दो चार ओवियाँ पढ़ना भी दुष्कर हो गया, तब उन्होंने यह निश्चय किया कि जब दयानिधि श्री साई ही कृपा करके इस ग्रन्थ के पठन की आज्ञा देंगे, तभी उसकी श्रीगणेश करुँगा । सन् 1914 के फरवरी मास में वे सहकुटुम्ब शिरडी पधारे । तभी श्री. जोग ने उनसे पूछा कि क्या आप ज्ञानेश्वरी का नित्य पठन करते है । श्री. देव ने उत्तर दिया कि मेरी इच्छा तो बहुत है, परन्तु मैं ऐसा करने में सफलता नहीं पा रहा हूँ । अब तो जब बाबा की आज्ञा होगी, तभी प्रारम्भ करुँगा । श्री, जोग ने सलाह दी कि ग्रन्थ की एक प्रति खरीद कर बाबा को भेंट करो और जब वे अपने करकमलों से स्पर्श कर उसे वापस लौटा दे, तब उसका पठन प्रारम्भ कर देना । श्री. देव ने कहा कि मैं इस प्रणाली को श्रेयस्कर नहीं समझता, क्योंकि बाबा तो अन्तर्यामी है और मेरे हृदय की इच्छा उनसे कैसे गुप्त रह सकती है । क्या वे स्पष्ट शब्दों में आज्ञा देकर मेरी मनोकामना पूर्ण न करेंगें ।
श्री. देव ने जाकर बाबा के दर्शन किये और एक रुपया दक्षिणा भेंट की । तब बाबा ने उनसे बीस रुपये दक्षिणा और माँगी, जो उन्होंने सहर्ष दे दिया । रात्रि के समय श्री. देव ने बालकराम से भेंट की और उनसे पूछा आपने किस प्रकार बाबा की भक्ति तथा कृपा प्राप्त की है । बालकराम ने कहा मैं दूसरे दिन आरती समाप्त होने के पश्चात् आपको पूर्ण वृतान्त सुनाऊँगा । दूसरे दिन जब श्री. देवसाहब दर्शनार्थ मसजिद में आये तो बाबा ने फिर बीस रुपये दक्षिणा माँगी, जो उन्होंने सहर्ष भेंट कर दी । मसजिद में भीड़ अधिक होने के कारण वे एक ओर एकांत में जाकर बैठ गये । बाबा ने उन्हें बुलाकर अपने समीप बैठा लिया । आरती समाप्त होने के पश्चात जब सब लोग अपने घर लौट गये, तब श्री. देव ने बालकराम से भेंट कर उनसे उनका पूर्व इतिहास जानने की जिज्ञासा प्रगट की तथा बाबा द्घारा प्राप्त उपदेश और ध्यानादि के संबंध में पूछताछ की । बालकराम इन सब बातों का उत्तर देने ही वाले थे कि इतने में चन्द्रू कोढ़ी ने आकर कहा कि श्री. देव को बाबा ने याद किया है । जब देव बाबा के पास पहुँचे तो उन्होंने प्रश्न किया कि वे किससे और क्या बातचीत कर रहे थे । श्री. देव ने उत्तर दिया कि वे बालकराम से उनकी कीर्ति का गुणगान श्रवण कर रहे थे । तब बाबा ने उनसे पुनः 25 रुपये दक्षिणा माँगी, जो उन्होंने सहर्ष दे दी । फिर बाबा उन्हें भीतर ले गये और अपना आसन ग्रहण करने के पश्चात् उन पर दोषारोपण करते हुए कहा कि मेरी अनुमति के बिना तुमने मेरी चिन्दियों की चोरी की है । श्री. देव ने उत्तर दिया भगवन । जहाँ तक मुझे स्मरण है, मैंने ऐसा कोई कार्य नहीं किया है । परन्तु बाबा कहाँ मानने वाले थे । उन्होंने अच्छी तरह ढँढ़ने को कहा । उन्होंने खोज की, परन्तु कहीं कुछ भी न पाया । तब बाबा ने क्रोधित होकर कहा कि तुम्हारे अतिरिक्त यहाँ और कोई नहीं हैं । तुम्ही चोर हो । तुम्हारे बाल तो सफेद हो गये है और इतने वृदृ होकर भी तुम यहां चोरी करने को आये हो । इसके पश्चात् बाबा आपे से बाहर हो गये और उनकी आँखें क्रोध से लाल हो गई । वे बुरी तरह से गालियाँ देने और डाँटने लगे । देव शान्तिपूर्वक सब कुछ सुनते रहे । वे मार पड़ने की भीआशंका कर रहे थे कि एक घण्टे के पश्चात् ही बाबा ने उनसे वाड़े में लौटने को कहा । वाड़े को लौटकर उन्होंने जो कुछ हुआ था, उसका पूर्ण विवरण जोग और बालकराम को सुनाया । दोपहर के पश्चात बाबा ने सबके साथ देव को भी बुलाया और कहने लगे कि शायद मेरे शब्दों ने इस वृदृ को पीड़ा पहुँचाई होगी । इन्होंने चोरी की है और इसे ये स्वीकार नहीं करते है । उन्होंने देव से पुनः बारह रुपये दक्षिणा माँगी, जो उन्होंने एकत्र करके सहर्ष भेंट करते हुए उन्हें नमस्कार किया । तब बाबा देव से कहने लगे कि तुम आजकल क्या कर रहे हो । देव ने उत्तर दिया कि कुछ भी नहीं । तब बाबा ने कहा प्रतिदिन पोथी (ज्ञानेश्वरी) का पाठ किया करो । जाओ, वाडें में बैठकर क्रमशः नित्य पाठ करो और जो कुछ भी तुम पढ़ो, उसका अर्थ दूसरों को प्रेम और भक्तिपूर्वक समझाओ । मैं तो तुम्हें सुनहरा शेला (दुपट्टा) भेंट देना चाहता हूँ, फिर तुम दूसरों के समीप चिन्दियों की आशा से क्यों जाते हो । क्या तुम्हें यह शोभा देता है ।
पोथी पढ़ने की आज्ञा प्राप्त करके देव अति प्रसन्न हुए । उन्होंने सोचा कि मुझे इच्छित वस्तु की प्राप्ति हो गई है और अब मैं आनन्दपूर्वक पोथी (ज्ञानेश्वरी) पढ़ सकूँगा । उन्होंने पुनः साष्टांग नमस्कार किया और कहा कि हे प्रभु । मैं आपकी शरण हूँ । आपका अबोध शिशु हूँ । मुझे पाठ में सहायता कीजिये । अब उन्हें चिन्दियों का अर्थ स्पष्टतया विदित हो गया था । उन्होंने बालकराम से जो कुछ पूछा था, वह चिन्दी स्वरुप था । इन विषयों में बाबा को इस प्रकार का कार्य रुचिकर नहीं था । क्योंकि वे स्वंय प्रत्येक शंका का समाधान करने को सदैव तैयार रहते थे । दूसरों से निरर्थक पूछताछ करना वे अच्छा नहीं समझते थे, इसलिये उन्होंने डाँटा और क्रोधित हुए । देव ने इन शब्दों को बाबा का शुभ आर्शीवाद समझा तथा वे सन्तुष्ट होकर घर लौट गये ।
यह कथा यहीं समाप्त नहीं होती । अनुमति देने के पश्चात् भी बाबा शान्त नहीं बैठे तथा एक वर्ष के पश्चात ही वे श्री. देव के समीप गये और उनसे प्रगति के विषय में पूछताछ की । 2 अप्रैल, सन् 1914 गुरुवार को सुबह बाबा ने स्वप्न में देव से पूछा कि क्या तुम्हें पोथी समझ में आई । जब देव ने स्वीकारात्मक उत्तर न दिया तो बाबा बोले कि अब तुम कब समझोगे । देव की आँखों से टप-टप करके अश्रुपात होने लगा और वे रोते हुए बोले कि मैं निश्चयपूर्वक कह रहा हूँ कि हे भगवान् । जब तक आपकी कृपा रुपी मेघवृष्टि नहीं होती, तब तक उसका अर्थ समझना मेरे लिये सम्भव नहीं है और यह पठन तो भारस्वरुप ही है । तब वे बोले कि मेरे सामने मुझे पढ़कर सुनाओ । तुम पढ़ने में अधिक शीघ्रता किया करते हो । फिर पूछने पर उन्होंने अध्यात्म विषयक अंश पढ़ने को कहा । देव पोथी लाने गयेऔर जब उन्होंने नेत्र खोले तो उनकी निद्रा भंग हो गई थी । अब पाठक स्वयं ही इस बात का अनुमान कर लें कि देव को इस स्वप्न के पश्चात् कितना आनंद प्राप्त हुआ होगा ।
(श्री. देव अभी (सन् 1944) जीवित है और मुझे गत 4-5 वर्षों के पूर्व उनसे भेंट करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ था । जहाँ तक मुझे पता चला है, वह यही है कि वे अभी भी ज्ञानेश्वरी का पाठ किया करते है । उनका ज्ञान अगाध और पूर्ण है । यह उनके साई लीला के लेख से स्पष्ट प्रतीत होता है) । (ता. 19.10.1944)
।। श्री सद्रगुरु साईनाथार्पणमस्तु । शुभं भवतु ।।
Sri sai
ReplyDeleteOm sai ram om sai ram
DeleteOm Sairam
DeleteOm sai ram
DeleteBaba bacho pdai sahi s ho jaye
DeleteOm sai jai sai jai jai sai😊🙏
DeleteOm sai🙏🙏🙏
DeleteOm sai ram ji🥰
DeleteOm sai ram 🙏
DeleteOm Sai Ram.... 🙏
DeleteOm Sai Ram jii 🙏🙏
DeleteOm Sai Ram 🙏
DeleteOm Sai Ram 🙏🙏
DeleteOm Sai Ram 🙏🙏
DeleteOm Sai Ram g 🙏
ReplyDeleteOm sai ram om sai sharanam mama sai bhagavan ki jai ho mere sai sabke sai sadchid anand sadguru sai math maharaja ki jai om namo shred sai prabho namha
ReplyDeletejai sai ram👏🌹🍎🍓
ReplyDeleteOm Sai Ram 🙏
ReplyDeleteOm sai Raam..��
ReplyDeleteBaba padhai mein bahut dikkat aa rahi hai baccho ko dekhu ghar ke kaam mein sara din nikal jata hai thesis puri nahi ho pa rahi hai madad karo meri Passed two years my work is incomplete very sad I am pls Baba help me
ReplyDeleteOm Sai Ram 🙏.. sabhi par aapki kripa Bani rahe...aap par Mera vishwas atal aur aseem Bana rahe...Om Sai namo Namah..Shri Sai namoh Namah..jai jai Sai namoh Namah...sadguru Sai namoh Namah🙏🙏🙏
ReplyDeleteOm sairam prabhu aapki kripa sabhi per bani rahe aur sabhi sukh shanti se aapka smran karte rahe om sai Ram
ReplyDeleteSai ram plzz kirpa baba mere ghr ko bacha lo.. mere behan ko shi rasta dikhao plzz
ReplyDeleteOm sai ram baba aap apni krapa hum sab per banaye rakhana om sai ram
ReplyDeleteOm Sai Ram
ReplyDeleteOm sai ram har har mahadev jai sabhi devi devtao ji ki jai ho jai maa 🎂🙏🙏💐💐💐🎉🎉🌹🎁🎁🎊🎊
ReplyDeleteOm sai 🙏🙏
ReplyDeleteOm sai raam
ReplyDeleteOm Sai Ram
ReplyDeleteOm namoh Shri Sai Prabhu namaha 🙏
ReplyDeleteMere Sai,Sabke Sai
ReplyDeleteOm Sai Ram 🙏
OM SAI RAM 🕉
ReplyDeleteOm sai ram🥰🥰🥰🥰😙
ReplyDeleteSri Sai🙏🏻🙏🏻
ReplyDeleteOM SAI NATHAY NAMAH
ReplyDeleteOm Sai Ram.
ReplyDeleteOm sai ram
ReplyDeleteOm sai ram ji. Mere baba
ReplyDeleteOm Sai Ram 🙏🙏
ReplyDeleteOm sai ram baba meri baat sunlo baba
ReplyDeleteSai sai sai🌷🌺🌼🌹🙏🙏🙏🙏🙏
ReplyDeleteOm jai sai ram
ReplyDeleteOm Shree Sai Namo Namah... jai Shree Sai Namo Namah🙏🙏
ReplyDeleteShree Sai Nathaye Namah🙏🙏
ReplyDeleteOm jai sai ram
ReplyDeleteMere Sai ji hamesha mere sath rehna ... Mujhe apne sath rakhna.... Galat raste pr mat jane dena Om Sai Ram
ReplyDeleteSri sai 🌹❤️🌼🌺🌻🌷💐🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
ReplyDeleteOm sai ram 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙇🙇🙇🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹❤️❤️❤️❤️❤️
ReplyDeleteOm Sai Ram
ReplyDeleteOm sai ram
ReplyDeleteSri Sai🙏❤️❣️🌷🌹💐🌼🌺❤️❣️🌷💐🌹🌺❤️
ReplyDeleteSai sabki rakhsha Karna
ReplyDeleteOm Sairam Ji
sai rhm njr krna bcho ka paln krna 🙏 i m sorry plz forgive me 🙏 thanku univers thanku angle thanku god blessings 🙏
ReplyDeleteOm Sairam 🙏🙏🙏
ReplyDeleteOm Sai Ram daya kare baba
ReplyDeleteOm sai ram
ReplyDeleteSri Sai 🙏❤️
ReplyDeleteOm Sai Ram baba apna haath hum sab per banay rakhana Om Sai Ram 🙏🏻🙏🏻
ReplyDeleteSri Sai❤️🌷🌹💐🌻🍒🙏
ReplyDeleteJai shri sai samarth🙏 sai raham najar krna shivank g Or unki mummy g ki raksha krna🙏 mera sahara mere saiya mera sahara mere saiya mera vishwas hai🙏 i m sorry plz forgive me🙇 i thanku i love you so much baba ji🙏 💕👨👩👦👦😘
ReplyDeleteBaba karz utar do or paiso ki kami dur kar do
ReplyDeleteOm sai ram 🙏 baba ji muja kuch nhi chiya bs apka sath chiya
ReplyDeleteOm sai ram om sai ram om sai ram.baba pls be with ur child always.👏👏👏
ReplyDeleteJai Sai Ram ji
ReplyDeleteOm sai ram om sai ram om sai ram om sai ram om sai ram om sai ram om sai ram om sai ram.baba pls be with us always we are nothing without you 👏👏👏
ReplyDeleteOm sai ram🙏 ji...
ReplyDeleteBABA PLZ FORGIVE ME SAI APNE CHARNO MEH SATHAN DO SAI
ReplyDeleteSAI RAM KRISHNA HARE🙏
Baba please bless my son🌹❤️🙏❤️🌹🙏❤️🌹🙏❤️🌹🙏❤️🌹🙏
ReplyDeleteSri Sai 🙏❤️🙏❤️🙏❤️🙏❤️🙏❤️
ReplyDeleteBaba pls solve this family issues pls Baba 👏 pls 👏👏👏
ReplyDeleteOm sai ram sai sab thik kardo baba meri bachi ko swasth kardo report thik aye sai
ReplyDeleteॐ साई राम
ReplyDeleteSri Sai 🙏
ReplyDeleteJai Sai Ram
ReplyDeleteOm Sairam Ji
ReplyDeleteOm sai nath maharaj ki jai ho🙏
ReplyDeleteSabko sadbuddhi pradan kijiye antaratma ki aankhen kholne m madad kijiye.om sain nathay namah
ReplyDelete🕉 Shri Sai Ram baba 🌷 🌷⚘⚘🌸🌸
ReplyDeleteOm sai ram baba bless my daughter
ReplyDeleteOm shri Sai Ram mere baba🌹🙏💐🥭🥭
ReplyDeleteOm sai ram g🙏
ReplyDeleteOm sai ram 🙏🙏🙏
ReplyDeleteShri Sai
ReplyDeleteOm Sai Ram
ReplyDeleteOm shri Sai Ram mere pyare baba 🌹🙏
ReplyDeleteRaham najar kro ab mere sai 🙏om sai ram g 🙏
ReplyDeleteOm shri Sai Ram mere pyare baba 🌹🙏🍫🙏🍫🙏🌹
ReplyDeleteOm sai ram 🙏
ReplyDeleteOm Sai Ram 🙏
ReplyDeleteOm sai ram g 🙏
ReplyDeleteOm sai ram, hum par Kripa Karo. Meri beti ko sahi rasta Dikha do 🙏
ReplyDeleteOm shri Sai Ram mere pyare baba 🌹🌷🌷🌷🌷
ReplyDeleteNeelam Mishra
ReplyDeleteOm Sai Ram
Om Sai Ram
Naman Mishra
ReplyDeleteOm Sai Ram
Om Sai Ram
Om sai ram reham nazar karna bache ka palan karna
ReplyDelete📯📯🔔🔔🕉Shree Sachidanand Satguru Sai Nath Maha raj Ki Jai🙏🔔🔔📿
ReplyDeleteOm shri Sai Ram mere pyare baba 🥭🥭🥭🌹
ReplyDeleteOm Sai Ram 🙏
ReplyDeleteOm Sai Ram
ReplyDeleteOm shri Sai Ram mere pyare baba 🥭🌹🌹🌷🌷🌷🌹🌹
ReplyDeleteOm Sai Ram
ReplyDeleteOm shri Sai Ram mere pyare baba 🌹🙏🌹🙏🌹🙏
ReplyDelete🌹🌹🙏🙏Om Sai Ram 🙏🙏🌹🌹
ReplyDeleteOm Sai Ram❤️🙏
ReplyDeleteOm Sai Ram 🙏
ReplyDeleteOm Sai Ram
ReplyDeleteOm Sai Ram
ReplyDeleteOm Sai Sai daya Kare baba 🙏 🙏
ReplyDeleteOm Sai Ram
ReplyDeleteMere guru sai ram ji raham karna aur bacchon ka palan karna
ReplyDeleteOm shri Sai Ram 🌹🙏🌹🙏
ReplyDeleteOm shri Sai Ram 🙏
ReplyDeleteShree sachidanand sadguru Sainath Maharaj ki Jai
ReplyDeleteOm sai ram
ReplyDeleteBaba plz papa ko thik kardo jaldi sai ram
ReplyDeleteOm sai ram
ReplyDeleteOm Sai Ram
ReplyDeleteOm sai ram g🙏
ReplyDeleteOm Sai Ram.
ReplyDeleteOm sai ram
ReplyDeleteJai sai 🙏
ReplyDeleteDayalu faquir meri bhi sun lo
ReplyDeleteDayalu faquir meri bhi sun lo
ReplyDeleteOm Sai Ram❤️🙏
ReplyDeleteOm Sai Ram
ReplyDeleteOm sai Ram 🙏🙏
ReplyDeleteSai tere roop anek,sada sahayak rahna🙏🙏
ReplyDeleteOm Sai Ram
ReplyDeleteBaba mere bachho ki sadiv raksha kare apna aashis unhe pradan kare
ReplyDeleteSai Reham nazer krna bachoon ka palan karna Om Sai Ram Ji 🙏🌹🌹
ReplyDeleteOm namah shivay 🙏shiv g sda sahay 🙏om namah shivay🙏 guru g sda sahay🙏 om namah shivay🙏 sai g sda sahay🙏
ReplyDeleteSai tumhari jaijaikaar ho
ReplyDeleteOm Sai Ram💐🙏
ReplyDeleteOm Sai Ram💐🙏
ReplyDeleteOm Sai ram Sai ma
ReplyDeleteJai sai ❤️
ReplyDeleteOm Sai Ram
ReplyDeleteOm Sai ram Sai ma 🙏🙏
ReplyDelete🙏🏻🌹ॐ साई राम 🌹🙏🏻
ReplyDeleteOm Sai Ram
ReplyDeleteSai mere bachchon par sada apna aashirwad banaye rakhna🙏🙏
ReplyDeleteSai tumhara aashirwad hum par sada bana rahe🙏🙏
ReplyDeleteOm Sai ram
ReplyDeleteBaba ka darshan pana hai,mughe shirdi jana hai,tu hi apna hai baki begana hai mughe shirdi jana hai🙏🙏
ReplyDeleteOm sai ram g
ReplyDeleteOm sai ram 🙏
ReplyDeleteOm Sai Ram
ReplyDeleteJai sai 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
ReplyDeleteSai aapki kripa drishti sada bani rahe 🙏🙏
ReplyDelete🕉 OM SAI RAM 🕉 🙏 🙏 JAI SAI RAM 🙏🙏BABA APNI KIRPA DRISHTI MERE SAHAJ MERE PAR AUR MERE APNO PAR
ReplyDeleteBANAYE RAKHNA🙏🙏