Sai Satcharitra Hindi chap 45
श्री साई सच्चरित्र
अध्याय 45 - संदेह निवारण
काकासाहेब दीक्षित का सन्देह और आनन्दराव का स्वप्न, बाबा के विश्राम के लिये लकड़ी का तख्ता ।
प्रस्तावना
गत तीन अध्यायों में बाबा के निर्वाण का वर्णन किया गया है । इसमें कोई सन्देह नहीं कि अब बाबा का साकार स्वरुप लुप्त हो गया है, परन्तु उनका निराकार स्वरुप तो सदैव ही विघमान रहेगा । अभी तक केवल उन्हीं घटनाओं और लीलाओं का उल्लेख किया गया है, जो बाबा के जीवमकाल में घटित हुई थी । उनके समाधिस्थ होने के पश्चात् भी अनेक लीलाएँ हो चुकी है और अभी भी देखने में आ रही है, जिनसे यह सिदृ होता है कि बाबा अभी भी विघमान है और पूर्व की ही भाँति अपने भक्तों को सहायता पहुँचाया करते है । बाबा के जीवन-काल में जिन व्यक्तियों को उनका सानिध्य या सत्संग प्राप्त हुआ, यथार्थ में उनके भाग्य की सराहना कौन कर सकता है । यदि किसी को फिर भी ऐंद्रिक और सांसारिक सुखों से वैराग्य प्राप्त नहीं हो सका तो इस दुर्भाग्य के अतिरिक्त और क्या कहा जा सकता है । जो उस समय आचरण में लाया जाना चाहिये था और अभी भी लाया जाना चाहिये, वह है अनन्य भाव से बाबा की भक्ति । समस्त चेतनाओं, इन्द्रिय-प्रवृतियों और मन को एकाग्र कर बाबा के पूजन और सेवा की ओर लगाना चाहिये । कृत्रिम पूजन से क्या लाभ । यदि पूजन या ध्यानादि करने की ही अभिलाषा है तो वह शुदृ मन और अन्तःकरण से होनी चाहिये ।
जिस प्रकार पतिव्रता स्त्री का विशुदृ प्रेम अपने पति पर होता है, इस प्रेम की उपमा कभी-कभी लोग शिष्य और गुरु के प्रेम से भी दिया करते है । परन्तु फिर भी शिष्य और गुरु-प्रेम के समक्ष पतिव्रता का प्रेम फीका है और उसकी कोई समानता नहीं की जा सकती । माता, पिता, भाई या अन्य सम्बन्धी जीवन का ध्येय (आत्मसाक्षात्कार) प्राप्त करने में कोई सहायता नहीं पहुँचा सकते । इसके लिये हमें स्वयं अपना मार्ग अन्वेषण कर आत्मानुभूति के पथ पर अग्रसर होना पड़ता है । सत्य और असत्य में विवेक, इहलौकिक तथा पारलौकिक सुखों का त्याग, इन्द्रियनिग्रह और केवल मोक्ष की धारणा रखते हुए अग्रसर होना पड़ता है । दूसरों पर निर्भर रहने के बदले हमें आत्मविश्वास बढ़ाना उचित है । जब हम इस प्रकार विवेक-बुद्घि से कार्य करने का अभ्यास करेंगे तो हमें अनुभव होगा कि यह संसार नाशवान् और मिथ्या है । इस प्रकार की धारणा से सांसारिक पदार्थों में हमारी आसक्ति उत्तरोत्तर घटती जायेगी और अन्त में हमें उनसे वैराग्य उत्पन्न हो जायेगा । तब कहीं आगे चलकर यह रहस्य प्रकट होगा कि ब्रहृ हमारे गुरु के अतिरिक्त दूसरा कोई नहीं, वरन् यथार्थ में वे ही सदवस्तु (परमात्मा) है और यह रहस्योदघाटन होता है कि यह दृश्यमान जगत् उनका ही प्रतिबिम्ब है । अतः इस प्रकार हम सभी प्राणियों में उनके ही रुप का दर्शन कर उनका पूजन करना प्रारम्भ कर देते है और यही समत्वभाव दृश्यमान जगत् से विरक्ति प्राप्त करानेवाला भजन या मूलमंत्र है । इस प्रकार जब हम ब्रहृ या गुरु की अनन्यभाव से भक्ति करेंगे तो हमें उनसे अभिन्नता की प्राप्ति होगी और आत्मानुभूति की प्राप्ति सहज हो जायेगी । संक्षेप में यह कि सदैव गुरु का कीर्तन और उनका ध्यान करना ही हमें सर्वभूतों में भगवत् दर्शन करने की योग्यता प्रदान करता है और इसी से परमानंद की प्राप्ति होती है । निम्नलिखित कथा इस तथ्य का प्रमाण है ।
काकासाहेब दीक्षित का सन्देह और आनन्दराव का स्वप्न
यह तो सर्वविदित ही है कि बाबा ने काकासाहेब दीक्षित को श्री एकनाथ महाराज के दो ग्रन्थ
श्री मदभागवत और
भावार्थ रामायण
का नित्य पठन करने की आज्ञा दी थी । काकासाहेब इन ग्रन्थों का नियमपूर्वक पठन बाबा के समय से करते आये है और बाबा के सम्धिस्थ होने के उपरान्त अभी भी वे उसी प्रकार अध्ययन कर रहे । एक समय चौपाटी (बम्बई) में काकासाहेब प्रातःकाल एकनाथी भागवत का पाठ कर रहे थे । माधवराव देशपांडे (शामा) और काका महाजनी भी उस समय वहाँ उपस्थित थे तथा ये दोनों ध्यानपूर्वक पाठ श्रवण कर रहे थे । उस समय 11वें स्कन्ध के द्घितीय अध्याय का वाचन चल रहा था, जिसमें नवनाथ अर्थात् ऋषभ वंश के सिद्घ यानी कवि, हरि, अंतरिक्ष, प्रबुदृ, पिप्पलायन, आविहोर्त्र, द्रुमिल, चमस और करभाजन का वर्णन है, जिन्होंने भागवत धर्म की महिमा राजा जनक को समझायी थी । राजा जनक ने इन नव-नाथों से बहुत महत्त्वपूर्ण प्रश्न पूछे और इन सभी ने उनकी शंकाओं का बड़ा सन्तोषजनक समाधान किया था, अर्थात् कवि ने भागवत धर्म, हरि ने भक्ति की विशेषताएँ, अतंरिक्ष ने माया क्या है, प्रबुदृ ने माया से मुक्त होने की विधि, पिप्लायन ने परब्रहृ के स्वरुप, आविहोर्त्र ने कर्म के स्वरुप, द्रुमिल ने परमात्मा के अवतार और उनके कार्य, चमस ने नास्तिक की मृत्यु के पश्चात् की गति एवं करभाजन ने कलिकाल में भक्ति की पद्घतियों का यथाविधि वर्णन किया । इन सबका अर्थ यही था कि कलियुग में मोक्ष प्राप्त करने का एकमात्र साधन केवल हरिकीर्तन या गुरु-चरणों का चिंतन ही है । पठन समाप्त होने पर काकसाहेब बहुत निराशापूर्ण स्वर में माधवराव और अन्य लोगों से कहने लगे कि नवनाथों की भक्ति पदृति का क्या कहना है, परन्तु उसे आचरण में लाना कितना दुष्कर है । नाथ तो सिदृ थे, परन्तु हमारे समान मूर्खों में इस प्रकार की भक्ति का उत्पन्न होना क्या कभी संभव हो सकता है । अनेक जन्म धारण करने पर भी वैसी भक्ति की प्राप्ति नहीं हो सकती तो फिर हमें मोक्ष कैसे प्राप्त हो सकेगा । ऐसा प्रतीत होता है कि हमारे लिये तो कोई आशा ही नहीं है । माधवराव को यह निराशावादी धारणा अच्छी न लगी । व कहने लगे कि हमारा अहोभाग्य है, जिसके फलस्वरुप ही हमें साई सदृश अमूल्य हीरा हाथ लग गया है, तब फिर इस प्रकार का राग अलापना बड़ी निन्दनीय बात है । यदि तुम्हें बाबा पर अटल विश्वास है तो फिर इस प्रकार चिंतित होने की आवश्यकता ही क्या है । माना कि नवनाथों की भक्ति अपेक्षाकृत अधिक दृढ़ा और प्रबल होगी, परन्तु क्या हम लोग भी प्रेम और स्नेहपूर्वक भक्ति नहीं कर रहे है । क्या बाबा ने अधिकारपूर्ण वाणी में नहीं कहा है कि श्रीहरि या गुरु के नाम जप से मोक्ष की प्राप्ति होती है । तब फिर भय और चिन्ता को स्थान ही कहाँ रह जाता है । परन्तु फिर भी माधवराव के वचनों से काकासाहेब का समाधान न हुआ । वे फिर भी दिन भर व्यग्र और चिन्तित ही बने रहे । यह विचार उनके मस्तिष्क में बार-बार चक्कर काट रहा था कि किस विधि से नवनाथों के समान भक्ति की प्राप्ति सम्भव हो सकेगी ।
एक महाशय, जिनका नाम आनन्दराव पाखाडे था, माधवराव को ढूँढते-ढूँढते वहाँ आ पहुँचे । उस समय भागवत का पठन हो रहा था । श्री. पाखाडे भी माधवराव के समीप ही जाकर बैठ गये और उनसे धीरे-धीरे कुछ वार्ता भी करने लगे । वे अपना स्वप्न माधवराव को सुना रहे थे । इनकी कानाफूसी के कारण पाठ में विघ्न उपस्थित होने लगा । अतएव काकासाहेब ने पाठ स्थगित कर माधवराव से पूछा कि क्यों, क्या बात हो रही है । माधवराव ने कहा कि कल तुमने जो सन्देह प्रगट किया था, यह चर्चा भी उसी का समाधान है । कल बाबा ने श्री. पाखाडे को जो स्वप्न दिया है, उसे इनसे ही सुनो । इसमें बताया गया है कि विशेष भक्ति की कोई आवश्यकता नही, केवल गुरु को नमन या उनका पूजन करना ही पर्याप्त है । सभी को स्वप्न सुनने की तीव्र उत्कंठा थी और सबसे अधिक काकासाहेब को । सभी के कहने पर श्री. पाखाडे अपना स्वप्न सुनाने लगे, जो इस प्रकार है – मैंने देखा कि मैं एक अथाह सागर में खड़ा हुआ हूँ । पानी मेरी कमर तक है और अचानक ही जब मैंने ऊपर देखा तो साईबाबा के श्री-दर्शन हुए । वे एक रत्नजटित सिंहासन पर विराजमान थे और उनके श्री-चरण जल के भीतर थे । यह सुन्र दृश्य और बाबा का मनोहर स्वरुप देक मेरा चित्त बड़ा प्रसन्न हुआ । इस स्वप्न को भला कौन स्वप्न कह सकेगा । मैंने देखा कि माधवराव भी बाबा के समीप ही खड़े है और उन्होंने मुझसे भावुकतापूर्ण शब्दों में कहा कि आनन्दराव । बाबा के श्री-चरणों पर गिरो । मैंने उत्तर दिया कि मैं भी तो यही करना चाहता हूँ । परन्तु उनके श्री-चरण तो जल के भीतर है । अब बताओ कि मैं कैसे अपना शीश उनके चरणों पर रखूँ । मैं तो निस्सहाय हूँ । इन शब्दों को सुनकर शामा ने बाबा से कहा कि अरे देवा । जल में से कृपाकर अपने चरण बाहर निकालिये न । बाबा ने तुरन्त चरण बाहर निकाले और मैं उनसे तुरन्त लिपट गया । बाबा ने मुझे यह कहते हुये आशीर्वाद दिया कि अब तुम आनंदपूर्वक जाओ । घबराने या चिन्ता करने की कोई आवश्यकता नहीं । अब तुम्हारा कल्याण होगा । उन्होंने मुझसे यह भी कहा कि एक जरी के किनारों की धोती मेरे शामा को दे देना, उससे तुम्हें बहुत लाभ होगा ।
बाबा की आज्ञा को पूर्ण करने के लिये ही श्री. पाखाडे धोती लाये और काकासाहेब से प्रार्थना की कि कृपा करके इसे माधवराव को दे दीजिये, परन्तु माधवराव ने उसे लेना स्वीकार नहीं किया । उन्होंने कहा कि जब तक बाबा से मुझे कोई आदेश या अनुमति प्राप्त नहीं होती, तब तक मैं ऐसा करने में असमर्थ हूँ । कुछ तर्क-वतर्क के पश्चात काका ने दैवी आदेशसूचक पर्चियाँ निकालकर इस बात का निर्णय करने का विचार किया । काकासाहेब का यह नियम था कि जब उन्हें कोई सन्देह हो जाता तो वे कागज की दो पर्चियों पर स्वीकार-अश्वीकार लिखकर उसमेंसे एक पर्ची निकालते थे और जो कुछ उत्तर प्राप्त होता था, उसके अनुसार ही कार्य किया करते थे । इसका भी निपटारा करने के लिये उन्होंने उपयुक्त विधि के अनुसार ही दो पर्चियाँ लिखकर बाबा के चित्र के समक्ष रखकर एक अबोध बालक को उसमें से एक पर्ची उठाने को कहा । बालक द्घारा उठाई गई पर्ची जब खोलकर देखी गई तो वह स्वीकारसूचक पर्ची ही निकली और तब माधवराव को धोती स्वीकार करनी पड़ी । इस प्रकार आनन्दराव और माधवराव सन्तुष्ट हो गये और काकासाहेब का भी सन्देह दूर हो गया ।
इससे हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें अन्य सन्तों के वचनों का उचित आदर करना चाहिये, परन्तु साथ ही साथ यह भी परम आवश्यक है कि हमें अपनी माँ अर्थात् गुरु पर पूर्ण विश्वास रखस उनके आदेशों का अक्षरशः पालन करना चाहिये, क्योंकि अन्य लोगों की अपेक्षा हमारे कल्याण की उन्हें अधिक चिन्ता है ।
बाबा के निम्नलिखित वचनों को हृदयपटल पर अंकित कर लो – इस विश्व में असंख्य सन्त है, परन्तु अपना पिता (गुरु) ही सच्चा पिता (सच्चा गुरु) है । दूसरे चाहे कितने ही मधुर वचन क्यों न कहते हो, परन्तु अपना गुरु-उपदेश कभी नहीं भूलना चाहिये । संक्षेप में सार यही है कि शुगृ हृदय से अपने गुरु से प्रेम कर, उनकी शरण जाओ और उन्हें श्रद्घापूर्वक साष्टांग नमस्कार करो । तभी तुम देखोगे कि तुम्हारे सम्मुख भवसागर का अस्तित्व वैसा ही है, जैसा सूर्य के समक्ष अँधेरे का ।
बाबा की शयन शैया-लकड़ी का तख्ता
बाबा अपने जीवन के पूर्वार्द्घ में एक लकड़ी के तख्ते पर शयन किया करते थे । वह तख्ता चार हाथ लम्बा और एक बीता चौड़ा था, जिसके चारों कोनों पर चार मिट्टी के जलते दीपक रखे जाया करते थे । पश्चात् बाबा ने उसके टुकड़े टुकडे कर डाले थे । (जिसका वर्णन गत अध्याय 10 में हो चुका है ) । एक समय बाबा उस पटिये की महत्ता का वर्णन काकासाहेब को सुना रहे थे, जिसको सुनकर काकासाहेब ने बाबा से कहा कि यदि अभी भी आपको उससे विशेष स्नेह है तो मैं मसजिद में एक दूसरी पटिया लटकाये देता हूँ । आप सूखपूर्वक उस पर शयन किया करें । तब बाबा कहने लगे कि अब म्हालसापति को नीचे छोड़कर मैं ऊपर नहीं सोना चाहता ।
काकासाहेब ने कहा कि यदि आज्ञा दें तो मैं एक और तख्ता म्हालसापति के लिये भी टाँग दूँ ।
बाबा बोले कि वे इस पर कैसे सो सकते है । क्या यह कोई सहज कार्य है जो उसके गुण से सम्पन्न हो, वही ऐसा कार्य कर सकता है । जो खुले नेत्र रखकर निद्रा ले सके, वही इसके योग्य है । जब मैं शयन करता हूँ तो बहुधा म्हालसापति को अपने बाजू में बिठाकर उनसे कहता हूँ कि मेरे हृदय पर अपना हाथ रखकर देखते रहो कि कहीं मेरा भगवज्जप बन्द न हो जाय और मुझे थोड़ा- सा भी निद्रित देखो तो तुरन्त जागृत कर दो, परन्तु उससे तो भला यह भी नहीं हो सकता । वह तो स्वंय ही झपकी लेने लगता है और निद्रामग्न होकर अपना सिर डुलाने लगता है और जब मुझे भगत का हाथ पत्थर-सा भारी प्रतीत होने लगता है तो मैं जोर से पुकार कर उठता हूँ कि ओ भगत । तब कहीं वह घबड़ा कर नेत्र खोलता है । जो पृथ्वी पर अच्छी तरह बैठ और सो नहीं सकता तथा जिसका आसन सिदृ नहीं है और जो निद्रा का दास है, वह क्या तख्ते पर सो सकेगा । अन्य अनेक अवसरों पर वे भक्तों के स्नेहवश ऐसा कहा करते थे कि अपना अपने साथ और उसका उसके साथ ।
।। श्री सद्रगुरु साईनाथार्पणमस्तु । शुभं भवतु ।।
Sri Sai
ReplyDeleteBless us Baba
Om sai ram ji🙏
DeleteOm sai ram
DeleteOm Sai 🙏Ram
DeleteOm Sai ram
Deleteom sai ram. om sai shree sai jai jai sai
DeleteOM SAIRAM JI
Delete🕉 ShivSaiNathaya Namah
DeleteOm Sai Ram 🙏🙏
DeleteJai sai ram 🙏🌹
DeleteOm Sai Ram🙏
DeleteOm Sai Ram ji
Deletejai sai jai sai sadhguru sau🌷🌸🏵️🌻🌼💐🌹🌹🌹
ReplyDeleteOm sai ram
DeleteOmsairam 🙏
DeleteOm sai🥰
DeleteOm sai ram
DeleteOm Sai Ram 🙏🏼❤️
DeleteOm Sai Ram jii 🙏🙏
DeleteOm Sai Ram jii 🙏🙏
DeleteOm Sai Ram Baba
ReplyDeleteॐ नम: श्री साई नाथाय नम :
ReplyDeleteॐ नम: श्री साई नाथाय नम :
ॐ नम: श्री साई नाथाय नम :
Om sai ram m too worried about my life nd al my fmly plz hlp me sai
DeleteOm sai namo namah Shred sai namo namah shirdi sai namo namah sadguru sai namo namah sainath sai namo namah maharaja sai namo namah
ReplyDeleteOm Sai Ram
ReplyDeleteom sai ram🍎🍒👏🌹
ReplyDeleteSai sai sai🙏
ReplyDeleteOm Sai Shree Sai Jai Jai Sai 🌹🙏🌹
ReplyDeleteOm Sri Sai Ram.
ReplyDeleteOM SAI RAM
ReplyDelete🙏🌹om sai ram🌹🙏
ReplyDeleteOm shri Sai Ram
ReplyDeleteOm Sai namo namah
ReplyDeleteSri Sai🙏
ReplyDeleteOm Sai 🙏🙏🙏
ReplyDeleteOm sai ram 👏🌹
ReplyDeleteBaba apke chapter 51 or Artii ke sampti ke saath hi mera Karya jo apko sarvidit hai ho JAI pls
ReplyDelete🙏♥️ Om Sai Ram
ReplyDeleteOm sai ram har har mahadev jai sabhi devi devtao ji ki jai ho jai maa 😘🙏😘😘🙏😘🙏😊🙏😊😊🙏😊😊🙏
ReplyDeleteOm sai raam
ReplyDelete🌹🙏💐🌷
Om namoh Shri Sai Prabhu namaha 🙏 love you so much baba ji 🙏
ReplyDeleteSRI Sai 🙏🏻
ReplyDeleteom sai ram ji
ReplyDeleteOm namoh shri sai prabhu namah 🙏 love you lots Baba g 🙏
ReplyDeleteOm sai Ram 🙏🙏🙏
ReplyDeleteOm sai ram🙏
ReplyDeleteOm sai ram🙏🙏
ReplyDeleteओम साँई राम जी
ReplyDeleteSri Sai 🙏🏻
ReplyDeleteOM SAI NATHAY NAMAH.BABAJI SAB ACHHA ACHHA HI KARIYEGA.
ReplyDeleteOm Sri Sai natkhat namah
ReplyDelete🙏 Om Sai Ram 🙏
ReplyDeleteBaba mera kaam?
ReplyDeleteOm sai Ram
ReplyDeleteSri Sai 🙏🌹
ReplyDeleteOm Sai Ram
ReplyDeleteOn sri sai nath 🙏🙏🌺❣️🌺🌹
ReplyDeleteOm sai Ram.baba please save our world from this virus.plese forgive us for our all mistakes.we will not cut tree 🎄.we will work for nature.pls baba take care of us.om sai ram om sai ram om sai ram om sai ram om sai om sai ram om sai ram om sai ram om sai ram om sai om sai ram om sai ram om sai ram
ReplyDeleteBaba we ur lot of blessings please keep ur Hands on us always.om sai ram om sai ram om sai ram om sai ram om sai ram om sai ram om sai ram om sai ram om sai ram om sai ram om sai ram om sai ram om sai ram om sai ram om sai ram om sai ram om sai ram om sai ram om sai ram om sai ram om sai ram om sai ram sai ram om sai ram om sai ram om sai ram om sai ram om sai ram om sai ram om sai ram om sai ram om sai ram om sai ram.🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏💐💐💐
ReplyDeleteOm Sai Namo Namah... Jai Jai Sai Namo Namah🙏🙏🙏🙏🙏
ReplyDeleteOm sai ram baba hamari zindagi mein sukha aaur shanti dena apna haath hum sab per banay rakhana🙏🙏🙏🙏🙏🙏
ReplyDeleteOm sai Ram����
ReplyDeleteOm jai sai ram
ReplyDeleteOm Sai Ram🙏🙏
ReplyDeleteOm sai Ram ji 🙏🏼
ReplyDeleteOm Sai Ram
ReplyDeleteBaba aap sath ho to sab sath hai
🙏❤
Sai Sai Said❤️🙏🌹🌷❣️🌹🌷❣️💐
ReplyDeleteSai nathaya namah🙏🌹🌷❣️💐❤️
ReplyDeletesai rhm njr krna bcho ka paln krna 🙏 i m sorry plz forgive me 🙏 I thanku so much sai g ❣️ love you so much sai g ❣️
ReplyDeleteOm Sai Ram, baba bless us all
DeleteOm Sai Ram jii 🙏🙏
DeleteOm Sai Ram g 🙏 mera Sahara mere saiya mere Vishwas hai 🙏 ananntkoti brhmandnayak rajadhiraj yogiraj parambrahma persmeshver Shri sachchidannd sadguru Sai nath Maharaj ki jai ho 🙏 I m sorry pls forgive me 🙏 I thankuu I love you so much Sai Ram g 😘💕💏
ReplyDeleteJai shri sai samarth 🙏sai raham najar krna 🙏shivank g Or unki mummy g ki rakhsa krna🙏.mera sahara mere saiya mera vishwas hai 🙏I m sorry plz forgive me🙇 I thanku i love you so much baba ji🙏 💏😘💕👨👩👦👦
ReplyDeleteOm sai Ram om sai ram om sai ram om sai ram .baba reham Nazar rakhna aapne bache ka palan karna👏👏👏
ReplyDeleteJai Ho malik 🙏🥰🙏
ReplyDeleteSri Sai🙏❤️
ReplyDeleteOm sai ram🙏 mere sai baba ji
ReplyDeleteOm sai ram om sai ram om sai ram om sai ram om sai ram om sai ram om sai ram om sai ram.👏👏👏
ReplyDeleteSAI RAM KRISHNA HARE
ReplyDeleteBABA FORGIVE ME FOR ALL MY SINS PROTECT THIS WORLD N US FROM ALL DISEASES AND DIFFICULTIES U R OUR ONLY CREATOR PROTECTOR AND DESTROYER OF ALL OUR SINS.
OM SAI RAM MERE SAI PYARE SAI SABKE SAI
SAI RAM KRISHNA HARE🙏😇
SAI RAM KRISHNA HARE
ReplyDeleteOM SAI RAM
BABA FORGIVE ME FOR ALL MY SINS
MERE SAI PYARE SAI SABKE SAI
BABA GUIDE US AND PROTECT US.🙏
Sri Sai please Baba bless all❤️🙏🌹❤️🙏🌹❤️🙏🌹❤️🙏🌹❤️🙏🌹
ReplyDeleteOm sai ram om sai ram om sai ram om sai ram om sai ram om sai ram 👏👏👏
ReplyDeleteOm Sai Ram daya Kare baba, mera madatkare baba
ReplyDeleteओम श्री साईं नाथाय् नम्ह्नमः🙏🙏🙏🙏🙏💞🎉💕🌹💕💐💕🌻🌺🌼🌷💝💝💝🤍💝🤍💝💝🌺🤍🌺💞💐💐💕💐💕🌺💞🙏🙏🙏🙏
ReplyDeleteBaba pls solve this family issues pls Baba 👏👏👏
ReplyDeleteSri Sai🙏
ReplyDeleteOm sai ram
ReplyDeleteSai Ram 🙏🏻🙏🏻🙏🏻
ReplyDeleteOm Sai Ram🌹🙏
ReplyDeleteॐ साईं राम
ReplyDeleteOm sai ram🙏🙏🙏
ReplyDeleteOm Sai Ram
ReplyDeleteOm Sai Ram🌹🙏(prajna)
ReplyDeleteOm sai ram g🙏
ReplyDeleteOm shri Sai Ram mere pyare baba 🌹🥭🙏🙏🍫💐💐
ReplyDeleteOm sainathaya namah ji 🙏🏻🙏🏻🙏🏻
ReplyDeleteOm Sai Ram
ReplyDeleteRaham najar kro ab mere sai 🙏om sai ram g🙏
ReplyDeleteOm shri Sai Ram mere pyare baba 🌹🙏🌹🙏
ReplyDeleteOm sai ram
ReplyDeleteOn said tam
ReplyDeleteOm shri Sai Ram mere pyare baba 🙏🌹🙏🌹
ReplyDeleteOm sai ram
ReplyDeleteOm shri Sai Ram mere pyare baba 🌹🥭🌹
ReplyDeleteOm Sai Ram❤️🙏
ReplyDeleteJai Sai Maa pita❤️🙏
OM SAI RAM JEE, Baba Jee I have surrendered myself on your lotus 🪷 feet please bless us APKO KOTEE KOTEE PARNAM 🙏🙏🙏🙏🙏
ReplyDeleteOm Sai Ram 🌹🙏
ReplyDeleteOm sai ram
ReplyDeleteOm sai ram g🙏
ReplyDeleteOm shri Sai Ram mere pyare baba 🙏❤️🌹🌹
ReplyDeleteOm shri Sai Ram mere pyare baba 🙏❤️🙏❤️
ReplyDeleteOm shri Sai Ram mere pyare baba 🌷🙏🌷🌷
ReplyDeleteSai Reham Nazar karna bache ka palan karna om sai ram om sai ram om sai ram
ReplyDeleteOm Sai Ram🙏
ReplyDeleteOm shri Sai Ram mere pyare baba 🌹❤️🥭🥭🥭♥️♥️♥️♥️
ReplyDeleteOm shri Sai Ram mere pyare baba 🌹🙏🌹🌹🙏
ReplyDeleteSai aap humare guru ji ho,apna ashirwad hamesha banaye rakhna
ReplyDeleteOm Sai Ram
ReplyDeleteOm shri Sai Ram mere pyare baba 🌹🙏🌹🌹
ReplyDeleteOM Sai Ram 🙏❣️
ReplyDeleteOm Sai Ram
ReplyDeleteOm Sai Ram❤️🙏
ReplyDeleteGuru maharaj sai baba apna varad hast sada hamare upar rakhna
ReplyDeleteOm shri Sai Ram 🌹🌹🌹
ReplyDelete🙏🙏🕉 OM SAI RAM 🕉 🙏 🙏
ReplyDeleteOm sai ram🙏🙏🙏🙏🙏
ReplyDeleteOm shri Sai Ram 🌹🙏🌹🌹
ReplyDeleteOm Sai Ram 🙏🙏🌹
ReplyDeleteJai sai baba
ReplyDeleteOm sai ram
ReplyDeleteOm Sai Ram
ReplyDeleteOm sai ram g🙏
ReplyDeleteOm Sai Ram
ReplyDeleteOm Sai Ram ji 🙏
ReplyDeleteSai baba hum par sada kripa banaye rakhna🙏🙏
ReplyDeleteOm Sai Ram
ReplyDeleteOm Sai Ram❤️🙏
ReplyDeleteOm Sai ram Sai ram Sai ma
ReplyDeleteOm Sai Ram !!!
ReplyDeleteSai kripa banaye rakhana 🙏🙏
ReplyDeleteOm Sai Ram
ReplyDeleteOm namah shivaay 🙏shiv g sda sahay 🙏om namah shivaay🙏 sai g sda sahay🙏 om namah shivaay🙏 guru g sda sahay🙏
ReplyDeleteOm Sai Ram Ji 🙏🌹🌹
ReplyDeleteBaba aapka shukriya 🙏🙏
ReplyDeleteOm Sai Ram
ReplyDeleteOm Sai Ram💐🙏
ReplyDeleteOm Sai Ram💐🙏
ReplyDeleteOm Sai Ram
ReplyDeleteOm Sai ram Sai ma luv you
ReplyDeleteJai sai 🙏 Jai sai 🙏 Jai sai 🙏 Jai sai 🙏 Jai sai 🙏 Jai sai 🙏 Jai sai 🙏 Jai sai 🙏 Jai sai 🙏
ReplyDelete🙏🌹Om Sai Ram 🌹🙏
ReplyDelete🙏🏻🌹ॐ साई राम 🌹🙏🏻
ReplyDeleteOm Sai ram Sai ma 🙏🙏
ReplyDeleteOm Sai maa maa mere bachho ki sadiv raksha kare apna aashis unhe pradan kare
ReplyDeleteOm Sai Ram
ReplyDelete🙏🏻🌹ॐ साई राम 🌹🙏🏻
ReplyDeleteॐ साई श्री साई जय जय साई 🙏 🙏
ReplyDeleteOm Sai ram ji
ReplyDeleteOm sai ram ji
ReplyDeleteSai aap hamare rakshak aur palanhaar ho🙏🙏
ReplyDeleteOm Sai Ram
ReplyDeleteDayalu faqir tum mere parivaar ke rakhwale ho🙏🙏
ReplyDeleteBaba I know I have done wrong
ReplyDeleteI ask for forgiveness in this lifetime
Please save me for my parents
Please end my sufferings please help me Baba
Baba sabki bigdi banane wale🙏🙏
ReplyDeleteOm sai ram g
ReplyDeleteOm sai ram 🙏
ReplyDeleteSai mere bachchon ko sadbudhhi pradan karen🙏🙏
ReplyDeleteJai sai 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
ReplyDeleteSai Baba tumhari kripadrishti sada hamare saath rahe 🙏🙏
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