Sai Satcharitra Hindi chap 38
श्री साई सच्चरित्र
अध्याय 38 - बाबा की हंड़ी, नानासाहेब द्अघारा देव-मूर्ति की उपेक्षा, नैवेघ वितरण, छाँछ का प्रसाद ।
गत अध्याय में चावड़ी के समारोह का वर्णन किया गया है । अब इस अध्याया में बाबा की हंडी तथा कुछ अन्य विषयों का वर्णन होगा ।
प्रस्तावना
हे सदगुरु साई । तुम धन्य हो । हम तुम्हें नमन करते है । तुमने विश्व को सुख पहुँचाय और भक्तों का कल्याण किया । तुम उदार हृदय हो । जो भक्तगण तुम्हारे अभय चरण-कमलों में अपने को समर्पित कर देते है, तुम उनकी सदैव रक्षा एवं उद्घार किया करते हो । भक्तों के कल्याण और परित्राण के निमित्त ही तुम अवतार लेते हो । ब्रहम के साँचे में शुद्घ आत्मारुपी द्रव्य ढाला गया और उसमें से ढलकर जो मूर्ति निकली, वही सन्तों के सन्त श्री साईबाबा है । साई स्वयं ही आत्माराम और चिरआनन्द धाम है । इस जीवन के समस्त कार्यों को नश्वर जानकर उन्होंने भक्तों को निष्काम और मुक्त किया ।
बाबा की हंड़ी
मानव धर्म-शास्त्र में भिन्न-भिन्न युगों के लिये भिन्न-भिन्न साधनाओं का उन्नेख किया गया है । सतयुग में तप, त्रेता में ज्ञान, द्घापर में यज्ञ और कलियुग में दान का विशेष माहात्म्य है । सर्व प्रकार के दानों में अन्नदान श्रेष्ठ है । जब मध्याहृ के समय हमें भोजन प्राप्त नहीं होता, तब हम विचलित हो जाते है । ऐसी ही स्थिति अन्य प्राणियों की अनुभव कर जो किसी भिक्षुक या भूखे को भोजन देता है, वही श्रेष्ठ दानी है । तैत्तिरीयोपनिषद् में लिखा है कि अन्न ही ब्रहमा है और उसीसे सब प्राणियों की उत्पत्ति होती है तथा उससे ही वे जीवित रहते है और मृत्यु के उपरांत उसी में लय भी हो जाते है । जब कोई अतिथि दोपहर के समय अपने घर आता है तो हमारा कर्तव्य हो जाता है कि हम उसका अभिन्नदन कर उसे भोजन करावे । अन्य दान जैसे-धन, भूमि और वस्त्र इत्यादि देने में तो पात्रता का विचार करना पड़ता है, परन्तु अन्न के लिये विशेष सोचविचार की आवश्यकता नहीं है । दोपहर के समय कोई भी अपने द्घार पर आवे, उसे शीघ्रभोजन कराना हमारा परम कर्त्व्य है । प्रथमतः लूले, लंगड़े, अन्धे या रुग्ण भिखारियों को, फिर उन्हें, जो हाथ पैर से स्वस्थ है और उनसभी के बाद अपने संबन्धियों को भोजन कराना चाहिये । अन्य सभी की अपेक्षा पंगुओं को भोजन कराने का मह्त्व अधिक है । अन्नदान के बिना अन्य सब प्रकार के दान वैसे ही अपूर्ण है, जैसे कि चन्द्रमा बिना तारे, पदक बिना हार, कलश बिना मन्दिर, कमलरहित तलाब, भक्तिरहित, भजन, सिन्दूररहित सुहागिन, मधुर स्वरविहीन गायन, नमक बिना पकवान । जिस प्रकार अन्य भोज्य पदार्थों में दाल उत्तम समझी जाती है, उसी प्रकार समस्त दानों में अन्नदान श्रेष्ठ है । अब देखें कि बाबा किस प्रकार भोजन तैयार कराकर उसका वितरण किया करते थे ।
हम पहले ही उल्लेख कर चुके है कि बाबा अल्पाहारी थे और वे थोड़ा बहुत जो कुछ भी खाते थे, वह उन्हें केवल दो गृहों से ही भिक्षा में उपलब्ध हो जाया करता था । परन्तु जब उनके मन में सभी भक्तों को भोजन कराने की इच्छा होती तो प्रारम्भ से लेकर अन्त तक संपूर्ण व्यवस्था वे स्वयं किया करते थे । वे किसी पर निर्भर नहीं रहते थे और न ही किसी को इस संबंध में कष्ट ही दिया करते थे । प्रथमतः वे स्वयं बाजार जाकर सब वस्तुएं – अनाज, आटा, नमक, मिर्ची, जीरा खोपरा और अन्य मसाले आदि वस्तुएँ नगद दाम देकर खरीद लाया करते थे । यहाँ तक कि पीसने का कार्य भी वे स्वयं ही किया करते थे । मसजिद के आँगन में ही एक भट्टी बनाकर उसमें अग्नि प्रज्वलित करके हंडी के ठीक नाप से पानी भर देते थे । हंडी दो प्रकार की थी – एक छोटी और दूसरी बड़ी । एक में सौ और दूसरी में पाँच सौ व्यक्तियों का भोजन तैयार हो सकता था । कभी वे मीठे चावल बनाते और कभी मांसमिश्रित चावल (पुलाव) बनाते थे । कभी-कभी दाल और मुटकुले भी बना लेते थे । पत्थर की सिल पर महीन मसाला पीस कर हंडी में डाल देते थे । भोजन रुचिकर बने, इसका वे भरसक प्रयत्न किया करते थे । ज्वार के आटे को पानी में उबाल कर उसमें छाँछ मिलाकर अंबिल (आमर्टी) बनाते और भोजन के साथ सब भक्तों को समान मात्रा में बाँट देते थे । भोजन ठीक बन रहा है या नहीं, यह जानने के लिये वे अपनी कफनी की बाँहें ऊपर चढ़ाकर निर्भय हो उतबलती हंडी में हाथ डाल देते और उसे चारों ओर घुमाया करते थे । ऐसा करने पर भी उनके हाथ पर न कोई जलन का चिन्ह और न चेहरे पर ही कोई व्यथा की रेखा प्रतीत हुआ करती थी । जब पूर्ण भोजन तैयार हो जाता, तब वे मसजिद सम बर्तन मँगाकर मौलवी से फातिहा पढ़ने को कहते थे, फिर वे म्हालसापति तथा तात्या पाटील के प्रसाद का भाग पृथक् रखकर शेष भोजन गरीब और अनाथ लोगों को खिलाकर उन्हें तृप्त करते थे । सचमुच वे लोग धन्य थे । कितने भाग्यशाली थे वे, जिन्हें बाबा के हाथ का बना और परोसा हुआ भोजन खाने को प्राप्त हुआ ।
यहाँ कोई यह शंका कर सकता है कि क्या वे शाकाहारी और मांसाहारी भोज्य पदार्थों का प्रसाद सभी को बाँटा करते थे । इसका उत्तर बिलकुल सीधा और सरल है । जो लोग मांसाहारी थे, उन्हें हण्डी में से दिया जाता था तथा शाकाहारियों को उसका स्पर्श तक न होने देते थे । न कभी उन्होंने किसी को मांसाहार का प्रोत्साहन ही दिया और न ही उनकी आंतरिक इच्छा थी कि किसी को इसके सेवन की आदत लग जाये । यह एक अति पुरातन अनुभूत नियम है कि जब गुरुदेव प्रसाद वितरण कर रहे हो, तभी यदि शिष्य उसके ग्रहण करने में शंकित हो जाय तो उसका अधःपतन हो जाता है । यह अनुभव करने के लिये कि शिष्य गण इस नियम का किस अंश तक पालन करते है, वे कभी-कभी परीक्षा भी ले लिया करते थे । उदाहरँणार्थ एक एकादशी के दिन उन्होंने दादा केलकर को कुछ रुपये देकर कुछ मांस खरीद लाने को कहा । दादा केलकर पूरे कर्मकांडी थे और प्रायः सभी नियमों का जीवन में पालन किया करते थे । उनकी यह दृढ़ भावना थी कि द्रव्य, अन्न और वस्त्र इत्यादि गुरु को भेंट करना पर्याप्त नहीं है । केवल उनकी आज्ञा ही शीघ्र कार्यान्वित करने से वे प्रसन्न हो जाते है । यही उनकी दक्षिणा है । दादा शीघ्र कपडे पहिन कर एक थैला लेकर बाजार जाने के लिये उघत हो गये । तब बाबा ने उन्हें लौटा लिया और कहा कि तुम न जाओ, अन्य किसी को भेज दो । दादा ने अपने नौकर पाण्डू को इस कार्य के निमित्त भेजा । उसको जाते देखकर बाबा ने उसे भी वापस बुलाने को कहकर यह कार्यक्रम स्थगित कर दिया ।
ऐसे ही एक अन्य अवसर पर उन्होंने दादा से कहा कि देखो तो नमकीन पुलाव कैसा पका है । दादा ने यों ही मुंह देखी कह दिया कि अच्छा है । तब वे कहने लगे कि तुमने न अपनी आँखों से ही देखा है और न जिहा से स्वाद लिया, फिर तुमने यह कैसे कह दिया कि उत्तम बना है । थोड़ा ढक्कन हटाकर तो देखो । बाबा ने दादा की बाँह पकड़ी और बलपूर्वक बर्तन में डालकर बोले – थोड़ासा इसमें से निकालो और अपना कट्टरपन छोड़कर चख कर देखो । जब माँ का सच्चा प्रेम बच्चे पर उमड़ आता है, तब माँ उसे चिमटी भरती है, परन्तु उसका चिल्लाना या रोना देखकर वह उसे अपने हृदय से लगाती है । इसी प्रकार बाबा ने सात्विक मातृप्रेम के वश हो दादा का इस प्रकार हाथ पकड़ा । यथार्थ में कोई भी सन्त या गुरु कभी भी अपने कर्मकांडी शिष्य को वर्जित भोज्य के लिये आग्रह करके अपनी अपकीर्ति कराना पसन्द न करेगा ।
इस प्रकार यह हंडी का कार्यक्रम सन् 1910 तक चला और फिर स्थगित हो गया । जैसा पूर्व में उल्लेख किया जा चुका है, दासगणू ने अपने कीर्तन द्घारा समस्त बम्बई प्रांत में बाबा की अधिक कीर्ति फैलई । फलतः इस प्रान्त से लोगों के झुंड के झुंड शिरडी को आने लगे और थोड़े ही दिनों में शिरडी पवित्र तीर्थ-क्षेत्र बन गया । भक्तगण बाबा को नैवेघ अर्पित करने के लिये नाना प्रकारके स्वादिष्ट पदार्थ लाते थे, जो इतनी अधिक मात्रा में एकत्र हो जाता था कि फकीरों और भिखारियों को सन्तोषपूर्वक भोजन कराने पर भी बच जाता था । नैवेघ वितरण करने की विधि का वर्णन करने से पूर्व हम नानासाहेब चाँदोरकर की उस कथा का वर्णन करेंगे, जो स्थानीय देवी-देवताओं और मूर्तियों के प्रति बाबा की सम्मान-भावना की घोतक है ।
नानासाहेब द्घारा देव-मूर्ति की उपेक्षा
कुछ व्यक्ति अपनी कल्पना के अनुसार बाबा को ब्राहमण तथा कुछ उन्हें यवन समझा करते थे, परन्तु वास्तव में उनकी कोई जाति न थी । उनकी और ईश्वर की केवल एक जाति थी । कोई भी निश्चयपूर्वक यह नहीं जानता कि वे किस कुल में जनमें और उनके मातापिता कौन थे । फिर उन्हें हिन्दू या यवन कैसे घोषित किया जा सकता है । यदि वे यवन होते तो मसजिद में सदैव धूनी और तुलसी वृन्दावन ही क्यों लागते और शंख, घण्टे तथा अन्य संगीत वाघ क्यों बजने देते । हिन्दुओं की विविध प्रकार की पूजाओं को क्यों स्वीकार करते । यदि सचमुच यवन होते तो उनके कान क्यों छिदे होते तथा वे हिन्दू मन्दिरों का स्वयं जीर्णोद्घार क्यों करवाते । उन्होंने हिन्दुओं की मूर्तियों तथा देवी-देवताओ की जरा सी उपेक्षा भी कभी सहन नहीं की ।
एक बार नानासाहेब चाँदोरक अपने साढू (साली के पति) श्री बिनीवले के साथ शिरडी आये । जब वे मसजिद में पहुँचे, बाबा वार्तालाप करते हुए अनायास ही क्रोधित होकर कहने लगे कि तुम दीर्घकाल से मेरे सान्ध्य में हो, फिर भी ऐसा आचरण क्यों करते हो । नानासाहेब प्रथमतः इन शब्दों का कुछ भी अर्थ न समझ सके । अतः उन्होंने अपना अपराध समझाने की प्रार्थना की । प्रत्युत्तर में उन्होंने कहा कि तुम कब कोपरगाँव आये और फिर वहाँ से कैसे शिरडी आ पहुँचे । तब नानासाहेब को अपनी भूल तुरन्त ही ज्ञात हो गयी । उनका यह नियम था कि शिरडी आने से पूर्व वे कोपरगाँव में गोदावरी के तट पर स्थित श्री दत्त का पूजन किया करते थे । परन्तु रिश्तेदार के दत-उपासक होने पर भी इस बार विलम्ब होने के भय से उन्होंने उनको भी दत्त मंदिर में जाने से हतोत्साहित किया और वे दोनों सीधे शिरडी चले आये थे । अपना दोष स्वीकार कर उन्होंने कहा कि गोदावरी स्नान करते समय पैर में एक बड़ा काँटा चुभ जाने के कारण अधिक कष्ट हो गया था । बाबा ने काह कि यह तो बहुत छोटासा दंड था और उन्हें भविष्य में ऐसे आचरण के लिये सदैव सावधान रहने की चेतावनी दी ।
नैवेघ-वितरण
अब हम नैवेघ-वितरण का वर्णन करेंगे । आरती समाप्त होने पर बाबा से आर्शीवाद तथा उदी प्राप्त कर जब भक्तगण अपने-अपने घर चले जाते, तब बाबा परदे के पीछे प्रवेश कर निम्बर के सहारे पीठ टेककर भोजन के लिये आसन ग्रहण करते थे । भक्तों की दो पंक्तियाँ उनके समीप बैठा करती थी । भक्तगण नाना प्रकार के नैवेघ, पीरी, माण्डे, पेड़ा बर्फी, बांसुदीउपमा (सांजा) अम्बे मोहर (भात) इत्यादि थाली में सजा-सजाकर लाते और जब तक वे नैवेघ स्वीकार न कर लेते, तब तक भक्तगण बाहर ही प्रतीक्षा किया करते थे । समस्त नैवेघ एकत्रित कर दिया जाता, तब वे स्वयं ही भगवान को नैवेघ अर्पण कर स्वयं ग्रहण करते थे । उसमें से कुछ भाग बाहर प्रतीक्षा करने वालों को देकर शेष भीतर बैठे हुए भक्त पा लिया करते थे । जब बाबासबके मध्य में आ विराजते, तब दोनों पंक्तियों में बैठे हुए भक्त तृप्त होकर भोजन किया करते थे । बाबा प्रायः शामा और निमोणकर से भक्तों को अच्छी तरह भोजन कराने और प्रत्येक की आवश्यकता का सावधानीपूर्वक ध्यान रखने को कहते थे । वे दोनों भी इस कार्य को बड़ी लगन और हर्ष से करते थे । इस प्रकार प्राप्त प्रत्येक ग्रास भक्तों को पोषक और सन्तोषदायक होता था । कितना मधुर, पवित्र, प्रेमरसपूर्ण भोजन था वह । सदा मांगलिक और पवित्र ।
छाँछ (मठ्ठा) का प्रसाद
इस सत्संग में बैठकर एक दिन जब हेमाडपंत पूर्णतः भोजन कर चुके, तब बाबा ने उन्हें एक प्याला छाँछ पीने को दिया । उसके श्वेत रंग से वे प्रसन्न तो हुए, परन्तु उदर में जरा भी गुंजाइश न होने के कारण उन्होंने केवल एक घूँट ही पिया । उनका यह उपेक्षात्मक व्यवहार देखकर बाबा ने कहा कि सब पी जाओ । ऐसा सुअवसर अब कभी न पाओगे । तब उन्होंने पूरी छाँछ पी ली, किन्तु उन्हे बाबा के सांकेतिक वचनों का मर्म शीघ्र ही विदित हो गया, क्योंकि इस घटना के थोड़े दिनों के पश्चात् ही बाबा समाधिस्थ हो गये ।
पाठकों । अब हमें अवश्य ही हेमाडपंत के प्रति कृतज्ञ होना चाहिये, क्योंकि उन्होंने तो छाँछ का प्याला पिया, परन्तु वे हमारे लिये यथेष्ठ मात्रा में श्री साई-लीला रुपी अमृत दे गये । आओ, हम उस अमृत के प्याले पर प्याले पीकर संतुष्ट और सुखी हो जाये ।
।। श्री सद्रगुरु साईनाथार्पणमस्तु । शुभं भवतु ।।
Wah mere sai apki leela tou aaprampar hai
ReplyDeleteOm Sai ram 🌹🌹
DeleteOm Sai Ram
Delete🙏🏻🌹ॐ साई राम जी🌹🙏🏻
DeleteOm sai ram 🙏🙏🙏❤❤❤
DeleteEkadashi wale din mans mangwata he bhosdika
DeleteJabki sanatan dharm me to jiv hatya to bohot bada paap mana gaya he ye koi bhagwan nai he
Om Sai Ram jii 🙏🙏
DeleteOm Sai Ram.iss bewakoof ko sadbudhi do
DeleteOm sai ram ji🙏❤️❣️
DeleteOm Sai Ram jii 🙏🙏
Deleteहाँ गधे भगवान तो तू है 😂😂😂😂
DeleteAise logo bhut durbhsali hota h om sai ram
DeleteSai raksha karna baba apke siwa mera kon nai sai meta vihwas hai
ReplyDeletebaba raham nazar karna🤗
ReplyDeleteSai Sai sai
ReplyDeletesai nath maharaj ki jai
ReplyDeleteSai Nath Maharaj Ki Jai
ReplyDeleteOm shree sadchidanand sadguru sainath maharaj ki jai sai bhagavan ki jai sai ko mera prem purvak namaskar mere sai sabke sai shirdi sai mata shirdi sai mere pita sai mere bhrata sai mere sai mere palanhar dino me nath sada apne charno me mere parivar ko sharan dena sai om
ReplyDeleteom sai ram.deva reham nazar rakhna hamesa
ReplyDeletejai sai ram🍎🌹👏
ReplyDeleteOm Sai Ram 🙏 Jai Sai Ram 🙏 Thank you Sai baba for all your blessings....thank you Sai baba for always helping me...when I need you most you were always there for me...you always showered your love and blessings on me..... Thank you again ....Om Sai Ram 🙏
ReplyDeleteBaba manokamna puri krna
ReplyDeleteदूसरों को जबरदस्ती मांस खिलाने वाला साईं मादरचोद रंडी की औलाद साईं
ReplyDeleteBewakoof puri katha pr toh laay bas bhoknay daay matlab hai BC
DeleteFemale follower this side
read the whole...omsairam jaisairam
DeleteVery good
Deleteपहले जानकारी पुख़्ता कर ले महामूर्ख फिर बकवास कर तेरी परवरिश क्या है वह देख ले , संस्कार की तुझमें बहुत कमी है दुष्ट , भगवान के बारे में व्यर्थ प्रलाप् मत कर, तू होगा रण्डी की औलाद😂😂😂😂
DeleteSai baba ki jai
ReplyDeleteBaba mere kaam poore ho jaye pls
ReplyDeleteJai Sai Ram
ReplyDeleteBaba apni Mehar krna
Love you baba🙏🌺
ReplyDeleteOm sai ram
ReplyDelete🙏🌹om sai ram🌹🙏
ReplyDelete🌹OM SAI RAM🌹
ReplyDeleteBaba apki jai ho.
ReplyDeleteOm sai ram har har mahadev jai sabhi devi devtao ji ki jai ho jai 💐🙏💐💐🙏🕉️🕉️🎂
ReplyDeleteOm Sai ram 🙏🙏🙏🙏🙏
ReplyDeleteOm Sai Ram
ReplyDeleteOm sai ram 😊🙏 sachidanand sadguru Sainath Maharaj ki Jai 🙏
ReplyDeleteOm sai ram🙏🙏
ReplyDelete,🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
ReplyDeleteSri Sai 🙏🏻♥️
ReplyDeleteOm Sai Ram
ReplyDeleteom sai nathay namah🙏
ReplyDeleteOm sai ram
ReplyDeleteOM sai ram
ReplyDeleteSri Sai❤️🌹🌷❣️❤️🙏
ReplyDeletejai shri sai Samarth 🙏 love you so much baba g 🙏
ReplyDeletejai shri sai Samarth 🙏 love you so much baba g 🙏
ReplyDeleteबाबा उपर लिखी हुयी एक comment पढकर बहुत बरा लगा😢 उसे अपने चमत्कारोसे आपकी सारव्यापाकता का परिचय दो बाबा love you lots
ReplyDeleteबुरा लगा
Deleteमूर्ख की बकवास मत सुनिए , बाबा पर भरोसा रखिए🙏🏻
DeleteLog kitne batmij hote h bhagwan ko bhi nhi bkhste hey Sai sadbudhi do inhe or ek thapad lgao
DeleteLog kitne batmij hote h bhagwan ko bhi nhi bkhste sai maa ise sadbudhi Dena or ek thapad bhi lgana
DeleteOm Sai Ram !
DeleteOm sai ram baba hamari tabiyat jaldi theek kar do
ReplyDeleteOm Shree Sai Namo Namah🙏🙏🙏🙏Baba Manokaamna Puri Karna 🙏🙏🙏🙏
ReplyDeleteOm sai ram 🙏
ReplyDeleteइसलिए मे इसको साई बिरयानी सेंटर बाला बाबा बोलता हूँ
ReplyDelete😂😂😂😂😂😂 बिरयानी खाओ
तू कितना बड़ा मूर्ख है गधे इसीलिए मैं तुझे मूर्खों का राजा बोलता हूँ😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂🤣🤣🤣🤣🤣
DeleteOm sai ram baba mere mata pitha ki raksha karna.
ReplyDeletesai rhm njr krna bcho ka paln krna 🙏 i m sorry plz forgive me 🙏 thanku so much sai g ❣️ love you so much sai g ❣️😘
ReplyDeleteOm sai ram 🙏🙏🙏🙏
ReplyDeleteBless me BABA,❤️🌹🙏🙏🙏🙏🙏🙏🌹❤️
ReplyDeleteOm Sai Ram 🙏🙏🙏
ReplyDeleteThanks for sharing such a nice and informative blog. Kamalmoorti and Painting Kala Kendra use original marble to manufacture all statues. Visit our website to buy marble sculpture and God Statue.
ReplyDeleteMarble God Statues Manufacturer in Jaipur
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Jai shri sai samarth🙏 mera sahara mere saiya mera vishwas hai🙏 i m sorry plz forgive me🙇 i thanku i love you so much baba ji🙏 👨👩👦👦💋
ReplyDeleteOm sai ram om sai ram om sai ram om sai ram om sai ram om sai ram.baba be with us always am nothing without you
ReplyDeleteOm sai ram ham par apaki drasti banaye rakhana
ReplyDeleteSri Sai 🙏❤️🙏❤️🙏❤️🙏❤️🙏❤️
ReplyDeleteBaba. Mere papa ko jldi thik kr do. 👃
ReplyDeleteOm sai ram ji, jai sai, om sai, shri sai..
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ReplyDeleteSAI RAM KRISHNA HARE
ReplyDeleteOM SAI RAM
JAI SAI RAM
MERE SAI PYARE SAI SABKE SAI😊🙏
OM SAI RAM
ReplyDeleteSAI RAM KRISHNA HARE
JAI SAI RAM
FORGIVE ME BABA🙏😇
SAI RAM KRISHNA HARE
ReplyDeleteOM SAI RAM
JAI SAI RAM
FORGIVE ME MY BABA🙏😇
Sri Sai🙏🌹❤️
ReplyDeleteOm sai ram.. deenanath sab pr apni kripa Krna or hmari hmari galti ko maf Krna.. 🙏🙏🙏
ReplyDeleteOm sai ram sai baba ki jai ho Om sai ram om sai ram om sai ram om sai ram
ReplyDeleteOm Sai Ram🙏🙏🙏
ReplyDeleteOm Sai Ram 🙏🏻
ReplyDeleteOm Sai Ram
ReplyDeleteBaba solve this family issues pls ,🙏🙏🙏
ReplyDeleteJai sai baba.jo mere dil mai aap sb jaante ho ..bs pura kr do baba🙏🙏
ReplyDeleteSri Sai 🙏
ReplyDeleteOm Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram om Sai Ram🙏🙏 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
ReplyDeleteOm Sairam Ji
ReplyDeleteOm sai ram 🌹
ReplyDeleteOm Sai Ram🌹🙏
ReplyDeleteOm sai ram g🙏
ReplyDeleteSri Sai 🙏
ReplyDelete🕉 Shri Sai Ram baba 🌷 🌷🌻🌻🌼🌼
ReplyDeleteRaham najar kro ab more sai 🙏😢
ReplyDeleteOm namo Satchidananda Sainathay namah 🙏🏻🙏🏻🙏🏻
ReplyDeleteOm Sai Ram🙏
ReplyDeleteOm shri Sai Ram mere pyare baba
ReplyDeleteRaham najar kro ab mere sai 🙏om sai ram g 🙏
ReplyDeleteOm shri Sai Ram mere pyare baba 🙏🥭🥭
ReplyDeleteOm Sai Ram 🙏
ReplyDeleteOM SAI RAM
ReplyDeleteOM SAI RAM
ReplyDeleteDAYA KARO BABA ❤️🙏
Om shri Sai Ram mere pyare baba 🙏🥭🥭❤️
ReplyDeleteSAI RAM JEE APKO KOTEE KOTEE
ReplyDeleteI HAVE SURRENDERED MYSELF ON YOUR HOLY LOTUS FEET
PLEASE BLESS US🙏🙏
Sai Dass Bhatia
ReplyDeleteJg mai sabse pawn sthan
Mara shirdi tirath Dham
Sai raham najar krna mere pati shivank g ki raksha krna🙏
ReplyDeleteOm shri Sai Ram mere pyare baba 🌷🙏🙏🌹
ReplyDeleteSai Reham Nazar karna bache ka palan karna bhool chuk maaf karo sai baba
ReplyDeleteNeelam Mishra
ReplyDeleteOm Sai Ram
Om Sai Ram
Om shri Sai Ram mere pyare baba 🌹🙏🙏🙏
ReplyDeleteSai Reham Nazar karna bache ka palan karna om sai ram gee
ReplyDeleteaankhe kholo HINDUO ye ek muslim tha
ReplyDeleteOm sainath
ReplyDeleteOm Sai Ram
ReplyDeleteOm shri Sai Ram mere pyare baba 🙏🌹🌷🌹🌷
ReplyDeleteom sai ram🙏
ReplyDeleteOm shri Sai Ram mere pyare baba 🌹🥭❤️❤️🙏🌷🙏🥭
ReplyDeleteOm Sai Ram. Om Sai Ram
ReplyDeleteOm Sai Ram. Om Sai Ram
Sai sada hamari raksha karna,om sai ram
ReplyDeleteOm sai ram
ReplyDeleteOm Sai Ram❤️🙏
ReplyDeleteOm sai ram baba ,love u and thank u so so much 💞💞💫💫💫🙏🙏🤗🤗😍😍😘😘💝💝🥰🥰
ReplyDeleteOm sai ram Jai baba ji 🙏🏻
ReplyDelete🙏🙏🕉 OM SAI RAM 🕉 🙏 🙏
ReplyDeleteOm Sai Ram daya Kare baba
ReplyDeleteOm Sai Ram
ReplyDeleteMera saath Dene ke liye mere guru sai baba ka hardik dhanyavad.
ReplyDeleteOm Sai
ReplyDeleteOm Sai Ram daya Kare baba, mughe apne charno me Jajah digea
om sai ram🙏
ReplyDeleteAre you seeking for road ambulance service in Patna? Get in touch with Hanuman Ambulance.
ReplyDeleteOm Sai Ram 🙏🙏
ReplyDeleteOm Sai Ram
ReplyDeleteOm Sai ram
ReplyDeleteOm sai ram g
ReplyDeleteOm shri Sai Ram mere pyare baba ❤️❤️🌹🌹
ReplyDeleteOm Sai Ram
ReplyDeleteOm shri Sai Ram 🌹❤️🌹
ReplyDeleteOm Sai ram🌹❤️🌹
ReplyDeleteOm sai ram
ReplyDeleteom sai ram🙏🙏
ReplyDeleteom sai ram🙏🙏
ReplyDeleteSai mughe itna samarth bana do ki mai aapne bachchon ke liye ghar kharidne ma TVin madad kar sakoon🙏🙏
ReplyDeleteOm Sai Ram❤️🙏
ReplyDeleteOm Sai Ram
ReplyDelete🙏🙏🕉 OM SAI RAM 🕉 🙏 🙏
ReplyDeleteSai Teri kripa hum par bani rahe
ReplyDeleteOm Sai Ram
ReplyDeleteBaba mere bachho ki sadiv raksha kare apna aashis unhe pradan kare
ReplyDeleteThankuuuuiu so much baba g 🙏om namah shivaay 🙏shiv g sda sahay 🙏om namah shivaay🙏 guru g sda sahay🙏 om namah shivaay🙏 sai g sda sahay🙏
ReplyDeleteAum Shree Sai Ram.. Baba bless us all..🕉️🙏🌹🙏
ReplyDelete. Om sai Ram. Baba kripa kero. Ap to antaryami hai.
ReplyDeleteSai sabko sadbuddhi pradan karna 🙏🙏
ReplyDeleteOm Sai Ram💐🙏
ReplyDeleteOm Sai Ram💐🙏
ReplyDeleteOm Sai Ram
ReplyDeleteOm Sai Ram
ReplyDeleteOm Sai ram ram ma
ReplyDeleteOm sai ram
ReplyDeleteOm Sai Ram
ReplyDeleteSai sada kripa banaye rakhana 🙏🙏
ReplyDelete🙏🌹Om Sai Ram🌹🙏🏻
ReplyDeleteOm Sai Ram
ReplyDelete🙏🙏🕉 OM SAI RAM 🕉 🙏 🙏
ReplyDelete🙏🏻🌹ॐ साई राम 🌹🙏🏻
ReplyDeleteOm Sai Ram
ReplyDeleteOm sai ram ji 🙏🙏🙏🙏
ReplyDeleteSai mere bachchon ko sadaiva aashirwad dena🙏🙏
ReplyDeleteON SAI RAM
ReplyDeleteOm sai ram 🌹🌺😁🙏🙏
ReplyDeleteOm Sai ram
ReplyDeleteSai Baba koti koti dhanyawad 🙏🙏
ReplyDeleteOm Sai Ram 🙏🏻❤️✨🥰🌼🧿♥️
ReplyDeleteOm sai ram 🙏
ReplyDeleteSai Baba bachchon ki manokamna pooran hone ka aashirwad pradan karna
ReplyDelete🙏🙏
ReplyDeleteOm Sai
ReplyDeleteBaba mai tumko bahut yaad karti hun 🙏🙏
ReplyDelete🙏🙏🕉 OM SAI RAM 🕉 🙏 🙏JAI SAI RAM 🙏🙏
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